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लघु भारत में एकीकार होगी हिंदी और तमिल संस्कृति, 75 स्टालों से प्रदर्शित होगा दक्षिण भारत - बीएचयू के एमपीथिएटर

एक भारत सर्वश्रेष्ठ भारत की कल्पना को साकार करने के लिए काशी में काशी तमिल संगमम का आयोजन किया जा रहा है. संगमम को लेकर तैयारियां जोरों पर चल रही हैं. काशी हिंदू विश्वविद्यालय में बकायदा बड़ा पंडाल भी तैयार किया जा रहा है. इसके साथ ही पूरे ग्राउंड को टेंट सिटी का रूप दिया जा रहा है. इस संगमम में पीएम मोदी भी शामिल होंगे. 17 नवंबर से 16 दिसंबर तक वाराणसी में काशी तमिल संगमम का आयोजन किया जा रहा है.

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Published : Nov 18, 2022, 7:26 PM IST

वाराणसी : एक भारत सर्वश्रेष्ठ भारत की कल्पना को साकार करने के लिए काशी में काशी तमिल संगमम (Kashi Tamil Sangamam) का आयोजन किया जा रहा है. संगमम को लेकर तैयारियां जोरों पर चल रही हैं. काशी हिंदू विश्वविद्यालय में बकायदा बड़ा पंडाल भी तैयार किया जा रहा है. इसके साथ ही पूरे ग्राउंड को टेंट सिटी का रूप दिया जा रहा है. इस संगमम में पीएम मोदी भी शामिल होंगे. 17 नवंबर से 16 दिसंबर तक वाराणसी में काशी तमिल संगमम का आयोजन किया जा रहा है.

तमिल संगमम के कार्यक्रम बीएचयू के एमपीथिएटर मैदान (MPtheater of BHU) में आयोजित होंगे. इसके लिए ग्राउंड में टेंट सिटी बनाई जा रही है. जिसमें एक बड़ा पंडाल है और उसके आसपास कुल 75 स्टॉल बनाए गए हैं. इन सभी को रंग-बिरंगी झालरों से सजाया जा रहा है. इस पंडाल को मूर्त रूप देने के लिए 100 से ज्यादा मजदूर जुटे हुए हैं. काशी में पहली बार इस तरीके का वृहद तमिल संगमम कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है. जिसमें काशी के आंगन में तमिलनाडु की झलक दिखाई देगी.

काशी तमिल संगमम की जानकारी देतीं संवाददाता प्रतिमा तिवारी.

नोडल व क्षेत्रीय पुरातात्विक अधिकारी सुभाष यादव (Nodal and Regional Archaeological Officer Subhash Yadav) बताते हैं कि इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री की एक भारत सर्वश्रेष्ठ भारत की संकल्पना को साकार किया जा रहा है. इसके लिए शिक्षा मंत्रालय को जिम्मेदारी सौंपी गई है. इसमें आईआईटी मद्रास और बीएचयू को आयोजक बनाया गया है. एक महीने के कार्यक्रम के क्रम में दिन में तमिल विषयों पर संगोष्ठी आयोजित की जाएंगी और इसके साथ शाम को लोक कला और शास्त्रीय कलाओं की प्रस्तुत की जाएगी. संगोष्ठीयों के लिए आईआईटी मद्रास के 2500 लोगों का 12 ग्रुप बनाया गया है. इसमें दक्षिण के कल्चरल, आर्किटेक्चरल, टेंपल, नॉलेज हेरिटेज इत्यादि के बारे में बताया जाएगा.साथ ही कई सारी तमिल की क्लासिकल फिल्में भी लोगों को दिखाई जाएंगी.


75 स्टालों में दिखेगी तमिल संस्कृति की झलक : संस्कृतियों के साथ-साथ दक्षिण भारत के व्यंजनों का भी लोग आनंद उठा सकेंगे. यहां लगे 75 स्टालों में दक्षिण भारत के अलग-अलग शहरों के ओडीओपी प्रोडक्ट, वहां के अलग-अलग शहरों के व्यंजन जिनमें इडली, डोसा, सांभर, उत्तपम, पोरियल, मोर कुलंबू पुलीकूलंबू, मुरुक्कु, लेमन राइस, पोंगल समेत दर्जनों व्यंजन, हैंडीक्राफ्ट, हैंडलूम इत्यादि कलाओं से बनी हुई वस्तुओं की भी प्रदर्शनी लगाई जाएगी.

यह भी पढ़ें : राष्ट्रीय मिर्गी दिवस: मिर्गी में अंधविश्वास नहीं इलाज पर दें ध्यान, वरना हो सकता है घातक

वाराणसी : एक भारत सर्वश्रेष्ठ भारत की कल्पना को साकार करने के लिए काशी में काशी तमिल संगमम (Kashi Tamil Sangamam) का आयोजन किया जा रहा है. संगमम को लेकर तैयारियां जोरों पर चल रही हैं. काशी हिंदू विश्वविद्यालय में बकायदा बड़ा पंडाल भी तैयार किया जा रहा है. इसके साथ ही पूरे ग्राउंड को टेंट सिटी का रूप दिया जा रहा है. इस संगमम में पीएम मोदी भी शामिल होंगे. 17 नवंबर से 16 दिसंबर तक वाराणसी में काशी तमिल संगमम का आयोजन किया जा रहा है.

तमिल संगमम के कार्यक्रम बीएचयू के एमपीथिएटर मैदान (MPtheater of BHU) में आयोजित होंगे. इसके लिए ग्राउंड में टेंट सिटी बनाई जा रही है. जिसमें एक बड़ा पंडाल है और उसके आसपास कुल 75 स्टॉल बनाए गए हैं. इन सभी को रंग-बिरंगी झालरों से सजाया जा रहा है. इस पंडाल को मूर्त रूप देने के लिए 100 से ज्यादा मजदूर जुटे हुए हैं. काशी में पहली बार इस तरीके का वृहद तमिल संगमम कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है. जिसमें काशी के आंगन में तमिलनाडु की झलक दिखाई देगी.

काशी तमिल संगमम की जानकारी देतीं संवाददाता प्रतिमा तिवारी.

नोडल व क्षेत्रीय पुरातात्विक अधिकारी सुभाष यादव (Nodal and Regional Archaeological Officer Subhash Yadav) बताते हैं कि इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री की एक भारत सर्वश्रेष्ठ भारत की संकल्पना को साकार किया जा रहा है. इसके लिए शिक्षा मंत्रालय को जिम्मेदारी सौंपी गई है. इसमें आईआईटी मद्रास और बीएचयू को आयोजक बनाया गया है. एक महीने के कार्यक्रम के क्रम में दिन में तमिल विषयों पर संगोष्ठी आयोजित की जाएंगी और इसके साथ शाम को लोक कला और शास्त्रीय कलाओं की प्रस्तुत की जाएगी. संगोष्ठीयों के लिए आईआईटी मद्रास के 2500 लोगों का 12 ग्रुप बनाया गया है. इसमें दक्षिण के कल्चरल, आर्किटेक्चरल, टेंपल, नॉलेज हेरिटेज इत्यादि के बारे में बताया जाएगा.साथ ही कई सारी तमिल की क्लासिकल फिल्में भी लोगों को दिखाई जाएंगी.


75 स्टालों में दिखेगी तमिल संस्कृति की झलक : संस्कृतियों के साथ-साथ दक्षिण भारत के व्यंजनों का भी लोग आनंद उठा सकेंगे. यहां लगे 75 स्टालों में दक्षिण भारत के अलग-अलग शहरों के ओडीओपी प्रोडक्ट, वहां के अलग-अलग शहरों के व्यंजन जिनमें इडली, डोसा, सांभर, उत्तपम, पोरियल, मोर कुलंबू पुलीकूलंबू, मुरुक्कु, लेमन राइस, पोंगल समेत दर्जनों व्यंजन, हैंडीक्राफ्ट, हैंडलूम इत्यादि कलाओं से बनी हुई वस्तुओं की भी प्रदर्शनी लगाई जाएगी.

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