वाराणसी: देश के जवानों पर धोखे से पीठ पीछे हमला करने वाले आतंकियों के इरादों को फेल करने के लिये काशी के एक लाल ने आर्मी एंटी अटैक सिस्टम बनाया है. इससे किसी भी आतंकवादी गतिविधियों पर जवान सतर्क होकर कार्रवाई कर सकते हैं. यह यंत्र मानव रहित है. दिन हो या रात, यह एक समान काम करता है. आर्मी एंटी अटैक सिस्टम आर्मी बेस कैंप से 1 किलोमीटर एरिया के दायरे में किया जा सकता हैं. इसका रेंज और बढ़ाया भी जा सकता है.
वाराणसी के अशोका इंस्टिट्यूट के रिसर्च एन्ड डवलपमेंट डिपार्टमेंट के जूनियर साइंटिस्ट के नाम से फेमस श्याम चौरसिया ने बनाया फिर एक बार जवानों के सुरक्षा की दृष्टि से आर्मी एंटी अटैक सिस्टम बनाया है. जो जमीनी लड़ाई में दुश्मनों पर गिद्ध जैसी नजर रखेगा. श्याम ने इस उपकरण को दुश्मनों के हमलों से सेना के जवानों की रक्षा के लियें तैयार किया है. यह उपकरण मानव रहित है. दिन हो या रात, यह यंत्र दुश्मन के नजदीक आने की जानकारी सेना के जवानों तक पहुंचाने में मदद करेगा.
आर्मी एंटी अटैक सिस्टम कैसे काम करता है?
श्याम चौरसिया ने बताया कि, यह डिवाइस टू वे कम्युनिकेशन पर आधारित है. हमारे देश के जवान आर्मी बेस कैंप लगाते हैं. कैंप से एक किलोमीटर दूर उसके चारों तरफ डिवाइस को इनस्टॉल करने के बाद दुश्मन जवानों के कैंप के नजदीक आने की कोशिश करता है तो आर्मी एंटी अटैक सिस्टम किलोमीटर दूर अपने कैंप में जवानों को अलार्म से अलर्ट करता है. इससे समय रहते कैंप में रहने वाले जवान आतंकियों से अपनी आत्म रक्षा कर सकते है. इसमें एक गन भी लगी है. इसे सेना के जवान रेडियों रिमोट से एक किलोमीटर दूर से दुश्मन पर कैमरे से टार्गेट कर गोलियां बरसा सकेंगे.
अशोका इंस्टिट्यूट के चेयरमैन अंकित मौर्य ने श्याम के आर्मी एंटी अटैक सिस्टम की तारीफ करते हुए श्याम के प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने के लिए हर संभव मदद का आश्वासन दिया है. प्रोजेक्ट का प्रोटोटाईप का वजन तकरीबन 4 किलोग्राम है. इसे बनाने में लगभग 1, महीनें का समय लगा है, और 20 से 25 हजार का खर्च आया है. इसे बनाने में रेडियो किट, कैमरा, एक इंच मेटल पाईप, गियर बॉक्स, बैटरी, मोसन सेंसर इत्यादि पार्ट्स लगे हुए हैं.
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