वाराणसी: वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब गुजरात छोड़कर वाराणसी पहुंचे तो प्रधानमंत्री बनने से पहले उन्होंने गंगा की स्वच्छता के लिए वाराणसी से बड़ा बयान जारी किया. मां गंगा ने बुलाया है और मां गंगा के निर्मलीकरण और स्वच्छता के लिए प्रयास शुरू होंगे. शायद यही वजह है कि सत्ता में आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गंगा को लेकर कई प्लान तैयार किए और गंगा की स्वच्छता पहले से कहीं बेहतर भी हो चली है, लेकिन गंगा निर्मलीकरण अभियान और गंगा की स्वच्छता को धार देने के लिए सिर्फ अकेले प्रधानमंत्री मोदी नहीं बल्कि छोटे-छोटे कुछ ऐसे जीव भी हैं जो गंगा को स्वच्छ निर्मल और अविरल बनाने में जुटे हुए हैं. यह जीव दिखने में भले ही छोटे बड़े या अन्य कई आकार के हो लेकिन इनके प्रयासों से गंगा में फेंकी जा रही अधजली लाशें, सड़े हुए मांस और फूल माला के साथ पानी की वजह से इकट्ठा होने वाली काई साफ हो रही है. यह जीव कोई और नहीं बल्कि वह कछुए हैं. इनको वाराणसी के सारनाथ स्थित कछुआ पुनर्वास और हैचिंग केंद्र में पाला जाता है, या यूं कहें इनके अंडों से निकलने का इंतजार यहां पर होता है. इसके बाद इन्हें बड़ा होने के साथ ही गंगा में छोड़कर गंगा की स्वच्छता में एक मजबूती प्रदान करने का काम होता है.
यमुना, चंबल नदी के तटीय इलाके से कछुओं के अंडों को बड़े ही सावधानी से संकलित करके पुनर्वास केंद्र में लाकर एक ऐसे कमरे में रखा जाता है जो पूरी तरह से इन कछुओं के बाहर निकलने के अनुकूल है. वन्य जीव प्रभाग की टीम करीब 70 दिनों तक इन अंडों की निगरानी करती है जमीन में पानी भरकर उसके ऊपर ईट रखकर लकड़ी के बक्सों में रेत के अंदर अंडों को दबाकर रखा जाता है. 27 से 30 डिग्री तापमान पर हेचरिंग का काम पूरा किया जाता है. एक बॉक्स में 30 अंडों को ही रखा जाता है, जून से जुलाई के बीच इन अंडों से बच्चे बाहर आते हैं और फिर उसके बाद इन्हें कृत्रिम तालाब में रखकर इनकी निगरानी की जाती है और 2 वर्ष तक इंतजार करने के बाद इनके बड़ा होने के पश्चात इन्हें गंगा नदी में छोड़ा जाता है.
कछुआ पुनर्वास केंद्र के प्रभारी निशिकांत सोनकर का कहना है कि हर साल आगरा और इटावा से 2,000 कछुए के अंडे यहां लाए जाते हैं और इनका पालन पोषण करने के बाद इनको गंगा नदी में सफाई के लिए छोड़ दिया जाता है. बीते लगभग 10 सालों में इस पुनर्वास केंद्र से 4636 कछुओं को गंगा में छोड़ा गया है और इस वर्ष भी लगभग 300 से ज्यादा कछुए के बच्चे अंडों से निकल चुके हैं जिनका पालन पोषण शुरू हो गया है.
आंकड़ों में कछुए
वर्ष | अंडे | गंगा में छोड़े गए |
2012-13 | 2000 | 831 |
2013-14 | 2000 | 1066 |
2014-15 | 2000 | 815 |
2015-16 | 350 | 215 |
2016-17 | 2000 | 458 |
2017-18 | 132 | 52 |
2018-19 | 1860 | 494 |
2019-20 | 2000 | 615 |
2022-23 | 2000 | 300 (अब तक) |