कानपुर : अक्सर ऐसा देखने में आता है, किसान जब अपनी फसलों को तैयार करते हैं, तो तमाम कारणों से उन्हें उतनी अच्छी पैदावार नहीं मिल पाती है. जितना कि वह उम्मीद करते हैं. इसके कई कारण भी होते हैं. कभी-कभी जलवायु परिवर्तन के चलते फसल खराब हो जाती है तो कभी अन्य कारणों से फसलों में अच्छी पैदावार नहीं आती. उनमें से एक कारण मिट्टी की सेहत का बेहतर होना भी है.
हालांकि किसान खेतों में जब बार-बार फसलें लगाते हैं तो मिट्टी की कहीं ना कहीं उर्वरता प्रभावी होती है और उसमें जो सूक्ष्म पोषक तत्व होते हैं वह भी कम हो जाते हैं और इस कारण से फसल बहुत अच्छी नहीं उगती.
इस मामले पर कानपुर में चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, सेंटर आफ एक्सीलेंस के वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ. राजीव ने शोध किया. जिसमें उन्होंने तीन सूक्ष्म पोषक तत्वों- लोहा, बोरान व जिंक की, जब पत्तियों पर बारिश कराई, तो इससे उन्हें टमाटर की फसल में साधारण तौर पर खेती की अपेक्षा 15 से 25 प्रतिशत तक अधिक पैदावार मिल गई.
इन 3 पोषक तत्व से, किसानों की फसलें लहलहायेंगी...डॉ. राजीव : वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ. राजीव ने कहा, यह तीन सूक्ष्म पोषक तत्व- आयरन, बोरान व जिंक कमाल के हैं. उन्होंने बताया भारतीय बाजारों में यह तीनों सूक्ष्म पोषक तत्व किसानों को आसानी से मिल सकते हैं, अगर किसान अपने एक एकड़ खेत में 500 से ₹700 इन सूक्ष्म पोषक तत्वों पर खर्च करता है, तो उसे 1 एकड़ की फसल में ही 15 से 25% तक की अधिक पैदावार आसानी से मिल जाएगी. उन्होंने कहा लगभग 1 सालों तक किए गए शोध में बहुत ही सार्थक परिणाम सामने आए हैं और अब यह जानकारी हम देश भर के लाखों किसानों तक पहुंचाने जा रहे हैं. डॉ. राजीव ने कहा वैसे किसी भी स्वस्थ मिट्टी में कुल 16 सूक्ष्म पोषक तत्व पाए जाते हैं. जिनमें से आयरन, बोरान व जिंक की भूमिका सबसे अहम होती है.
शोध के दौरान जो परिणाम सामने आए वह निम्न हैं:
- सूक्ष्म पोषक तत्वों की वजह से फलों का आकार बढ़ गया.
- सूक्ष्म पोषक तत्वों के छिड़काव से एक पौधे से 12 से 18 किलोग्राम तक टमाटर मिले.
- सूक्ष्म पोषक तत्वों के पत्तियों पर रहने से, प्रकाश संश्लेषण अधिक हुआ और पौधे को अधिक खाद्य पदार्थ मिला.
- सूक्ष्म पोषक तत्वों की वजह से पौधे की लंबाई में भी वृद्धि सामने आई.
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