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महाकुंभ में खिलौने नहीं बिके तो 14 हजार रुपये में खरीदा 'BMW', रोज हो रही अच्छी कमाई, जानिए क्या है मामला? - MAHA KUMBH MELA 2025

प्रयागराज महाकुंभ में अभी भी आस्था का सैलाब उमड़ रहा है, प्रतिदिन लाखों श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाने पहुंच रहे

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ठेलिया से श्रद्धालुओं को ले जाती महिलाएं. (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 18, 2025, 8:16 PM IST

प्रयागराजः महाकुंभ में जीवन के विविध रंग देखने को मिल रहे हैं. एक तरफ आध्यात्मिक ऊर्जा, धर्म संस्कृति की पताकाएं फहरा रही हैं तो दूसरी तरफ रोजी-रोटी चलाने के लिए संघर्ष करते लोग भी दिखाई देंगे. इसी तरह की कहानी है राजस्थान से महाकुंभ आए पप्पू की. पप्पू ने 50 हजार रुपये कर्ज लेकर खिलौने खरीदे और महाकुंभ में बेचने पहुंच गए. पप्पू को उम्मीद थी कि खिलौने कुछ ही दिन में सारे बिक जायेंगे और वह दोबारा खिलौने लेकर महाकुंभ बेचने आएंगे. हालांकि ऐसा नहीं हुआ. खिलौने नहीं बिके तो उन्होंने 14000 में ठेलिया (BMW) खरीद ली. अब यही ठेलिया ठेलकर पप्पू 5000 से 6000 रुपए रोज काम रहे हैं.

कर्ज लेकर खिलौने खरीदे थेः पप्पू ने बताया कि 50 हजार उधार लेकर फाइबर के खिलौने खरीदे थे. खिलौने की दुकान हमने शुरुआत में लगाई तो कुछ तो बिके, लेकिन बाद में सारा माल डंप हो गया. खिलौने बिकने बंद हो गए. कुछ समझ नहीं आ रहा था कि जिससे कर्जा लिया है, उसे कैसे चुकाऊंगा. पप्पू ने बताया कि उसने देखा कि प्रयागराज के लोकल लोग महाकुंभ में ठेलिया चला रहे हैं. हमने उनसे पूछा की नई ठेलिया हमें कहां मिल जाएगी? उन्होंने बताया तो मैंने जाकर के 14 हजार में खरीद लिया. इसके बाद मेहनत करके 6 दिनों में ही पूरी ठेलिया की कीमत निकाल ली. अब हम संगम नोज से चुंगी तक ठेलिया चलाते हैं. एक बार में 7 लोगों को बैठाते हैं. हर व्यक्ति से 100 हर से लेते हैं. इस तरह से एक ट्रिप 1400 से 1500 मिल जाता है. दिनभर में 4 से 5 ट्रिप हम लगाते हैं और तीन-चार घंटे ही आराम करते हैं. टोंक राजधान के रहने वाले सुखबीर ने बताया कि लोकल लोगों को देखकर हमने भी ठेला चलाना शुरू किया. काम ठीक चल रहा है.

महाकुंभ में राजस्थान से आकर लोग चला रहे ठेला. (Video Credit; ETV Bharat)
ठेलिया को नाम मिला आम आदमी की BMW: बता दें कि महाकुंभ 2025 में प्रमुख सभी 7 मार्गों पर पार्किंग स्थल बनाए गए हैं. श्रद्धालुओं की कारों को 15 से 20 किलोमीटर पहले ही पार्क कराया जा रहा है. ऐसे में संगम के सबसे नजदीक का एरिया नैनी, झूंसी, और शहर की तरफ से अलोपशंकरी देवी चुंगी ही है. मेला क्षेत्र में आने के लिए वाहनों पर प्रतिबंध लगाया गया है. महाकुंभ क्षेत्र “नो व्हीकल जोन” घोषित है. पुलिस और स्वास्थ्य कर्मियों की गाड़ियां ही मेले के अंदर आ रही हैं. ऐसे में श्रद्धालुओं के पास सिर्फ एक ही ऑप्शन बचता है या तो 5 से 7 किलोमीटर पैदल चलकर संगम तक पहुंचे या फिर ठेलिया या बाइक की मदद ले. जो श्रद्धालु ग्रुप में आ रहे हैं, उनके लिए सबसे बेहतर ऑप्शन ठेलिया होता है. इसीलिए सोशल मीडिया पर इस नाम दिया गया BMW. यानी आम आदमी की VIP सवारी. राजस्थान से आए 1000 परिवार चला रहे ठेला, बाइक: महाकुंभ 2025 में रोजगार की तलाश में आए राजस्थान के 1000 परिवारों ने ठेला खरीद लिया है. जिनके पास बाइक है, वह अपनी बाइक से श्रद्धालुओं को संगम अमृत स्नान कर रहे हैं. पुरुषों के साथ राजस्थान से आने वाली महिलाएं भी उनके कंधे से कंधा मिलाकर साथ दे रही हैं. ठेला खींचने में महिलाएं और लड़कियां भी अपने परिवार का सहयोग कर रही हैं. महाकुंभ की मुख्य सड़क काली मार्ग पर और वापसी मार्ग किला रोड पर ठेला खींचने वाले राजस्थान के ये परिवार आसानी से दिख जाएंगे.इसे भी पढ़ें-महाकुंभ से काशी मुख्यालय पहुंचे आवाहन अखाड़े के साधु संन्यासी, जानिए काशी में क्यों निकाली संतों ने पेशवाई?

प्रयागराजः महाकुंभ में जीवन के विविध रंग देखने को मिल रहे हैं. एक तरफ आध्यात्मिक ऊर्जा, धर्म संस्कृति की पताकाएं फहरा रही हैं तो दूसरी तरफ रोजी-रोटी चलाने के लिए संघर्ष करते लोग भी दिखाई देंगे. इसी तरह की कहानी है राजस्थान से महाकुंभ आए पप्पू की. पप्पू ने 50 हजार रुपये कर्ज लेकर खिलौने खरीदे और महाकुंभ में बेचने पहुंच गए. पप्पू को उम्मीद थी कि खिलौने कुछ ही दिन में सारे बिक जायेंगे और वह दोबारा खिलौने लेकर महाकुंभ बेचने आएंगे. हालांकि ऐसा नहीं हुआ. खिलौने नहीं बिके तो उन्होंने 14000 में ठेलिया (BMW) खरीद ली. अब यही ठेलिया ठेलकर पप्पू 5000 से 6000 रुपए रोज काम रहे हैं.

कर्ज लेकर खिलौने खरीदे थेः पप्पू ने बताया कि 50 हजार उधार लेकर फाइबर के खिलौने खरीदे थे. खिलौने की दुकान हमने शुरुआत में लगाई तो कुछ तो बिके, लेकिन बाद में सारा माल डंप हो गया. खिलौने बिकने बंद हो गए. कुछ समझ नहीं आ रहा था कि जिससे कर्जा लिया है, उसे कैसे चुकाऊंगा. पप्पू ने बताया कि उसने देखा कि प्रयागराज के लोकल लोग महाकुंभ में ठेलिया चला रहे हैं. हमने उनसे पूछा की नई ठेलिया हमें कहां मिल जाएगी? उन्होंने बताया तो मैंने जाकर के 14 हजार में खरीद लिया. इसके बाद मेहनत करके 6 दिनों में ही पूरी ठेलिया की कीमत निकाल ली. अब हम संगम नोज से चुंगी तक ठेलिया चलाते हैं. एक बार में 7 लोगों को बैठाते हैं. हर व्यक्ति से 100 हर से लेते हैं. इस तरह से एक ट्रिप 1400 से 1500 मिल जाता है. दिनभर में 4 से 5 ट्रिप हम लगाते हैं और तीन-चार घंटे ही आराम करते हैं. टोंक राजधान के रहने वाले सुखबीर ने बताया कि लोकल लोगों को देखकर हमने भी ठेला चलाना शुरू किया. काम ठीक चल रहा है.

महाकुंभ में राजस्थान से आकर लोग चला रहे ठेला. (Video Credit; ETV Bharat)
ठेलिया को नाम मिला आम आदमी की BMW: बता दें कि महाकुंभ 2025 में प्रमुख सभी 7 मार्गों पर पार्किंग स्थल बनाए गए हैं. श्रद्धालुओं की कारों को 15 से 20 किलोमीटर पहले ही पार्क कराया जा रहा है. ऐसे में संगम के सबसे नजदीक का एरिया नैनी, झूंसी, और शहर की तरफ से अलोपशंकरी देवी चुंगी ही है. मेला क्षेत्र में आने के लिए वाहनों पर प्रतिबंध लगाया गया है. महाकुंभ क्षेत्र “नो व्हीकल जोन” घोषित है. पुलिस और स्वास्थ्य कर्मियों की गाड़ियां ही मेले के अंदर आ रही हैं. ऐसे में श्रद्धालुओं के पास सिर्फ एक ही ऑप्शन बचता है या तो 5 से 7 किलोमीटर पैदल चलकर संगम तक पहुंचे या फिर ठेलिया या बाइक की मदद ले. जो श्रद्धालु ग्रुप में आ रहे हैं, उनके लिए सबसे बेहतर ऑप्शन ठेलिया होता है. इसीलिए सोशल मीडिया पर इस नाम दिया गया BMW. यानी आम आदमी की VIP सवारी. राजस्थान से आए 1000 परिवार चला रहे ठेला, बाइक: महाकुंभ 2025 में रोजगार की तलाश में आए राजस्थान के 1000 परिवारों ने ठेला खरीद लिया है. जिनके पास बाइक है, वह अपनी बाइक से श्रद्धालुओं को संगम अमृत स्नान कर रहे हैं. पुरुषों के साथ राजस्थान से आने वाली महिलाएं भी उनके कंधे से कंधा मिलाकर साथ दे रही हैं. ठेला खींचने में महिलाएं और लड़कियां भी अपने परिवार का सहयोग कर रही हैं. महाकुंभ की मुख्य सड़क काली मार्ग पर और वापसी मार्ग किला रोड पर ठेला खींचने वाले राजस्थान के ये परिवार आसानी से दिख जाएंगे.इसे भी पढ़ें-महाकुंभ से काशी मुख्यालय पहुंचे आवाहन अखाड़े के साधु संन्यासी, जानिए काशी में क्यों निकाली संतों ने पेशवाई?
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