प्रयागराजः महाकुंभ में जीवन के विविध रंग देखने को मिल रहे हैं. एक तरफ आध्यात्मिक ऊर्जा, धर्म संस्कृति की पताकाएं फहरा रही हैं तो दूसरी तरफ रोजी-रोटी चलाने के लिए संघर्ष करते लोग भी दिखाई देंगे. इसी तरह की कहानी है राजस्थान से महाकुंभ आए पप्पू की. पप्पू ने 50 हजार रुपये कर्ज लेकर खिलौने खरीदे और महाकुंभ में बेचने पहुंच गए. पप्पू को उम्मीद थी कि खिलौने कुछ ही दिन में सारे बिक जायेंगे और वह दोबारा खिलौने लेकर महाकुंभ बेचने आएंगे. हालांकि ऐसा नहीं हुआ. खिलौने नहीं बिके तो उन्होंने 14000 में ठेलिया (BMW) खरीद ली. अब यही ठेलिया ठेलकर पप्पू 5000 से 6000 रुपए रोज काम रहे हैं.
कर्ज लेकर खिलौने खरीदे थेः पप्पू ने बताया कि 50 हजार उधार लेकर फाइबर के खिलौने खरीदे थे. खिलौने की दुकान हमने शुरुआत में लगाई तो कुछ तो बिके, लेकिन बाद में सारा माल डंप हो गया. खिलौने बिकने बंद हो गए. कुछ समझ नहीं आ रहा था कि जिससे कर्जा लिया है, उसे कैसे चुकाऊंगा. पप्पू ने बताया कि उसने देखा कि प्रयागराज के लोकल लोग महाकुंभ में ठेलिया चला रहे हैं. हमने उनसे पूछा की नई ठेलिया हमें कहां मिल जाएगी? उन्होंने बताया तो मैंने जाकर के 14 हजार में खरीद लिया. इसके बाद मेहनत करके 6 दिनों में ही पूरी ठेलिया की कीमत निकाल ली. अब हम संगम नोज से चुंगी तक ठेलिया चलाते हैं. एक बार में 7 लोगों को बैठाते हैं. हर व्यक्ति से 100 हर से लेते हैं. इस तरह से एक ट्रिप 1400 से 1500 मिल जाता है. दिनभर में 4 से 5 ट्रिप हम लगाते हैं और तीन-चार घंटे ही आराम करते हैं. टोंक राजधान के रहने वाले सुखबीर ने बताया कि लोकल लोगों को देखकर हमने भी ठेला चलाना शुरू किया. काम ठीक चल रहा है.