वाराणसी. सात मार्च को पूर्वांचल के 9 जिलों की 54 सीटों पर मतदान होना है. पूर्वांचल की 54 सीटों में वारणसी सीट का महत्व कुछ अलग ही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यहीं से सांसद है. वाराणसी में मतदान अंतिम चरण में है. ऐसे में अब नेता जनता जनार्दन के साथ भगवान की शरण में भी पहुंचने लगे हैं. यही वजह है कि धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व के बनारस (वाराणसी) में देश के बड़े नेताओं का रेला लगा हुआ है. पीएम मोदी हों, अखिलेश यादव हों या प्रियंका-राहुल गांधी, अब ये सभी नेता प्रचार के साथ ही मंदिरों के भी चक्कर लगाते देखे जा रहे हैं.
गौरतलब है कि बनारस में पीएम मोदी की 27 फरवरी से दो दिवसीय यात्रा और विश्वनाथ मंदिर में उनका दर्शन पूजन एक बार फिर से राजनीति को धर्म से जोड़ने का मैसेज दे गया. इसके बाद तो सभी नेता एक-एक कर विश्वनाथ मंदिर का चक्कर लगाने लगे.
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ममता अखिलेश, राहुल गांधी और प्रियंका पहुंचीं बाबा के दरबार
पीएम मोदी के बाद दर्शन-पूजन के लिए ममता बनर्जी बनारस पहुंची. ममता ने यहां बाबा विश्वनाथ के दर्शन के बाद नंदी के कान में आशीर्वाद और अपनी मुराद भी मांगी. बाहर निकलकर मस्तक पर त्रिपुंड लगाकर तस्वीर खिंचवाई और उसे सोशल मीडिया पर वायरल भी करवा दिया.
अगले ही दिन राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा ने खुद को उनसे बड़ा शिवभक्त दिखाने के लिए एक किलोमीटर पैदल चलकर विश्वनाथ मंदिर में माथा टेका. इसके बाद समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव भी बनारस पहुंच गए.
अखिलेश यादव ने विश्वनाथ मंदिर के अलावा काल भैरव मंदिर और महामृत्युंजय मंदिर में भी दर्शन पूजन किया. हर-हर महादेव के जयघोष के साथ गले में दुपट्टा डालकर सिर पर त्रिपुंड लगाए अपनी तस्वीरें भी सोशल मीडिया पर वायरल करवा दीं. हमेशा से एक विशेष वर्ग के नेता के रूप में पहचान बनाने वाली समाजवादी पार्टी भी अब बनारस में हिंदुत्व की राजनीति करने से हिचक नहीं रही है.
सपा ने महंत को ही बना दिया उम्मीदवार
विश्वनाथ मंदिर के अलावा काल भैरव मंदिर और अब महामृत्युंजय मंदिर भी राजनीति में चर्चा का विषय बन गया है. समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने तो महामृत्युंजय मंदिर के महंत किशन दीक्षित को ही उम्मीदवार बना दिया है. किशन का अब वर्तमान बीजेपी विधायक डॉ. नीलकंठ तिवारी से सीधा मुकाबला है. दक्षिणी विधानसभा सीट बीजेपी के सबसे मजबूत किले के रूप में बनारस की आठ विधानसभा में एक है.
बनारस अब राजनीति का भी बड़ा केंद्र
बनारस धर्म और संस्कृति की राजधानी होने के बाद अब राजनीति का भी बड़ा केंद्र बनता जा रहा है. पूर्वांचल की 120 से ज्यादा सीटों के समीकरण को साधने के लिए हर विधानसभा चुनाव में काशी का महत्व अपने आप बहुत ज्यादा बढ़ जाता है. लोकसभा चुनावों में बनारस के अलावा आसपास के संसदीय क्षेत्र के अतिरिक्त यहां से बिहार तक की सीटों के समीकरण को साधने की कोशिश राजनीतिक दल करते रहे.
गौरतलब है कि 2014 से पहले काशी विश्वनाथ मंदिर में राजनेताओं की भीड़ नहीं लगती थी. हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब से बनारस को अपना संसदीय क्षेत्र बनाया तब से राष्ट्रीय राजनीति में हिंदूवादी चरित्र ने भी अपनी जगह बना ली. समय के साथ विश्वनाथ मंदिर में नेताओं की भीड़ बढ़ती गई.
अब तो विश्वनाथ मंदिर का बदला स्वरूप भी नेताओं को यहां पर राजनीति करने के लिए प्रेरित करने लगा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब विश्वनाथ कॉरिडोर के स्वरूप को बदलने की शुरुआत की तो पहले जमकर विरोध हुआ, राजनीति हुई. अब जब कॉरिडोर बनकर तैयार हो गया तो हर नेता यहां आकर अपनी राजनीति को उत्तर प्रदेश में चमकाना चाहता है.
नेताओं को अब हिंदूवादी इमेज से परहेज नहीं
काशी आने के बाद मां गंगा और बाबा विश्वनाथ अपने आप में सबसे महत्वपूर्ण हो जाते हैं. हर राजनीतिक दल का बड़ा नेता खुद को दूसरे से बड़ा हिंदूवादी नेता दिखाने के लिए बाबा विश्वनाथ के दर्शन जरूर करता है. फिर मस्तक पर त्रिपुंड लगाकर बाहर निकलते हैं. उनके समर्थक अपने नेता की तस्वीरों को वायरल करते हैं. वे अपने नेता को दूसरे से बड़ा हिंदूवादी नेता बताने की कोशिश करते दिखाई देते हैं.
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