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MNC की नौकरी छोड़ ये युवा बना लोगों के लिए नजीर, जानें कैसे - honey bee farming

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत मिशन को वाराणसी जिले के युवा आत्मसात कर रहे हैं. एमएनसी की नौकरी छोड़कर आए युवा मोहित इन दिनों मधुमक्खी पालन कर लोगों के नजीर बन रहे हैं.

युवा मोहित इन दिनों मधुमक्खी पालन कर लोगों के नजीर बन रहे हैं.
युवा मोहित इन दिनों मधुमक्खी पालन कर लोगों के नजीर बन रहे हैं.
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Published : Oct 8, 2020, 8:16 PM IST

वाराणसी: कहते हैं मेहनत करने वालों को सफलता जरूर मिलती है. कोरोना काल में एक तरफ जहां युवा अपनी नौकरी बचाने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर कई लोगों के लिए यह आपदा अवसर के रूप में सामने आ रही है. ऐसे ही आपदा में अवसर की एक कहानी वाराणसी के मोहित की है. काशी का यह युवा एमएनसी में नौकरी छोड़ कर अपने गांव नारायणपुर आया, जहां वह मधुमक्खी पालन कर लोगों के लिए नजीर बन रहा है.

मधुमक्खी पालन पर खास रिपोर्ट
MNC की नौकरी छोड़ शुरू किया मधुमक्खी पालन

वाराणसी मुख्यालय से करीब 25 किलोमीटर दूर नारायणपुर में रहने वाले मोहित आनंद पाठक एमबीए करने के बाद दिल्ली की एमएनसी में उच्च पद पर काम कर रहे थे. लेकिन कोविड-19 की आपदा उनके लिए अवसर लेकर आई. कोविड-19 में उन्होंने अपनी नौकरी को छोड़ कर अपने गांव आने का निर्णय लिया. यहां पर ट्रेनिंग लेकर उन्होंने आधुनिक तकनीकों की मदद से मधुमक्खी पालन का काम शुरू किया. इतना ही नहीं मोहित ने इस काम में गांव के युवाओं और महिलाओं को भी जोड़ना शुरु किया है. इस तरीके से मोहित सभी लोगों के लिए एक प्रेरणा बन गए हैं. ख़ास बात यह है कि बनारस के सांसद व देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इन युवाओं के जज्बे को सराहा है.

VARANASI NEWS
एमएनसी की नौकरी छोड़कर आए युवा मोहित इन दिनों मधुमक्खी पालन कर लोगों के नजीर बन रहे हैं.
आत्मनिर्भर बनने की ओर अपना कदम आगे बढ़ा रहे मोहित से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की. उन्हें मधुमक्खी पालन करने की प्रेरणा कहां से मिली. वह किस तरीके से इस मुकाम पर पहुंचे. मोहित आनंद पाठक ने बताया कि वह दिल्ली में नौकरी कर रहे थे. लेकिन कोविड-19 में उन्होंने निर्णय लिया कि वह आधुनिक तकनीक के जरिए प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर बनने के सपने को पूरा करेंगे. इसके बाद उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ कर केवीआईसी में ट्रेनिंग करके मधुमक्खी पालन का काम शुरू किया.
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वाराणसी मुख्यालय से करीब 25 किलोमीटर दूर नारायणपुर में रहने वाले मोहित आनंद पाठक एमबीए करने के बाद दिल्ली के एमएनसी में उच्च पद पर काम कर रहे थे.

उन्होंने बताया कि मधुमक्खी पालन ऐसा कार्य है, जिसमें कम मेहनत में बेहतर मुनाफा कमाया जा सकता है. इसके लिए हमें अत्यधिक जमीन या संसाधन की जरूरत नहीं है, बस थोड़ी सी तकनीकी का प्रयोग कर मुनाफा कमाया जा सकता है. उन्होंने बताया कि बहुत सारे युवा नौकरी की राह में अपना गांव छोड़कर शहर जा रहे हैं. ऐसे युवाओं के लिए यह तकनीक बेहद अच्छी है. उन्होंने बताया कि अपने गांव के युवाओं और महिलाओं को ट्रेनिंग के जरिए मधुमक्खी पालन करने का तरीका सिखा रहा हूं, जिससे वे लोग भी आत्मनिर्भर बन सकेंगे.

VARANASI NEWS
मधुमक्खी पालन ऐसा कार्य है, जिसमें कम मेहनत में बेहतर मुनाफा कमाया जा सकता है.
वहीं मोहित के भाई रोहित ने बताया कि हम सबका सोचना है कि हम वापस से अपनी परंपरा को आधुनिक तरीके से आगे बढ़ाएं. इसलिए हम पोल्ट्री फॉर्म, मशरूम कल्टीवेशन, शीप फार्मिंग इत्यादि चीजों को कर रहे हैं, जिससे कि फायदा भी हो सके और इस काम में और लोगों को जोड़ा जा सके.
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बनारस के सांसद व देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इन युवाओं के जज्बे को सराहा है.
वहीं गांव की महिला चंदा ने बताया कि वह भी कृषि उद्यम में ट्रेनिंग लेकर के मधुमक्खी पालन कर रही है, जिससे उन्हें मुनाफा भी हो रहा है और उन्हें अच्छा लग रहा है. उन्होंने बताया कि अब वह घर बैठे ही कुछ पैसे कमा कर अपने घर का गुजारा कर रही हैं.

वाराणसी: कहते हैं मेहनत करने वालों को सफलता जरूर मिलती है. कोरोना काल में एक तरफ जहां युवा अपनी नौकरी बचाने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर कई लोगों के लिए यह आपदा अवसर के रूप में सामने आ रही है. ऐसे ही आपदा में अवसर की एक कहानी वाराणसी के मोहित की है. काशी का यह युवा एमएनसी में नौकरी छोड़ कर अपने गांव नारायणपुर आया, जहां वह मधुमक्खी पालन कर लोगों के लिए नजीर बन रहा है.

मधुमक्खी पालन पर खास रिपोर्ट
MNC की नौकरी छोड़ शुरू किया मधुमक्खी पालन

वाराणसी मुख्यालय से करीब 25 किलोमीटर दूर नारायणपुर में रहने वाले मोहित आनंद पाठक एमबीए करने के बाद दिल्ली की एमएनसी में उच्च पद पर काम कर रहे थे. लेकिन कोविड-19 की आपदा उनके लिए अवसर लेकर आई. कोविड-19 में उन्होंने अपनी नौकरी को छोड़ कर अपने गांव आने का निर्णय लिया. यहां पर ट्रेनिंग लेकर उन्होंने आधुनिक तकनीकों की मदद से मधुमक्खी पालन का काम शुरू किया. इतना ही नहीं मोहित ने इस काम में गांव के युवाओं और महिलाओं को भी जोड़ना शुरु किया है. इस तरीके से मोहित सभी लोगों के लिए एक प्रेरणा बन गए हैं. ख़ास बात यह है कि बनारस के सांसद व देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इन युवाओं के जज्बे को सराहा है.

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एमएनसी की नौकरी छोड़कर आए युवा मोहित इन दिनों मधुमक्खी पालन कर लोगों के नजीर बन रहे हैं.
आत्मनिर्भर बनने की ओर अपना कदम आगे बढ़ा रहे मोहित से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की. उन्हें मधुमक्खी पालन करने की प्रेरणा कहां से मिली. वह किस तरीके से इस मुकाम पर पहुंचे. मोहित आनंद पाठक ने बताया कि वह दिल्ली में नौकरी कर रहे थे. लेकिन कोविड-19 में उन्होंने निर्णय लिया कि वह आधुनिक तकनीक के जरिए प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर बनने के सपने को पूरा करेंगे. इसके बाद उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ कर केवीआईसी में ट्रेनिंग करके मधुमक्खी पालन का काम शुरू किया.
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वाराणसी मुख्यालय से करीब 25 किलोमीटर दूर नारायणपुर में रहने वाले मोहित आनंद पाठक एमबीए करने के बाद दिल्ली के एमएनसी में उच्च पद पर काम कर रहे थे.

उन्होंने बताया कि मधुमक्खी पालन ऐसा कार्य है, जिसमें कम मेहनत में बेहतर मुनाफा कमाया जा सकता है. इसके लिए हमें अत्यधिक जमीन या संसाधन की जरूरत नहीं है, बस थोड़ी सी तकनीकी का प्रयोग कर मुनाफा कमाया जा सकता है. उन्होंने बताया कि बहुत सारे युवा नौकरी की राह में अपना गांव छोड़कर शहर जा रहे हैं. ऐसे युवाओं के लिए यह तकनीक बेहद अच्छी है. उन्होंने बताया कि अपने गांव के युवाओं और महिलाओं को ट्रेनिंग के जरिए मधुमक्खी पालन करने का तरीका सिखा रहा हूं, जिससे वे लोग भी आत्मनिर्भर बन सकेंगे.

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मधुमक्खी पालन ऐसा कार्य है, जिसमें कम मेहनत में बेहतर मुनाफा कमाया जा सकता है.
वहीं मोहित के भाई रोहित ने बताया कि हम सबका सोचना है कि हम वापस से अपनी परंपरा को आधुनिक तरीके से आगे बढ़ाएं. इसलिए हम पोल्ट्री फॉर्म, मशरूम कल्टीवेशन, शीप फार्मिंग इत्यादि चीजों को कर रहे हैं, जिससे कि फायदा भी हो सके और इस काम में और लोगों को जोड़ा जा सके.
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बनारस के सांसद व देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इन युवाओं के जज्बे को सराहा है.
वहीं गांव की महिला चंदा ने बताया कि वह भी कृषि उद्यम में ट्रेनिंग लेकर के मधुमक्खी पालन कर रही है, जिससे उन्हें मुनाफा भी हो रहा है और उन्हें अच्छा लग रहा है. उन्होंने बताया कि अब वह घर बैठे ही कुछ पैसे कमा कर अपने घर का गुजारा कर रही हैं.
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