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कोरोना वायरस से लड़ाई में अप्रत्याशित नायक बना भारतीय डाक

कोरोना लॉकडाउन संकट से पूरा देश जूझ रहा है. इस दौरान देश में सभी डिलेवरी सेवाओं को बंद कर दिया गया है. इस कोरोना वायरस की लड़ाई में भारतीय डाक विभाग एक अप्रत्याशित नायक बन कर उभरा है और देश के दूरस्थ इलाकों में जरूरी सामना की पहुंच सुनिश्चित कर रहा है. पढ़ें विस्तार से...

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भारतीय डाक
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Published : May 12, 2020, 4:30 PM IST

Updated : May 12, 2020, 6:38 PM IST

हैदराबाद : कोरोना को लेकर लॉकडाउन संकट से पूरा देश जूझ रहा है. इस दौरान देश में सभी डिलेवरी सेवाओं को बंद कर दिया गया है. इस गंभीर संकट काल में दुनिया का सबसे बड़ा डाक नेटवर्क अपने वृहद विस्तार का फायदा उठाते हुए दिन-रात देश के कोने-कोने में जरूरी सामान, भोजन, कैश और दवाओं की अपूर्ती कर रहा है. इस कोरोना वायरस की लड़ाई में भारतीय डाक विभाग एक अप्रत्याशित नायक बन कर उभरा है.

भारतीय डाक 1.56 लाख से अधिक डाकघरों के साथ दुनिया में सबसे बड़े डाक नेटवर्क है, जिनमें से 1.41 लाख डाक घर ग्रामीण क्षेत्रों में हैं. भारतीय डाक आज एक जीवन रक्षक बन चुका है. यह कोरोन संक्रमण काल में चौबीसों घंटे काम कर रहा है. डाक के जरिए आज देशभर के दूर-दराज के स्थानों में कोरोना परीक्षण किट, वेंटिलेटर, मास्क और दवाएं पहुंचाई जा रही हैं.

भारतीय डाक विभाग ने भारतीय दवा निर्माता संघ, स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय और ऑनलाइन फार्मास्यूटिकल कंपनियों के साथ जीवन रक्षक दवाएं, कोविड -19 परीक्षण किट, एन -95 मास्क, वेंटिलेटर और अन्य अस्पताल उपकरण वितरित करने के लिए साझेदारी की है.

डाक जीवन रक्षक और महत्वपूर्ण दवाएं, कोरोना परीक्षण किट, भोजन और नकदी की पहुंच सुनिश्चित करा रहा है, जहां तक ​​यह नहीं पहुंच सकता है. जहां कोई अन्य सेवा प्रदाता आवश्यक सेवा अनुरक्षण अधिनियम के अंतर्गत आता है, ऐसे समय में यह लोगों की सेवा कर रहा है उनतक मदद पहुंचा रहा है.

जहां जीवन रक्षक और महत्वपूर्ण दवा, कोविड 19 परीक्षण किट, भोजन और नकदी नहीं पहुंच पा रहे हैं, वहां भारतीय डाक इन सामग्रियों को पहुंचा रहा है. भारतीय डाक को ऐसी जगहों पर जाने की अनुमति है, जहां कोई अन्य सेवा प्रदाता आवश्यक सेवा अनुरक्षण अधिनियम के अंतर्गत नहीं जका सकते.

डाक विभाग ने भौगोलिक बाधाओं की परवाह किए बिना हिमाचल प्रदेश के ऊना और मेघालय में पूर्वोत्तर हिल विश्वविद्यालय जैसे स्थानों पर दवाओं और उपकरणों को पहुंचाया है. पुडुचेरी से ओडिशा और गुजरात वेंटिलेटर पहुंचाया है. साथ ही दिल्ली से लखनऊ तक कोल्ड चेन आंंदोलन चला रहे हैं.

भारतीय डाक विभाग नकद निकासी, खाते खोलने और डायरेक्ट बेनीफिट ट्रांसफर और पेंशन भुगतान जैसी सेवाओं को घर घर पहुंचाने की कोशिश कर रहा है.

डाक विभाग ने 500 किलोमीटर से अधिक का विशेष रोड मैप बनाया है. इस नक्शे में राज्यों के 75 शहरों से जुड़े 22 लंबे मार्गों का समावेश है, इसका उपयोग आवश्यक वस्तुओं के तेजी से वितरण के लिए किया जाएगा.

डाक विभाग कोरोना वायरस को लेकर किए गए लॉकडाउन के दौरान प्राथमिकता के आधार पर सेवाएं प्रदान कर रहा है. समय पर डिलीवरी सुनिश्चित करने के लिए इसने विशेष मेल व्यवस्था की है. दवाओं की डिलेवरी कोल्ड चेन के माध्यम से की जा रही है. वहीं रात में औऱ छुट्टीयों पर भी डिलेलरी का काम जारी है. 24 मार्च से हुए लॉकडाउन के बाद से डाक विभाग ने चार लाख कर्मचारियों की बड़ी संख्या और डेढ़ लाख से अधिक पोस्ट ऑफिस वाले विशाल नेटवर्क का फायदा उठाते हुए देश के दूरस्थ इलाकों में नागरिकों के दरवाजे तक आवश्यक सेवाओं पहुंचा रहा है.

पढ़ें-आज रात आठ बजे राष्ट्र को संबोधित करेंगे प्रधानमंत्री मोदी

आंकड़े

लॉकडाउन अवधि के दौरान में डाक विभाग द्वारा हर दिन में लगभग दो लाख रुपये तक की कैश डिलीवरी लोगों के दरवाजे पर जा रही है, जो लॉकडाउन से पहले की संख्या से लगभग 10 गुना अधिक है.

डाक विभाग ने देशभर में कोरोना परीक्षण के लिए नामित 16 क्षेत्रीय डिपो से 200 अतिरिक्त प्रयोगशालाओं के लिए अपने COVID-19 परीक्षण किटों की डिलीवरी के लिए भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के साथ एक समझौता किया है.

डाक और आईसीएमआर विभाग दोनों ने प्रत्येक क्षेत्रीय डिपो के लिए क्षेत्रीय नोडल अधिकारी नियुक्त किए हैं, जिससे सुचारू संचालन सुनिश्चित हो सके.

डाक विभाग ने कोलकाता, रांची, पटना, जोधपुर, अजमेर, जयपुर, इम्फाल और आइजोल सहीत अन्य देश के अन्य हिस्सों में जांच कीट की खेप पहुंचाई है. विभाग की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि इन किटों को सूखी बर्फ में रख कर पहुंचाया जा रहा है.

लॉकडाउन के बीच लगभग 1.7 करोड़ पोस्ट ऑफिस बचत बैंक लेनदेन से 23,000 करोड़ से अधिक का लेन-देन हुआ. इसके अलावा 78 लाख इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंकों से लगभग, 2,000 करोड़ का लेनेदेन शामिल है.
AePS लेनदेन से लगभग 260 करोड़ की राशि लगभग 13 लाख ग्राहकों को अपने उनके घर पर पहुंचाई गई.

डाक द्वारा हर दिन एक लाख से अधिक AePS लेनदेन हो रहे हैं और लगभग 17 लाख मनी ऑर्डर के भुगतान के अलावा 32 लाख खत भी बांटे गए हैं.

हैदराबाद : कोरोना को लेकर लॉकडाउन संकट से पूरा देश जूझ रहा है. इस दौरान देश में सभी डिलेवरी सेवाओं को बंद कर दिया गया है. इस गंभीर संकट काल में दुनिया का सबसे बड़ा डाक नेटवर्क अपने वृहद विस्तार का फायदा उठाते हुए दिन-रात देश के कोने-कोने में जरूरी सामान, भोजन, कैश और दवाओं की अपूर्ती कर रहा है. इस कोरोना वायरस की लड़ाई में भारतीय डाक विभाग एक अप्रत्याशित नायक बन कर उभरा है.

भारतीय डाक 1.56 लाख से अधिक डाकघरों के साथ दुनिया में सबसे बड़े डाक नेटवर्क है, जिनमें से 1.41 लाख डाक घर ग्रामीण क्षेत्रों में हैं. भारतीय डाक आज एक जीवन रक्षक बन चुका है. यह कोरोन संक्रमण काल में चौबीसों घंटे काम कर रहा है. डाक के जरिए आज देशभर के दूर-दराज के स्थानों में कोरोना परीक्षण किट, वेंटिलेटर, मास्क और दवाएं पहुंचाई जा रही हैं.

भारतीय डाक विभाग ने भारतीय दवा निर्माता संघ, स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय और ऑनलाइन फार्मास्यूटिकल कंपनियों के साथ जीवन रक्षक दवाएं, कोविड -19 परीक्षण किट, एन -95 मास्क, वेंटिलेटर और अन्य अस्पताल उपकरण वितरित करने के लिए साझेदारी की है.

डाक जीवन रक्षक और महत्वपूर्ण दवाएं, कोरोना परीक्षण किट, भोजन और नकदी की पहुंच सुनिश्चित करा रहा है, जहां तक ​​यह नहीं पहुंच सकता है. जहां कोई अन्य सेवा प्रदाता आवश्यक सेवा अनुरक्षण अधिनियम के अंतर्गत आता है, ऐसे समय में यह लोगों की सेवा कर रहा है उनतक मदद पहुंचा रहा है.

जहां जीवन रक्षक और महत्वपूर्ण दवा, कोविड 19 परीक्षण किट, भोजन और नकदी नहीं पहुंच पा रहे हैं, वहां भारतीय डाक इन सामग्रियों को पहुंचा रहा है. भारतीय डाक को ऐसी जगहों पर जाने की अनुमति है, जहां कोई अन्य सेवा प्रदाता आवश्यक सेवा अनुरक्षण अधिनियम के अंतर्गत नहीं जका सकते.

डाक विभाग ने भौगोलिक बाधाओं की परवाह किए बिना हिमाचल प्रदेश के ऊना और मेघालय में पूर्वोत्तर हिल विश्वविद्यालय जैसे स्थानों पर दवाओं और उपकरणों को पहुंचाया है. पुडुचेरी से ओडिशा और गुजरात वेंटिलेटर पहुंचाया है. साथ ही दिल्ली से लखनऊ तक कोल्ड चेन आंंदोलन चला रहे हैं.

भारतीय डाक विभाग नकद निकासी, खाते खोलने और डायरेक्ट बेनीफिट ट्रांसफर और पेंशन भुगतान जैसी सेवाओं को घर घर पहुंचाने की कोशिश कर रहा है.

डाक विभाग ने 500 किलोमीटर से अधिक का विशेष रोड मैप बनाया है. इस नक्शे में राज्यों के 75 शहरों से जुड़े 22 लंबे मार्गों का समावेश है, इसका उपयोग आवश्यक वस्तुओं के तेजी से वितरण के लिए किया जाएगा.

डाक विभाग कोरोना वायरस को लेकर किए गए लॉकडाउन के दौरान प्राथमिकता के आधार पर सेवाएं प्रदान कर रहा है. समय पर डिलीवरी सुनिश्चित करने के लिए इसने विशेष मेल व्यवस्था की है. दवाओं की डिलेवरी कोल्ड चेन के माध्यम से की जा रही है. वहीं रात में औऱ छुट्टीयों पर भी डिलेलरी का काम जारी है. 24 मार्च से हुए लॉकडाउन के बाद से डाक विभाग ने चार लाख कर्मचारियों की बड़ी संख्या और डेढ़ लाख से अधिक पोस्ट ऑफिस वाले विशाल नेटवर्क का फायदा उठाते हुए देश के दूरस्थ इलाकों में नागरिकों के दरवाजे तक आवश्यक सेवाओं पहुंचा रहा है.

पढ़ें-आज रात आठ बजे राष्ट्र को संबोधित करेंगे प्रधानमंत्री मोदी

आंकड़े

लॉकडाउन अवधि के दौरान में डाक विभाग द्वारा हर दिन में लगभग दो लाख रुपये तक की कैश डिलीवरी लोगों के दरवाजे पर जा रही है, जो लॉकडाउन से पहले की संख्या से लगभग 10 गुना अधिक है.

डाक विभाग ने देशभर में कोरोना परीक्षण के लिए नामित 16 क्षेत्रीय डिपो से 200 अतिरिक्त प्रयोगशालाओं के लिए अपने COVID-19 परीक्षण किटों की डिलीवरी के लिए भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के साथ एक समझौता किया है.

डाक और आईसीएमआर विभाग दोनों ने प्रत्येक क्षेत्रीय डिपो के लिए क्षेत्रीय नोडल अधिकारी नियुक्त किए हैं, जिससे सुचारू संचालन सुनिश्चित हो सके.

डाक विभाग ने कोलकाता, रांची, पटना, जोधपुर, अजमेर, जयपुर, इम्फाल और आइजोल सहीत अन्य देश के अन्य हिस्सों में जांच कीट की खेप पहुंचाई है. विभाग की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि इन किटों को सूखी बर्फ में रख कर पहुंचाया जा रहा है.

लॉकडाउन के बीच लगभग 1.7 करोड़ पोस्ट ऑफिस बचत बैंक लेनदेन से 23,000 करोड़ से अधिक का लेन-देन हुआ. इसके अलावा 78 लाख इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंकों से लगभग, 2,000 करोड़ का लेनेदेन शामिल है.
AePS लेनदेन से लगभग 260 करोड़ की राशि लगभग 13 लाख ग्राहकों को अपने उनके घर पर पहुंचाई गई.

डाक द्वारा हर दिन एक लाख से अधिक AePS लेनदेन हो रहे हैं और लगभग 17 लाख मनी ऑर्डर के भुगतान के अलावा 32 लाख खत भी बांटे गए हैं.

Last Updated : May 12, 2020, 6:38 PM IST
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