वाराणसी: गुरुकुल परंपरा भारतीय संस्कृति की महत्वपूर्ण परंपरा रही हैं. इसी के जरिए वैदिक काल में बच्चे शिक्षा ग्रहण करते थे. आधुनिकता के दौर में बच्चे भारतीय परंपरा से दूर हो रहे हैं. ऐसे में बच्चों को वैदिक परंपरा से जोड़े रखने के लिए बेसिक शिक्षा विभाग के द्वारा वैदिक शिक्षा प्रणाली को बढ़ावा दिया जा रहा है. जिसके तहत वाराणसी में बेसिक शिक्षा विभाग के द्वारा बच्चों को संस्कृत के साथ-साथ वेद और पुराण की भी शिक्षा दी जाएगी.
नन्हे नौनिहालों पढ़ेंगे वेद और ऋचाएं
भारतीय संस्कृति में आरंभ से ही शिक्षा ग्रहण करने के लिए गुरुकुल की परंपरा का निर्वहन किया गया था. परंतु वर्तमान में बच्चे गुरुकुल शिक्षा प्रणाली व वैदिक परंपरा से दूर होते जा रहे हैं. बच्चों के अंदर संस्कृति व भारतीय सभ्यता का विकास करने के लिए अब नए सत्र से उन्हें वैदिक शिक्षा प्रणाली के तहत वेद की ऋचाएं कंठस्थ कराए जाएंगे और संस्कृत भाषा का ज्ञान भी दिया जाएगा. इस बाबत स्कूल के अध्यापकों का कहना है कि इससे न सिर्फ बच्चों में भाषा के ज्ञान का विकास होगा अपितु उनका सर्वांगीण विकास होगा.
नई शिक्षा नीति के तहत शुरू होगी वैदिक शिक्षा प्रणाली
बेसिक शिक्षा अधिकारी डॉ. राकेश सिंह ने बताया कि नई शिक्षा नीति के तहत छात्रों को पुराने ज्ञान से अवगत कराने के साथ-साथ आधुनिक ज्ञान को प्रदान करना आवश्यक है और राष्ट्रीय शिक्षा नीति का भी यही उद्देश्य है कि राष्ट्रीय, स्थानीय और क्षेत्रीय भाषा के माध्यम से भारतीय संस्कृति धर्म और कला को बढ़ावा दिया जा सके. इसके तहत बच्चों को वेद और पुराण की शिक्षा दी जाएगी. उन्होंने बताया कि इससे बच्चों की जड़ मजबूत होगी और वह संस्कृत विषय के साथ अपने पौराणिक परंपराओं को भी जान सकेंगे.
बच्चों को धार्मिक ज्ञान देने के लिए बेसिक शिक्षा विभाग के द्वारा गीता प्रेस से पुस्तक लिए जाएंगे और बच्चों को सप्ताह में 1 दिन पाठ्यक्रम के अनुसार सभ्यता संस्कृति परम्पराएं पढ़ाई जाएंगी.
इसे भी पढे़ं- यूपी के प्राथमिक विद्यालयों में हैप्पीनेस पाठ्यक्रम शामिल