वाराणसी: भारत रत्न पंडित मदन मोहन मालवीय द्वारा 1916 में बसंत पंचमी के दिन काशी हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना की गई. बीएचयू में हिंदी विभाग 1920 में खोला गया, जिसके 100 वर्ष पूरे हुए. इसी हिंदी विभाग में आचार्य रामचंद्र शुक्ल, आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी जैसे महान साहित्यकारों ने छात्रों को शिक्षा दिया. वहीं दक्षिण भारत के प्रोफेसर नागप्पा भी विभाग से जुड़े रहे.
वाराणासी के काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग की स्थापना के सौ वर्ष वर्ष पूरे होने के अवसर पर दो दिवसीय ई-संगोष्ठी का आयोजन हुआ. इस संगोष्ठी के दूसरे दिन विभिन्न विद्वानों ने अपनी बात रखी. "हिंदी अकादमिकता की एक सदी और काशी हिंदू विश्वविद्यालय का हिंदी विभाग" विषय पर केंद्रित इस संगोष्ठी में विभाग के शताब्दी गौरव यात्रा पर दो सत्रों में चर्चा हुई. संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में बतौर मुख्य वक्ता प्रो. रामदरश मिश्र, विशिष्ट वक्ता डॉ. विश्वनाथ त्रिपाठी शामिल हुए. इसकी अध्यक्षता कुलपति प्रो. राकेश भटनागर ने किया.
बीएचयू हिंदी विभाग से कितनी ही विभूतियां निकली. सौ साल के इतिहास की दृष्टि से भले ही छोटा काल खंड हो पर किसी भी संस्था के लिए यह बहुत बड़ी बात होती है. इस अवसर पर बीज वक्तव्य पेश करते हुए बीएचयू के हिंदी विभाग के वरिष्ठ प्राध्यापक प्रो. अवधेश प्रधान ने कहा कि अपना पूरा जीवन हिंदी विभाग में पढ़ते-पढ़ाते ही बिता दिया. अब जब सेवानिवृत होने का समय आया यह विभाग अपनी शताब्दी पूरी कर रहा है. ये गौरवबोध हमेशा साथ रहेगा कि विभाग की एक सदी की यात्रा में तकरीबन आधी सदी तक इस विभाग से जुड़ाव रहा. यह हमारा सौभाग्य रहा कि जहां पर आचार्य रामचंद्र शुक्ल, हजारी प्रसाद द्विवेदी, आचार्य नंददुलारे वाजपेई, दक्षिण भारत में हिंदी साहित्य की स्थापना करने वाले प्रोफेसर नागप्पा भी हिंदी विभाग से जुड़े रहे हैं.