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बाबा रामदेव के खिलाफ एक याचिका पर हाई कोर्ट ने कहा- लाभ कमाना न अनुचित है और न ही गैरकानूनी

बाबा रामदेव के खिलाफ एक याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि लाभ कमाना न तो अनुचित है और न गैरकानूनी.

बाबा रामदेव
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Published : Oct 25, 2021, 9:15 PM IST

नई दिल्ली: बाबा रामदेव की कोरोनिल दवाई को लेकर कथित झूठे दावे पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा हाई कोर्ट ने कहा है कि लाभ कमाना न तो अनुचित है और न गैरकानूनी. जस्टिस सी हरिशंकर की बेंच ने ये टिप्पणी की. मामले की अगली सुनवाई 27 अक्टूबर को होगी.

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से वकील अखिल सिब्बल ने कहा कि बाबा रामदेव ने अपने व्यावसायिक फायदे के लिए कोरोनिल टैबलेट के बारे में प्रचार किया कि वो कोरोना की दवाई है. तब कोर्ट ने कहा कि आप व्यावसायिक लाभ में मत जाइए. हर व्यक्ति लाभ कमाता है. आप यह बताइए कि गलत कहां है.

व्यावसायिक लाभ कमाना न तो अनुचित है और न ही गैरकानूनी. तब अखिल सिब्बल ने कहा कि व्यवसाय करने से कोई मना नहीं कर रहा है, लेकिन वो कह रहे हैं कि एलोपैथी आपको मार रहा है और उसका इलाज हमारे पास है. वो कहते हैं कि हमने 90 फीसदी लोगों को ठीक किया है. एलोपैथ से महज 10 फीसदी लोग ठीक हुए हैं.

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने भी कहा था कि बाबा रामदेव ऐसा बयान सार्वजनिक रूप से नहीं दे सकते हैं कि कोरोनिल को कोरोना की दवा के रूप में लाइसेंस मिला है. अपनी दलील के पक्ष में सिब्बल ने 12 जून 2020 का दिव्य फार्मेसी का एक दस्तावेज उद्धृत किया जिसमें कोरोनिल टेबलेट समेत तीन चीजों के बार में जानकारी दी गई है.

ये भी पढ़ें - कानून के तहत समलैंगिक विवाह को मान्यता देने के लिए अंतिम सुनावई करेगा हाईकोर्ट, याचिकाएं सूचीबद्ध

28 सितंबर को हाई कोर्ट ने कहा था कि बाबा रामदेव ने सरकार के कोरोना वैक्सीनेशन अभियान को बढ़ावा दिया. कोर्ट ने कहा था कि रामदेव ने कोरोनिल का प्रचार जरूर किया, लेकिन किसी को कोरोना की वैक्सीन अभियान से रोकने की कोशिश नहीं की.

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने अखिल सिब्बल से कहा था कि बाबा रामदेव ने एलोपैथी को लेकर जो बयान दिया ये उनका मत हो सकता है. आप उसका पालन करें या नहीं ये आप पर निर्भर करता है. रामदेव ने ये कहा है कि आप उनकी दवाई लीजिएगा तो आपका ऑक्सीजन लेवल ठीक होगा. कोर्ट ने कहा था कि बाबा रामदेव ने किसी के अधिकारों का हनन नहीं किया है.

पिछले 30 जुलाई को कोर्ट ने बाबा रामदेव को नोटिस जारी किया था. याचिका में कहा गया है कि बाबा रामदेव ने सार्वजनिक रूप से डॉक्टरों के अलावा विज्ञान को चुनौती दी है. उनके बयान से लोगों का नुकसान हो रहा है. वे मेडिकल साइंस को चुनौती दे रहे हैं. याचिका में कहा गया है कि कि बाबा रामदेव काफी प्रभावशाली व्यक्ति हैं और उनकी काफी लोगों तक पहुंच है. उनके बयान अपने प्रशंसकों को प्रभावित करते हैं.

बाबा रामदेव और एलोपैथी डॉक्टरों की संस्था IMA के बीच विवाद चल रहा है. बाबा रामदेव ने एलोपैथी को लेकर विवादास्पद बयान किया था, जिसके बाद IMA ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को पत्र लिखकर बाबा के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की थी. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने भी बाबा रामदेव को अपना बयान वापस लेने को कहा था. IMA ने बाबा रामदेव के खिलाफ लीगल नोटिस भी भेजा था. पिछले एक जून को देश भर के एलोपैथी डॉक्टरों ने बाबा रामदेव के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर काली पट्टी बांधकर काम किया था.

नई दिल्ली: बाबा रामदेव की कोरोनिल दवाई को लेकर कथित झूठे दावे पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा हाई कोर्ट ने कहा है कि लाभ कमाना न तो अनुचित है और न गैरकानूनी. जस्टिस सी हरिशंकर की बेंच ने ये टिप्पणी की. मामले की अगली सुनवाई 27 अक्टूबर को होगी.

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से वकील अखिल सिब्बल ने कहा कि बाबा रामदेव ने अपने व्यावसायिक फायदे के लिए कोरोनिल टैबलेट के बारे में प्रचार किया कि वो कोरोना की दवाई है. तब कोर्ट ने कहा कि आप व्यावसायिक लाभ में मत जाइए. हर व्यक्ति लाभ कमाता है. आप यह बताइए कि गलत कहां है.

व्यावसायिक लाभ कमाना न तो अनुचित है और न ही गैरकानूनी. तब अखिल सिब्बल ने कहा कि व्यवसाय करने से कोई मना नहीं कर रहा है, लेकिन वो कह रहे हैं कि एलोपैथी आपको मार रहा है और उसका इलाज हमारे पास है. वो कहते हैं कि हमने 90 फीसदी लोगों को ठीक किया है. एलोपैथ से महज 10 फीसदी लोग ठीक हुए हैं.

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने भी कहा था कि बाबा रामदेव ऐसा बयान सार्वजनिक रूप से नहीं दे सकते हैं कि कोरोनिल को कोरोना की दवा के रूप में लाइसेंस मिला है. अपनी दलील के पक्ष में सिब्बल ने 12 जून 2020 का दिव्य फार्मेसी का एक दस्तावेज उद्धृत किया जिसमें कोरोनिल टेबलेट समेत तीन चीजों के बार में जानकारी दी गई है.

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28 सितंबर को हाई कोर्ट ने कहा था कि बाबा रामदेव ने सरकार के कोरोना वैक्सीनेशन अभियान को बढ़ावा दिया. कोर्ट ने कहा था कि रामदेव ने कोरोनिल का प्रचार जरूर किया, लेकिन किसी को कोरोना की वैक्सीन अभियान से रोकने की कोशिश नहीं की.

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने अखिल सिब्बल से कहा था कि बाबा रामदेव ने एलोपैथी को लेकर जो बयान दिया ये उनका मत हो सकता है. आप उसका पालन करें या नहीं ये आप पर निर्भर करता है. रामदेव ने ये कहा है कि आप उनकी दवाई लीजिएगा तो आपका ऑक्सीजन लेवल ठीक होगा. कोर्ट ने कहा था कि बाबा रामदेव ने किसी के अधिकारों का हनन नहीं किया है.

पिछले 30 जुलाई को कोर्ट ने बाबा रामदेव को नोटिस जारी किया था. याचिका में कहा गया है कि बाबा रामदेव ने सार्वजनिक रूप से डॉक्टरों के अलावा विज्ञान को चुनौती दी है. उनके बयान से लोगों का नुकसान हो रहा है. वे मेडिकल साइंस को चुनौती दे रहे हैं. याचिका में कहा गया है कि कि बाबा रामदेव काफी प्रभावशाली व्यक्ति हैं और उनकी काफी लोगों तक पहुंच है. उनके बयान अपने प्रशंसकों को प्रभावित करते हैं.

बाबा रामदेव और एलोपैथी डॉक्टरों की संस्था IMA के बीच विवाद चल रहा है. बाबा रामदेव ने एलोपैथी को लेकर विवादास्पद बयान किया था, जिसके बाद IMA ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को पत्र लिखकर बाबा के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की थी. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने भी बाबा रामदेव को अपना बयान वापस लेने को कहा था. IMA ने बाबा रामदेव के खिलाफ लीगल नोटिस भी भेजा था. पिछले एक जून को देश भर के एलोपैथी डॉक्टरों ने बाबा रामदेव के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर काली पट्टी बांधकर काम किया था.

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