वाराणसी: आज वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट पेश किया. महिला वित्त मंत्री होने के नाते महिलाओं को यह उम्मीद थी कि बजट उनके फेवर में आएगा. साथ ही महंगाई से राहत मिलेगी और बच्चों की शिक्षा के साथ स्वास्थ्य सुविधाओं में काफी सुधार होगा. इन सबके बीच क्या बजट सच में राहत वाला रहा और इस बजट से महिलाओं को कुछ राहत मिली. इन्हीं सवालों के जवाब तलाशने की कोशिश ईटीवी भारत ने वाराणसी में की. महिलाओं ने साफ तौर पर यह कहा कि बजट सिर्फ लॉलीपॉप जितना है और इससे जितनी उम्मीद थी वह पूरी होती नहीं दिख रही है.
बजट पर ईटीवी भारत की महिलाओं से खास बातचीत
बजट में निर्मला सीतारमण ने 'बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ' अभियान को सफल बनाते हुए इस दिशा में और अच्छे कार्य करने की बात कही. इसके अलावा महिलाओं को पोषण आहार देने के लिए, आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को स्मार्टफोन देकर उन्हें और बेहतर रूप से तैयार करने की बात कही. साथ ही साथ टैक्स स्लैब में छूट से भी निश्चित तौर पर घर के बजट को सुधारने का दावा सरकार कर रही है. इन सवालों के जवाब में महिलाओं ने कहा कि इससे निश्चित तौर पर कुछ राहत तो मिलेगी, लेकिन शिक्षा और स्वास्थ्य को लेकर बिल्कुल मायूसी हाथ लगी है.
महिलाओं का कहना है कि बच्चों की शिक्षा इतनी महंगी हो चुकी है, जिसे मैनेज करना काफी मुश्किल होता जा रहा है. घर का राशन, गैस सिलेंडर, पेट्रोल और आम जरूरत की चीजों की कीमतें आसमान पर हैं. महिलाओं ने कहा कि इन सब चीजों से फिलहाल इस बजट में कोई राहत नहीं मिली है, जिससे यह महिलाओं के हित में दिखाई दे.
महिलाओं को कुछ लाभ देने वाला नहीं है बजट
बजट को लेकर महिलाओं का साफ तौर पर कहना था कि एक महिला वित्त मंत्री होने के नाते कम से कम महंगाई को लेकर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को विशेष ध्यान देना चाहिए था. उन्हें घर की जरूरत की चीजों में कटौती करने की स्थिति में सुधार लाने के लिए घरेलू चीजों में टैक्स की दरों में कटौती करनी चाहिए थी. महिलाओं ने बजट में सस्ते मकान की खरीद पर डेढ़ लाख रुपये तक की अतिरिक्त कटौती को एक वर्ष बढ़ाने के प्रस्ताव को ठीक बताया. उन्होंने कहा कि यह बजट महिलाओं को पुरुषों के बराबर बताने की बात करने वाला है, लेकिन कहीं से भी महिलाओं को कुछ लाभ देने वाला नहीं है.