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वाराणसी में वीआईपी मूवमेंट बन रहे गाय और सांड की दुर्दशा का कारण - stray animals

वाराणसी में आए दिन होने वाले वीआईपी मूवमेंट ने आवारा जानवरों की हालत खराब कर दी है. बता दें कि वीआईपी मूवमेंट के चलते आवारा जानवरों को पकड़कर कांजी हाउस में बंद कर दिया जाता है, जहां पर उन्हें न तो खाने को सही से मिलता है और न ही रहने को. इससे जानवरों की जान पर आफत बन आई है.

वाराणसी में वीआईपी मूवमेंट बन रहे हैं गाय और सांड की दुर्दशा का कारण.
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Published : Jun 1, 2019, 1:00 PM IST

वाराणसी : वाराणसी में वीआईपी मूवमेंट की वजह से बेजुबानों को परेशानी झेलनी पड़ रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रचंड जीत हासिल कर जब सत्ता में आए तो उन्होंने वाराणसी का दौरा किया. उनके दौरे से पहले 125 से ज्यादा छुट्टा जानवरों को पकड़कर कांजी हाउस भेज दिया गया. इनमें से आज भी 50 से ज्यादा जानवर कांजी हाउस में बंद पड़े हैं और खून सुखा देने वाली गर्मी में खुले आसमान के नीचे भूखे प्यासे तड़प रहे हैं. यानी बनारस में तेजी से होने वाले वीआईपी मूवमेंट की वजह से बेजुबान जानवरों की जान पर आफत बन आई है.

वाराणसी में वीआईपी मूवमेंट बन रहे हैं गाय और सांड की दुर्दशा का कारण.
उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री के रूप में योगी आदित्यनाथ ने जब शपथ ली तो गोवंश के काटे जाने वाले बूचड़खाने पर रोक लगा दी. इसके बाद गोवंश की संख्या धीरे-धीरे बढ़ती जा रही है. यही वजह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बीते 5 साल के कार्यकाल में जब भी बनारस का दौरा होता था तो कई बार उनकी गाड़ी के आगे कोई सांड या गाय आ जाया करती थी. इसके अलावा अन्य वीआईपी मूवमेंट पर भी ऐसे ही हालात देखने को मिलते थे. इसकी वजह से अब उनके दौरे की शुरुआत के साथ ही इनकी धरपकड़ शुरू हो गई और इनको पकड़कर कांजी हाउस पहुंचाया गया. कांजी हाउस के केयरटेकर और इंचार्ज दोनों का कहना है कि वीआईपी मूवमेंट के दौरान 125 से ज्यादा जानवर पकड़कर यहां लाए गए. जिनमें से अभी 50 यहीं पर बंद है. इनको या तो इनके मालिक ले नहीं गए या फिर सांड या बछड़े होने की वजह से उनको कोई पूछ ही नहीं रहा है.

जिंदगी और मौत से जूझ रहे बेजुबान
सबसे चौंकाने वाली बात तो यह है कि बनारस के इस कांजी हाउस में मौजूद गाय और सांड बदहाली की स्थिति में हैं. इनको खिलाने के लिए सिर्फ भूसा मौजूद है. इसकी वजह से सूखा भूसा ही नांद में डाल दिया जाता है और यह खाकर वह पौष्टिक आहार भी नहीं पा पाते. इतना ही नहीं 45 डिग्री से ऊपर तापमान में इनको खुले आसमान के नीचे रखा गया है, जिसकी वजह से कई जानवर बीमार पड़ गए और जिंदगी-मौत से लड़ रहे हैं.

यह भी जानें

  • सबसे चौंकाने वाली बात तो यह है कि बदहाली की इस स्थिति में कांजी हाउस में मौजूद जानवरों की मौत भी लगातार हो रही है.
  • कांजी हाउस के इंचार्ज का कहना है कि 6 महीने के अंदर लगभग 10 जानवरों की मौत कांजी हाउस में हो चुकी है, जिनमें से चार गाय और 6 सांड हैं.
  • सबसे अहम यह है कि पकड़े जाने वाली गायों को यहां पर जितने दिन रखा जाता है, उतने दिन 200 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से गायों के मालिक से उनके खाने के लिए रुपये लिए जाते हैं.
  • इसके अलावा गायों को छोड़ने के लिए 1000 रुपये जुर्माना अलग वसूला जाता है.
  • इसके बाद भी खाने के लिए सिर्फ भूसा दिया जा रहा है.

निश्चित है मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गायों को बचाने की कवायद कर रहे हैं, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र में वीआईपी दौरों की वजह से इन गायों और सांडों पर संकट आ गया है. ऐसे में अब यह सवाल उठने लगा है कि जब इनको पकड़कर कांजी हाउस भेजा जा रहा है तो इनके लिए उचित व्यवस्थाएं क्यों नहीं की जा रही हैं. यहां पर इन्हें क्यों भूखा और खुले आसमान के नीचे तपती धूप में रखा जा रहा है.

वाराणसी : वाराणसी में वीआईपी मूवमेंट की वजह से बेजुबानों को परेशानी झेलनी पड़ रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रचंड जीत हासिल कर जब सत्ता में आए तो उन्होंने वाराणसी का दौरा किया. उनके दौरे से पहले 125 से ज्यादा छुट्टा जानवरों को पकड़कर कांजी हाउस भेज दिया गया. इनमें से आज भी 50 से ज्यादा जानवर कांजी हाउस में बंद पड़े हैं और खून सुखा देने वाली गर्मी में खुले आसमान के नीचे भूखे प्यासे तड़प रहे हैं. यानी बनारस में तेजी से होने वाले वीआईपी मूवमेंट की वजह से बेजुबान जानवरों की जान पर आफत बन आई है.

वाराणसी में वीआईपी मूवमेंट बन रहे हैं गाय और सांड की दुर्दशा का कारण.
उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री के रूप में योगी आदित्यनाथ ने जब शपथ ली तो गोवंश के काटे जाने वाले बूचड़खाने पर रोक लगा दी. इसके बाद गोवंश की संख्या धीरे-धीरे बढ़ती जा रही है. यही वजह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बीते 5 साल के कार्यकाल में जब भी बनारस का दौरा होता था तो कई बार उनकी गाड़ी के आगे कोई सांड या गाय आ जाया करती थी. इसके अलावा अन्य वीआईपी मूवमेंट पर भी ऐसे ही हालात देखने को मिलते थे. इसकी वजह से अब उनके दौरे की शुरुआत के साथ ही इनकी धरपकड़ शुरू हो गई और इनको पकड़कर कांजी हाउस पहुंचाया गया. कांजी हाउस के केयरटेकर और इंचार्ज दोनों का कहना है कि वीआईपी मूवमेंट के दौरान 125 से ज्यादा जानवर पकड़कर यहां लाए गए. जिनमें से अभी 50 यहीं पर बंद है. इनको या तो इनके मालिक ले नहीं गए या फिर सांड या बछड़े होने की वजह से उनको कोई पूछ ही नहीं रहा है.

जिंदगी और मौत से जूझ रहे बेजुबान
सबसे चौंकाने वाली बात तो यह है कि बनारस के इस कांजी हाउस में मौजूद गाय और सांड बदहाली की स्थिति में हैं. इनको खिलाने के लिए सिर्फ भूसा मौजूद है. इसकी वजह से सूखा भूसा ही नांद में डाल दिया जाता है और यह खाकर वह पौष्टिक आहार भी नहीं पा पाते. इतना ही नहीं 45 डिग्री से ऊपर तापमान में इनको खुले आसमान के नीचे रखा गया है, जिसकी वजह से कई जानवर बीमार पड़ गए और जिंदगी-मौत से लड़ रहे हैं.

यह भी जानें

  • सबसे चौंकाने वाली बात तो यह है कि बदहाली की इस स्थिति में कांजी हाउस में मौजूद जानवरों की मौत भी लगातार हो रही है.
  • कांजी हाउस के इंचार्ज का कहना है कि 6 महीने के अंदर लगभग 10 जानवरों की मौत कांजी हाउस में हो चुकी है, जिनमें से चार गाय और 6 सांड हैं.
  • सबसे अहम यह है कि पकड़े जाने वाली गायों को यहां पर जितने दिन रखा जाता है, उतने दिन 200 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से गायों के मालिक से उनके खाने के लिए रुपये लिए जाते हैं.
  • इसके अलावा गायों को छोड़ने के लिए 1000 रुपये जुर्माना अलग वसूला जाता है.
  • इसके बाद भी खाने के लिए सिर्फ भूसा दिया जा रहा है.

निश्चित है मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गायों को बचाने की कवायद कर रहे हैं, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र में वीआईपी दौरों की वजह से इन गायों और सांडों पर संकट आ गया है. ऐसे में अब यह सवाल उठने लगा है कि जब इनको पकड़कर कांजी हाउस भेजा जा रहा है तो इनके लिए उचित व्यवस्थाएं क्यों नहीं की जा रही हैं. यहां पर इन्हें क्यों भूखा और खुले आसमान के नीचे तपती धूप में रखा जा रहा है.

Intro:स्पेशल:

Anchor-वाराणसी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब वाराणसी से 2014 में चुनाव लड़ा उसके बाद उन्होंने बनारस को बतौर प्रधानमंत्री बाद में एक सांसद के रूप में पहले देखा. शायद यही वजह है कि बीते 5 सालों में उन्होंने बनारस के कई दौरे कर 40 हजार करोड़ रुपए की सौगात दी. हर बार जब प्रधानमंत्री का दौरा होता था तब कुछ ना कुछ ऐसी व्यवस्थाएं की जाती थी जिससे प्रधानमंत्री को कोई परेशानी ना हो. परेशानी कि जब बात आती है तो बनारस में छुट्टा जानवर सबसे बड़ी समस्या का सबब बन जाते हैं. शायद यही वजह है कि नई पारी की शुरुआत के साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के काशी आगमन को लेकर अब हर बार छुट्टा जानवरों पर नकेल कसने का काम भी शुरू हो गया. इस जीत के बाद पहली बार प्रधानमंत्री मोदी जब बनारस आये तो उनके दौरे से पहले 125 से ज्यादा छुट्टा जानवरों दिन में गाय और सांड के साथ बछड़े शामिल है पकड़कर कांजी हाउस भेज दिया गया. जिनमें से आज भी 50 से ज्यादा जानवर ऐसी कांजी हाउस में बंद पड़े हैं और खून सुखा देने वाली गर्मी में खुले आसमान के नीचे भूखे प्यासे तड़प रहे हैं. यानी बनारस है तेजी से होने वाले वीआईपी मूवमेंट की वजह से आफत इन बेजुबान जानवरों पर आई है और जिस सरकारी तंत्र के बूटे उनकी खुशहाली होनी चाहिए उसकी वजह से आज यह बदहाल और मरने पर मजबूर भी, कैसे देखिए इस खास रिपोर्ट में.


ओपनिंग पीटीसी- गोपाल मिश्र





Body:वीओ-01 उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री के रूप में योगी आदित्यनाथ ने जब शपथ ली तो गाय और अन्य छुट्टा जानवरों को अवैध रूप से कांटे जाने वाले बूचड़खाने के ऊपर रोक लगा दी. इसके बाद इनकी धीरे-धीरे संख्या बढ़ती जा रही है. बनारस में तो सांडो को भगवान महादेव का स्वरूप माना जाता है, वही यहां गली गली में गाय आम है. यही वजह है कि के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बीते 5 साल के कार्यकाल में बनारस का दौरा होता था तो कई बार उनकी गाड़ी के आगे कोई सांड या गाय आया करती थी. जिसकी वजह से अब उनके दौरे की शुरुआत के साथ ही इनकी धरपकड़ शुरू हो गई और इनको पकड़कर कांजी हाउस पहुंचाया गया. कांजी हाउस के केयरटेकर और इंचार्ज दोनों का कहना है कि वीआईपी मूवमेंट के दौरान 125 से ज्यादा जानवर पकड़कर यहां लाए गए. जिनमें से अभी 50 यहीं पर बंद है इनको या तो इनके मालिक ले नहीं गए या फिर सांड या बछड़े होने की वजह से उनको कोई पूछ ही नहीं रहा है. सबसे चौंकाने वाली बात तो यह है कि बनारस के इस कांजी हाउस में मौजूद गाय और सांड बदहाली की स्थिति में हैं. इनको खिलाने के लिए सिर्फ भूसा मौजूद है जबकि खली है ही नहीं, जिसकी वजह से सूखा भूसा ही के नांद में डाल दिया जाता है और यह खा कर इसे पौष्टिक आहार भी नहीं पा पाते. इतना ही नहीं 45 डिग्री से ऊपर तापमान में इनको खुले आसमान के नीचे रखा गया है जिसकी वजह से कई जानवर बीमार पड़ गए और जिंदगी और मौत से लड़ रहे हैं.

बाईट- भरत कुमार, इंचार्ज, कांजी हाउस



Conclusion:वीओ-02

- सबसे चौंकाने वाली बात तो यह है कि बदहाली की इस स्थिति में कांजी हाउस में मौजूद जानवरों की मौत भी लगातार हो रही है

- कांजी हाउस के इंचार्ज का कहना है 6 महीने के अंदर लगभग 10 जानवरों की मौत कांजी हाउस में हो चुकी है जिनमें से चार गाय और 6 सांड है

- सबसे अहम यह है कि पकड़े जाने वाली गायों को यहां पर जितने दिन रखा जाता है उतने दिन 200 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से गायों के मालिक से उनके खाने के लिए रुपए लिए जाते हैं

- इसके अलावा गायों को छोड़ने के लिए 1000 रुपये जुर्माना अलग वसूला जाता है

- इसके बाद भी गायों को पोषण के नाम पर सिर्फ भूसा दिया जा रहा है खली नहीं

- निश्चित है मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गायों को बचाने की कवायद कर रहे हैं लेकिन प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र में प्रधानमंत्री के लगातार हो रहे बनारस दौरे की वजह से इन गाय और सांडो पर संकट आ गया है. जिसके बाद अब यह सवाल उठने लगा है आखिर इनको पकड़कर यदि कांजी हाउस भेजा जा रहा है तो इनकी सुरक्षा क्यों नहीं की जा रही है? जहां इनको भूखा रखा जा रहा है खुले आसमान के नीचे तपती धूप में इन्हें छोड़ दिया जा रहा है मरने के लिए.

क्लोजिंग पीटीसी- गोपाल मिश्र

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