वाराणसी : प्रसिद्ध अस्सी घाट पर 'काशी में वनवासी' कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश सरकार के राज्यमंत्री चौधरी उदयभान सिंह रहे. उन्होंने बिरसा मुंडा के चित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्ज्वलित करने के बाद कार्यक्रम का शुभारंभ किया. इस मौके पर विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में लगभग 300 से ज्यादा आदिवासी शामिल हुए.
![vanvasi in kashi program organized in varanasi](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/up-var-3-banvasi-program-vis-with-byte-up10036_20012021163916_2001f_02114_1015.jpg)
विभिन्न प्रकार के लगे स्टॉल
कार्यक्रम में विभिन्न प्रकार के स्टाल लगाए गए, जिसमें वनवासियों से संबंधित सामग्री के स्टॉल थे. इसमें लकड़ी का खिलौना, पत्थर की कलाकारी वाली मूर्ति, जनजातियों द्वारा प्रयोग किए जाने वाले तीर धनुष और बनारसी साड़ी पर विभिन्न प्रकार की आकृतियों वाले स्टॉल ने लोगों को अपनी ओर आकर्षित किया. राज्यमंत्री चौधरी उदयभान सिंह ने सभी स्टॉलों का निरीक्षण किया.
![vanvasi in kashi program organized in varanasi](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/up-var-3-banvasi-program-vis-with-byte-up10036_20012021163916_2001f_02114_908.jpg)
'देश की संस्कृति में आदिवासियों का महत्वपूर्ण योगदान'
चौधरी उदयभान सिंह ने बताया कि 'काशी में वनवासी' वह भी गंगा किनारे कार्यक्रम आयोजित करके एक बहुत ही शुभ और मंगल कार्य किया गया. देश में और देश की संस्कृति में आदिवासियों का एक अलग महत्वपूर्ण योगदान रहा है. उनका चरित्र चित्रण और इतिहास, देश को भाग्यवान बनाने में बहुत बड़ा हिस्सा रखता है. उनके द्वारा अपनी कला और कला से देश की संस्कृति जोड़ते हुए उसको आत्मनिर्भर भारत के साथ जोड़ना, उद्योग धंधे से जोड़ना, आर्थिक स्थिति और परिस्थिति को मजबूत करने में अपना योगदान देना, बहुत बड़ा काम है.
कार्यक्रम में भड़के आदिवासी, किया विरोध
'काशी में वनवासी' कार्यक्रम के शुरू होने के साथ ही आदिवासियों ने इस बात का विरोध किया कि हर जगह वनवासी क्यों लिखा है. हम लोग आदिवासी हैं. आदिवासियों के प्रदर्शन के दौरान कार्यक्रम की संयोजिका शिप्रा शुक्ला आदिवासियों को समझाने से पहले मीडिया का कैमरा नीचे करने लगी. शिप्रा शुक्ला ने सफाई देते हुए कहा कि यह वनवासी नहीं, आदिवासियों का कार्यक्रम है. प्रदर्शन कर रहे महेश कुमार गौड़ ने बताया कि हम लोग आदिवासी समाज से हैं न कि वनवासी समाज से.
'आदिवासी और वनवासी में नहीं है कोई अंतर'
आदिवासी और वनवासी के सवाल पर उत्तर प्रदेश सरकार के राज्यमंत्री खादी और ग्रामोद्योग चौधरी उदयभान सिंह ने कहा कि आदिवासी और वनवासी में कोई अंतर नहीं है. दोनों एक ही भाषा है. एक ही नाम है. हम आदिवासी कहेंगे, कोई वनवासी कहेगा. इतना ही फर्क है.