नई दिल्ली: 'सवालों के बदले पैसे' विवाद में टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा (Mahua Moitra) को बड़ा झटका देते हुए, रियल एस्टेट-टू-एनर्जी समूह हीरानंदानी के सीईओ दर्शन हीरानंदानी गुरुवार को सरकारी गवाह बन गए. कथित तौर पर अडाणी समूह के बारे में संसद में सवाल उठाने के लिए उन्होंने मोइत्रा को भुगतान किया था. साथ ही हीरानंदानी ने स्वीकार किया कि 'उऩ्होंने उसे अपना संसद लॉगिन और पासवर्ड दिया था ताकि वह सीधे उनकी ओर से प्रश्न पोस्ट कर सके.'
दर्शन ने एक हलफनामे में दावा किया कि टीएमसी नेता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 'बदनाम और शर्मिंदा' करने के लिए गौतम अडाणी को निशाना बनाया, जिनकी बेदाग प्रतिष्ठा ने विपक्ष को उन पर हमला करने का कोई मौका नहीं दिया.
हीरानंदानी ने स्वीकार किया कि राज्य के स्वामित्व वाली दिग्गज कंपनी इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (आईओसी) द्वारा ओडिशा में गुजरात स्थित समूह की धामरा एलएनजी आयात सुविधा की क्षमता बुक करने के बाद अडाणी पर निशाना साधते हुए सवाल पूछने के लिए मोइत्रा के संसदीय लॉगिन का उपयोग किया गया था, न कि उनकी कंपनी की योजनाबद्ध सुविधा पर.
दावा किया कि ' मोइत्रा ने लगातार मांगें कीं, जिनमें 'महंगी विलासिता की वस्तुएं, दिल्ली में उनके आधिकारिक तौर पर आवंटित बंगले के नवीकरण पर सहायता प्रदान करना, यात्रा व्यय, छुट्टियां आदि शामिल हैं, इसके अलावा भारत के भीतर और दुनिया के विभिन्न हिस्सों में उनकी यात्रा के लिए सचिवीय और रसद सहायता प्रदान करना शामिल है.'
उन्होंने दावा किया कि 'महंगी विलासिता की वस्तुएं, दिल्ली में उनके आधिकारिक तौर पर आवंटित बंगले के नवीकरण पर सहायता प्रदान करना, यात्रा व्यय, छुट्टियां आदि शामिल हैं, इसके अलावा भारत के भीतर और दुनिया के विभिन्न हिस्सों में उनकी यात्रा के लिए सचिवीय और रसद सहायता प्रदान करना शामिल है."
इस सप्ताह की शुरुआत में, भाजपा सांसद निशिकांत दुबे और मोइत्रा के अलग हुए साथी और वकील जय अनंत देहाद्राई ने आरोप लगाया था कि मोइत्रा ने संसद में सवाल उठाने के लिए हीरानंदानी से मदद ली थी. उन्होंने उनके खिलाफ दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष मानहानि का मुकदमा दायर करके जवाब दिया.
इस बीच, दुबे की शिकायत को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने संसद की आचार समिति को भेज दिया है. हीरानंदानी ने इस सप्ताह एक्स पर अडाणी समूह द्वारा केरल में बंदरगाह परिचालन शुरू करने के बारे में खबर दोबारा पोस्ट की थी. उनसे टिप्पणी के लिए संपर्क नहीं किया जा सका. एक बार जब हलफनामा सार्वजनिक हो गया, तो उन्होंने एक्स पर अपना अकाउंट डिलीट कर दिया. टिप्पणियों के लिए मोइत्रा से तुरंत संपर्क नहीं हो सका.
2017 में जब महुआ मोइत्रा विधायक थी तो बंगाल ग्लोबल बिजनेस समिट में उनसे हीरानंदानी की मुलाकात हुई थी. हीरानंदानी ने कहा कि वह पिछले कुछ वर्षों में एक 'करीबी निजी दोस्त' बन गईं, जिनसे उन्हें विपक्षी दलों द्वारा शासित राज्यों में व्यापार पाने के लिए उपयोग करने की उम्मीद थी.
उन्होंने कहा कि 'मोइत्रा बेहद महत्वाकांक्षी थीं और राष्ट्रीय स्तर पर अपना नाम कमाना चाहती थीं.' उन्होंने 2019 में पश्चिम बंगाल के कृष्णानगर से लोकसभा चुनाव जीतने की बात कही. 'उनके दोस्तों और सलाहकारों ने उन्हें सलाह दी थी कि प्रसिद्धि का सबसे छोटा रास्ता मोदी पर व्यक्तिगत हमला करना है.'
उऩ्होंने कहा कि 'हालांकि पीएम पर इसका कोई असर नहीं हुआ. उनकी प्रतिष्ठा बेदाग थी और वह किसी को भी नीति, शासन या व्यक्तिगत आचरण में उन पर हमला करने का कोई मौका नहीं दे रहे थे.' उन्होंने कहा कि 'जैसा कि उनकी आदत थी, उन्होंने सोचा कि मोदी पर हमला करने का एकमात्र तरीका गौतम अडाणी और उनके समूह पर हमला करना है क्योंकि दोनों एक ही राज्य गुजरात से हैं. इसलिए, उन्हें अडाणी को निशाना बनाकर प्रधानमंत्री को बदनाम करने और शर्मिंदा करने के अपने प्रयास में व्यापारी, राजनीतिज्ञों और मीडिया वर्गों से समर्थन की उम्मीद थी.'
हीरानंदानी ने कहा कि उन्हें आईओसी द्वारा अपनी कंपनी के एलएनजी टर्मिनल की जगह धामरा को चुनने के बारे में पता था. 'इस जानकारी के आधार पर, मोइत्रा ने कुछ सवालों का मसौदा तैयार किया, जिनमें अडाणी समूह को निशाना बनाकर सरकार को शर्मिंदा करने वाले तत्व शामिल थे जो वह संसद में उठा सकती थीं.'
उन्होंने दावा किया कि 'उन्होंने सांसद के तौर पर अपनी ईमेल आईडी मेरे साथ साझा की, ताकि मैं उन्हें जानकारी भेज सकूं और वह संसद में सवाल उठा सकें. मैं उनके प्रस्ताव के साथ गया.'
उन्होंने कहा कि 'अडाणी समूह से संबंधित उनके द्वारा भेजे गए प्रश्नों के पहले सेट के लिए मिली प्रतिक्रिया से प्रसन्न होकर मोइत्रा ने उनसे अडाणी समूह पर अपने हमलों में उनका समर्थन जारी रखने का 'अनुरोध' किया. उन्होंने मुझे अपना संसद लॉगिन और पासवर्ड दिया ताकि आवश्यकता पड़ने पर मैं सीधे उनकी ओर से प्रश्न पोस्ट कर सकूं.'