वाराणसी: खराब सड़कों को दुरुस्त करने के लिए योगी आदित्यनाथ सरकार हर साल लाखों करोड़ों रुपए खर्च करती है. लेकिन, मौसम की मार और सिस्टम की खामी की वजह से इन सड़कों की बदहाली जल्द ही दिखने लगती है. अब पीडब्ल्यूडी सड़कों को बेहतर बनाने के साथ ही विभाग के बजट को ख्याल रखने के लिए अमेरिका की तर्ज पर काम करेगी. इसकी शुरुआत पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी से जा रही है. यहां पर एक पुरानी सड़क को अमेरिका की सड़कों की तर्ज पर रिपेयरिंग करने के लिए चुना गया है. इसे कम बजट में लंबे समय के लिए बनाकर पब्लिक को बेहतर सुविधा दी जाएगी.
दरअसल लोक निर्माण विभाग नई तकनीक के जरिए सड़कों के निर्माण कार्य आगे बढ़ाने की पहल बीते कई दिनों से कर रहा है. अमेरिका की तर्ज पर इस नई तकनीक के जरिए सड़कों को किस तरह से बेहतर बनाया जाए, जिससे वह लंबे वक्त तक मजबूती से टिकी रहे. इसे लेकर इंजीनियर लगातार विदेशों की सड़कों का अध्ययन कर रहे हैं. अमेरिकी सड़कों की तर्ज पर वाराणसी में पंचकोसी परिक्रमा मार्ग पर लगातार हर 3 महीने पर खराब हो रही एक सड़क को इस तकनीक के जरिए बनाने के लिए चुना गया है.
इस बारे में लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता आरके मिश्रा ने बताया कि अमेरिकी तकनीक से जिसे अमेरिकन मैस्टिक असफाल्ट कहते हैं. उस तकनीक से सड़क निर्माण करवाया जाएगा. इस तकनीक से बनी सड़क जलजमाव में खराब नहीं होगी और न ही उस पर वाहन फिसलेंगे. इससे सड़कों की लाइफ लगभग 4 गुना बढ़ जाएगी. इस तकनीक से करौंदी चौराहे से नुआंव बाइपास तक सड़क बनाई जाएगी.
इंजीनियर आरके मिश्रा का कहना है कि आमतौर पर कंक्रीट से बनीं सड़कों की लाइफ 3 से 4 साल तक होती हैं, जबकि मैस्टिक असफाल्ट तकनीक से बनी सड़कें लगभग 20 साल तक चलती हैं. पहले चरण में दिल्ली से आए ट्रेंड वर्कर करौंदी चौराहे से नुआंव बाइपास तक 3 किमी लम्बी सड़क तैयार करेंगे. इसके बाद अन्य सड़कों का चयन किया जाएगा.
इंजीनियर ने बताया कि मैस्टिक असफाल्ट तकनीक में सड़क पर पुल की तरह सतह बनाई जाती है. इंजीनियर के मुताबिक सीसी रोड में पहले जाली लगेगी. फिर कोट बिटमिन या डामर और उसके ऊपर मैस्टिक लगेगा. सड़क की सतह को एंटी स्किड किया जाएगा, जो गाड़ियों के फिसलने से बचाएगा. इसमें लाइमस्टोन पाउडर, क्रसर डस्ट, जाली, बिटमिन और 10 एमएम ग्रिड, टायर ऑयल आदि का इस्तेमाल किया जा रहा है. इस रोड की खासियत यह होगी कि उसे कहीं से तोड़ कर पहले के स्वरूप में लाया जा सकता है.
इंजीनियर आरके मिश्रा ने बताया कि इस सड़क को बनाने में खर्च बहुत ही कम आएगा और इसकी लाइफ भी अन्य सड़कों की कंक्रीट वाली डिजाइन से कई गुना ज्यादा होगी. आम तौर पर कंक्रीट की सड़क बनाने में 1 किलोमीटर सड़क निर्माण का खर्च लगभग 7 करोड़ रुपए आता है. तो वहीं इस सड़क को बनाने में महज डेढ़ करोड़ रुपए ही 1 किलोमीटर पर खर्च होंगे यानी पैसा भी बचेगा और लाइफ भी ज्यादा होगी. इसका निर्माण आमतौर पर पुल के सरपंच के साथ ही विदेशों में वीआईपी सड़क और चौराहों को बनाने में किया जाता है. फिलहाल वाराणसी में इस 3 किलोमीटर की एक सड़क के निर्माण के बाद इसकी सफलता के अनुसार अन्य सड़कों पर भी प्लान के अनुसार कार्य को आगे बढ़ाया जाएगा.
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