वाराणसी: काशी परंपराओं की नगरी कही जाती है और परंपरा का निर्वहन करते हुए बुधवार को काशी में अन्नकूट पर्व (Annakoot festival in Kashi) मनाया जा रहा है, जिसकी मान्यता है कि यहां कोई भूखा नहीं सोता और माता अन्नपूर्णा अन्नकूट के मौके पर पूरे काशी का पेट भरने के लिए छप्पन भोग तैयार कर भक्तों में प्रसाद स्वरूप वितरित करती हैं. इसी मौके पर अन्नपूर्णा मंदिर समेत विश्वनाथ मंदिर और अन्य देवालयों में अन्नकूट की भव्य झांकी (Grand tableau of Annakoot) सजाई गई है.
काशी के ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, 27 वर्ष बाद इस बार ऐसा हो रहा है कि दिवाली के दूसरे दिन नहीं बल्कि तीसरे दिन बुधवार को अन्नकूट का पर्व और गोवर्धन पूजा मनाई जा रही है. श्रीकाशी विश्वनाथ धाम के समीप देवी अन्नपूर्णा का प्राचीन मंदिर है. मंदिर के महंत शंकर पुरी के अनुसार, देवी अन्नपूर्णा को 151 क्विंटल प्रसाद का 56 भोग अर्पित किया गया है. दर्शन-पूजन का कार्यक्रम संपन्न होने के बाद श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरित किया जाएगा
महंत शंकर पुरी ने कहा कि अन्नकूट का पर्व मनाने से इंसान को लंबी आयु और आरोग्य की प्राप्ति होती है. काशी विश्वनाथ मंदिर प्रशासन ने बताया कि बाबा विश्वनाथ को 51 क्विंटल प्रसाद का 56 भोग दोपहर की मध्याह्न आरती में अर्पित किया जाएगा. इसके बाद श्रद्धालु बाबा विश्वनाथ के अन्नकूट महोत्सव का दर्शन-पूजन कर सकेंगे.
प्रचलित कथाओं के अनुसार: ब्रज के लोग इंद्र का पूजन करके 56 भोग का प्रसाद अर्पित करते थे. श्रीकृष्ण ने बाल्यावस्था में इंद्र की पूजा को निषिद्ध कर गोवर्धन पर्वत की पूजा कराई. साथ ही, स्वयं दूसरे स्वरूपों से गोवर्धन बन कर अर्पित की गई. पूरी भोजन सामग्री का भोग लगाया था. यह देख कर इंद्र ने ब्रज क्षेत्र पर प्रलयंकारी बारिश की, लेकिन श्रीकृण ने गोवर्धन पर्वत को हाथ पर रख कर ब्रजवासियों को उसके नीचे खड़ा कर बचा लिया. तभी से कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को गोवर्धन पूजा और अन्नकूट मनाने की परंपरा चली आ रही है.
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