वाराणसी: धर्म और अध्यात्म की नगरी वाराणसी तेजी से विकसित हो रही है. 10 हजार करोड रुपये से ज्यादा की योजनाओं का संचालन होने के साथ ही बनारस को मॉडर्न सिटी बनाने का पूरा प्लान क्रियान्वित किया जा रहा है.धर्मनगरी होने के साथ बनारस पर्यटन का भी बड़ा केंद्र है. धार्मिक पर्यटन के साथ ही परिवहन का एक नया मार्ग वाराणसी से प्रशस्त होगा. सी-प्लेन (sea plane) के जरिए अयोध्या, मथुरा, चित्रकूट और प्रयागराज को जोड़ा जाएगा.
इसके लिए भारतीय अंतरर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (आईडब्ल्यूएआई) ने वाराणसी में सी प्लेन(sea plane) के संचालन की अनुमति मांगी है और प्रधानमंत्री कार्यालय की सहमति के बाद केंद्र सरकार को पूरी परियोजना का प्रस्ताव भेज दिया गया है. सब कुछ योजना के अनुसार रहा तो सितंबर से सी प्लेन की सेवा शुरू हो सकती है.
इस योजना के तहत सी प्लेन सेवा (sea plane service) के लिए बनारस से खिरकिया घाट (Khirkiya Ghat) पर पर्यटकों को सवार करने और उतारने की व्यवस्था की जाएगी. बता दें कि पहले से ही खिरकिया घाट (Khirkiya Ghat) पर लगभग 36 करोड़ रुपये की लागत से जमीन, आसमान और पानी के रास्ते काशी को जोड़ने की कवायद शुरू हो चुकी है.
गुजरात के बाद अब यूपी की बारी
दरअसल, गुजरात में केवडिया से अहमदाबाद के बीच अक्टूबर 2020 में सी प्लेन सेवा(sea plane service) शुरू की गई थी. वाराणसी में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए भारतीय जलमार्ग प्राधिकरण के प्रयासों से अब उत्तर प्रदेश में इसकी तैयारी चल रही है. इस बारे में पर्यटन अधिकारी कीर्तिमान श्रीवास्तव ने बताया कि यह प्लान पुराना है. राम नगरी अयोध्या में सी प्लेन उतारने को लेकर पहले ही पर्यटन और जलमार्ग प्राधिकरण बात कर चुका था, लेकिन इसको अब काशी, मथुरा, प्रयागराज और चित्रकूट से जोड़ने की तैयारी की जा रही है.
शासन को भेजा गया प्लान
पर्यटन अधिकारी ने बताया कि इसके लिए प्रधानमंत्री कार्यालय से प्लान मांगा गया था. जिसका प्लान पर्यटन निदेशक ने बना कर जिला प्रशासन को सौंप दिया है. जिला प्रशासन की तरफ से इस प्लान को शासन तक भेजा जा चुका है. अब उम्मीद है कि जल्द ही बनारस में सी-प्लेन का सपना पूरा हो जाएगा.
12 लोगों से बैठने की होगी क्षमता
गंगा नदी में सी-प्लेन उतारने की योजना फिलहाल अभी अपने प्रारंभिक स्टेज में है. इस सेवा के लिए किराया कितना होगा और इसका रूट कौन सा होगा. यह सब अभी निर्धारित होना बाकी है. अभी पर्यटन विभाग पर्यटकों की दृष्टि से इसे महत्वपूर्ण योजना मान रहा है. उम्मीद है कि जल्द ही इसकी शुरुआत की जा सकती है. फिलहाल सिंगल इंजन का 12 सीटर सी प्लेन इस योजना के लिए तैयार करवाया जाएगा.
खिरकिया घाट पर बनेगा अप एंड डाउन सेंटर
गंगा नदी में सी प्लेन उतारना ही काफी नहीं है. सी प्लेन को उतारने से पहले इसके आगे की प्लानिंग की भी तैयारी करनी अनिवार्य है. प्लेन कहां पर खड़ा होगा, पर्यटक कहां से सवार होंगे, पर्यटक उतरेंगे कहां पर इन सब की प्लानिंग भी करनी जरूरी है. इस बारे में अधिकारियों का कहना है कि वाराणसी में राजघाट से आगे खिरकिया घाट पर पहले से ही इसके लिए घाट डेवलप करने की योजना क्रियान्वित की जा रही है. इस घाट का मॉडल तैयार हो गया है और काम भी चल रहा है. सबसे खास यह है कि इस घाट को जल, वायु और पानी तीनों से जोड़ने की तैयारी की गई है. खिरकिया घाट को प्रारंभिक स्टेज में रखकर काम को आगे बढ़ाया जा रहा है. खिरकिया घाट पर 35.83 करोड़ की लागत से लगभग 11 एकड़ से ज्यादा में घाट के री-डेवलपमेंट की योजना क्रियान्वित हो रही है. जहां पर कार पार्किंग के साथ ही चलने वाले क्रूज़ और सी प्लेन के साथ ही हेलीकॉप्टर उतरने की भी व्यवस्था की जाएगी.
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सबसे पहले गुजरात में शुरू हुई थी सी-प्लेन सेवा
भारत में सी-प्लेन सेवा का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 31 अक्टूबर को सरदार वल्लभ भाई पटेल की 145वीं जयंती पर किया था. इसे गुजरात के केवडिया से अहमदाबाद के लिए शुरू किया गया था. इतना ही नहीं पीएम मोदी इसके पहले यात्री बने थे. केवडिया और अहमदाबाद के बीच शुरू हुई इस सेवा के लिए प्रति व्यक्ति 4800 रुपये किराया निर्धारित किया गया था.
सी-प्लेन की खासियत
सी-प्लेन जमीन के साथ पानी में भी उतर सकता है. इसका निर्माण उपभोक्ता सेवाओं को ध्यान में रखकर किया गया है. इसे माल ढुलाई, फसलों पर कीटनाशकों का छिड़काव, एंबुलेंस के रूप में प्रयोग किया जा सकता है. इसकी सीटों को जरूरत के मुताबिक हटाया भी जा सकता है. इसमें 10 से 12 सीटें होती हैं. इस विमान की अधिकतम गति 330 किमी/घंटा है, जो 12 हजार फीट की ऊंचाई तक उड़ सकता है. इसको टेक ऑफ के लिए मात्र 300 मीटर जमीन या पानी के तल पर दौड़ाना पड़ता है. इस विमान में केवल एक इंजन होता है, जिसे चलाने के लिए सिर्फ एक पायलट की जरूरत है.