ETV Bharat / state

अगर कोर्ट कचहरी की समस्याओं से चाहिए मुक्ति तो यहां आकर करें मां की भक्ति - Varanasi Latest News

मंदिरों का शहर कहे जाने वाले काशी में आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताएंगे, जिसके बारे में जानकर आपको आश्चर्य होगा. काशी के सुप्रसिद्ध दशाश्वमेध घाट पर स्थित है मां बंदी देवी का अनोखा मंदिर. अगर आप या आपके परिजन किसी मुकदमे से परेशान हैं या फिर जेल में बंद है तो मां के दरबार में ताला चाबी चढ़ाकर मन्नत करने मात्र से आपको सभी कष्टों से मुक्ति मिल जाएगी.

कष्ट मुक्ति को करें मां की पूजा
कष्ट मुक्ति को करें मां की पूजा
author img

By

Published : Oct 12, 2021, 11:40 AM IST

Updated : Oct 12, 2021, 3:15 PM IST

वाराणसी: पूरे देश में नवरात्रि की धूम है. ऐसे में मंदिरों का शहर कहे जाने वाले काशी में आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताएंगे, जिसके बारे में जानकर आपको आश्चर्य होगा. काशी के सुप्रसिद्ध दशाश्वमेध घाट पर स्थित है मां बंदी देवी का अनोखा मंदिर. अगर आप या आपके परिजन किसी मुकदमे से परेशान हैं या फिर जेल में बंद है तो मां के दरबार में ताला चाबी चढ़ाकर मन्नत करने मात्र से आपको सभी कष्टों से मुक्ति मिल जाएगी.

नवरात्र में लोग मां की 9 दिन पूजन-पाठ और आराधना करते हैं. इसके साथ ही मन्नत मांगकर यहां पर ताला चढ़ाकर जो भी भक्त अपनी फरियाद माता रानी से कहता है, मां उसकी सभी मिन्नतें पूरी कर कष्ट से मुक्ति प्रदान करती है. वहीं, इस मंदिर की महता पर सुधाकर दुबे ने बताया यह मां बंदी का दरबार है. त्रेता युग में अहिरावण ने भगवान राम लक्ष्मण को पाताल लोक ले गए थे, तभी भगवान श्रीराम ने बंदी देवी की आराधना की थी और कहा था कि हे मां मुझे इस बंदी से मुक्त करो. मां के आशीर्वाद से ही भगवान मुक्त हुए थे.

कष्ट मुक्ति को करें मां की पूजा

मंदिर से जुड़ी कहानी

सुधाकर दुबे ने बताया जब काशी बस रहा था तब बाबा श्री काशी विश्वनाथ और विष्णु ने कहा हे मां कलियुग में सभी लोग परेशान होंगे. कचहरी विभिन्न प्रकार की बाधाएं होंगी. ऐसे में जो भी पूरे श्रद्धा भाव से 41 दिनों तक आप की आराधना करेगा, उसे सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति दीजिएगा. आगे उन्होंने बताया कि नवरात्र में माता के दर्शन का विशेष महत्व होता है, क्योंकि यह समय शक्ति के आराधना का विशेष समय होता है.

इसे भी पढ़ें- धूमधाम से निकलेगी गोरक्षपीठाधीश्वर की विजयादशमी शोभायात्रा

कुलदेवी

वहीं, पूर्वांचल और बनारस के आसपास जितने भी स्वर्णकार समाज के लोग हैं, माता उनकी कुलदेवी हैं. यही वजह है कि वे प्रत्येक दिन मां के दर्शन के लिए जरूर आते हैं. मां का दरबार हमेशा भक्तों के लिए खुला रहता है. हमेशा यहां पर दर्शन का क्रम जारी रहता है. चैत्र नवरात्र के अष्टमी को और दीपावली की रात में मां का विशेष प्रकार का पूजन-पाठ और श्रृंगार किया जाता है.

मंदिर से जुड़ी कहानी
मंदिर से जुड़ी कहानी

क्यों चढ़ाते हैं ताला-चाबी

मंदिर के प्रधान पुजारी ने बताया बंधन बाधा में जो भी होता है यानी कोर्ट कचहरी, पारिवारिक समस्या, व्यापारिक समस्या, शादी में विलंब संतान की प्राप्ति न होना या फिर गलत तरीके से फंसाया गया हो. जेल से जमानत न हो रहा हो. ऐसे में लोग ताला और चाबी लेकर आते हैं और विशेष प्रकार से यहां पूजा-पाठ कर ताला-चाबी मां को भेंट कर अपनी फरियाद मां से करते हैं. वहीं, मन्नत पूरा होने पर लोग यहां दोबारा आते हैं और ताले को खोलते हैं.

मंदिर की मान्यता

दिनेश कुमार दुबे ने बताया काशी में माता रानी का इकलौता दरबार है. बंदी देवी जो कारागार की देवी हैं. भगवान श्री कृष्ण के लड़के अनिरुद्ध जब एक बार कारागार गए. उसी समय मां का प्रादुर्भाव हुआ है. काशी खंडोक्त मंदिर का एक अलग स्थान है. माता बंदी देवी अहिरावण की कुलदेवी है. अहिरावण जब भगवान को जल से पाताल लोक में ले गया था. तब माता के आदेश पर ही हनुमान जी मंदिर में प्रवेश की और भगवान को मुक्त कराया.

मंदिर से जुड़ी कहानी
मंदिर से जुड़ी कहानी

कोर्ट कचहरी के बाधा से मुक्ति

आधुनिक युग में कोर्ट कचहरी से छुटकारा पाने के लिए पूरे भारतवर्ष लोग यहां पर आते हैं. बंदी देवी की पूजा आराधना करते हैं. जेल में बंद जिनकी जमानत नहीं होती है वह विशेष अनुष्ठान के बाद यहां पर ताला बंद करते हैं और मन्नत मांगते हैं जेल से रिहा होने के बाद ताला चाबी खोला जाता है. मां का विशेष पूजन पाठ किया जाता है.

वाराणसी: पूरे देश में नवरात्रि की धूम है. ऐसे में मंदिरों का शहर कहे जाने वाले काशी में आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताएंगे, जिसके बारे में जानकर आपको आश्चर्य होगा. काशी के सुप्रसिद्ध दशाश्वमेध घाट पर स्थित है मां बंदी देवी का अनोखा मंदिर. अगर आप या आपके परिजन किसी मुकदमे से परेशान हैं या फिर जेल में बंद है तो मां के दरबार में ताला चाबी चढ़ाकर मन्नत करने मात्र से आपको सभी कष्टों से मुक्ति मिल जाएगी.

नवरात्र में लोग मां की 9 दिन पूजन-पाठ और आराधना करते हैं. इसके साथ ही मन्नत मांगकर यहां पर ताला चढ़ाकर जो भी भक्त अपनी फरियाद माता रानी से कहता है, मां उसकी सभी मिन्नतें पूरी कर कष्ट से मुक्ति प्रदान करती है. वहीं, इस मंदिर की महता पर सुधाकर दुबे ने बताया यह मां बंदी का दरबार है. त्रेता युग में अहिरावण ने भगवान राम लक्ष्मण को पाताल लोक ले गए थे, तभी भगवान श्रीराम ने बंदी देवी की आराधना की थी और कहा था कि हे मां मुझे इस बंदी से मुक्त करो. मां के आशीर्वाद से ही भगवान मुक्त हुए थे.

कष्ट मुक्ति को करें मां की पूजा

मंदिर से जुड़ी कहानी

सुधाकर दुबे ने बताया जब काशी बस रहा था तब बाबा श्री काशी विश्वनाथ और विष्णु ने कहा हे मां कलियुग में सभी लोग परेशान होंगे. कचहरी विभिन्न प्रकार की बाधाएं होंगी. ऐसे में जो भी पूरे श्रद्धा भाव से 41 दिनों तक आप की आराधना करेगा, उसे सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति दीजिएगा. आगे उन्होंने बताया कि नवरात्र में माता के दर्शन का विशेष महत्व होता है, क्योंकि यह समय शक्ति के आराधना का विशेष समय होता है.

इसे भी पढ़ें- धूमधाम से निकलेगी गोरक्षपीठाधीश्वर की विजयादशमी शोभायात्रा

कुलदेवी

वहीं, पूर्वांचल और बनारस के आसपास जितने भी स्वर्णकार समाज के लोग हैं, माता उनकी कुलदेवी हैं. यही वजह है कि वे प्रत्येक दिन मां के दर्शन के लिए जरूर आते हैं. मां का दरबार हमेशा भक्तों के लिए खुला रहता है. हमेशा यहां पर दर्शन का क्रम जारी रहता है. चैत्र नवरात्र के अष्टमी को और दीपावली की रात में मां का विशेष प्रकार का पूजन-पाठ और श्रृंगार किया जाता है.

मंदिर से जुड़ी कहानी
मंदिर से जुड़ी कहानी

क्यों चढ़ाते हैं ताला-चाबी

मंदिर के प्रधान पुजारी ने बताया बंधन बाधा में जो भी होता है यानी कोर्ट कचहरी, पारिवारिक समस्या, व्यापारिक समस्या, शादी में विलंब संतान की प्राप्ति न होना या फिर गलत तरीके से फंसाया गया हो. जेल से जमानत न हो रहा हो. ऐसे में लोग ताला और चाबी लेकर आते हैं और विशेष प्रकार से यहां पूजा-पाठ कर ताला-चाबी मां को भेंट कर अपनी फरियाद मां से करते हैं. वहीं, मन्नत पूरा होने पर लोग यहां दोबारा आते हैं और ताले को खोलते हैं.

मंदिर की मान्यता

दिनेश कुमार दुबे ने बताया काशी में माता रानी का इकलौता दरबार है. बंदी देवी जो कारागार की देवी हैं. भगवान श्री कृष्ण के लड़के अनिरुद्ध जब एक बार कारागार गए. उसी समय मां का प्रादुर्भाव हुआ है. काशी खंडोक्त मंदिर का एक अलग स्थान है. माता बंदी देवी अहिरावण की कुलदेवी है. अहिरावण जब भगवान को जल से पाताल लोक में ले गया था. तब माता के आदेश पर ही हनुमान जी मंदिर में प्रवेश की और भगवान को मुक्त कराया.

मंदिर से जुड़ी कहानी
मंदिर से जुड़ी कहानी

कोर्ट कचहरी के बाधा से मुक्ति

आधुनिक युग में कोर्ट कचहरी से छुटकारा पाने के लिए पूरे भारतवर्ष लोग यहां पर आते हैं. बंदी देवी की पूजा आराधना करते हैं. जेल में बंद जिनकी जमानत नहीं होती है वह विशेष अनुष्ठान के बाद यहां पर ताला बंद करते हैं और मन्नत मांगते हैं जेल से रिहा होने के बाद ताला चाबी खोला जाता है. मां का विशेष पूजन पाठ किया जाता है.

Last Updated : Oct 12, 2021, 3:15 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.