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'सबके राम, सबमें राम’ मंत्र के साथ रामपंथ में दीक्षित हुए समाज के आखिरी पंक्ति के लोग

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Published : Jan 25, 2022, 4:46 PM IST

रामपंथ के संस्थापक इंद्रेश कुमार ने सभी पिछड़े समाज के लोगों के गले में तुलसी की कंठी डाली, रामनामी यंत्र दिया और कान में राम नाम का गुरूमंत्र दिया. गुरूमंत्र लेने के बाद सभी रामपंथियों के चेहरे खिल उठे.

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'सबके राम, सबमें राम’ मंत्र के साथ रामपंथ में दीक्षित हुए समाज के अंतिम लोग

वाराणसी : राम मंदिरों की गांव–गांव में स्थापना, अंतिम व्यक्ति तक राम नाम पहुंचाने व राम मंदिरों में पुजारी बनाने के लिए रामपंथ की ओर से दीक्षा संस्कार का आयोजन लमही स्थित श्रीराम आश्रम में किया गया. वहीं, पूर्वी उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों से आए पिछड़े और आदिवासी समाज के लोगों के चेहरों पर प्रसन्नता और संतोष के भाव दिखे.

गौरतलब है कि सनातन धर्म में सर्वोच्च सम्मान संतों, महात्माओं और पुजारियों को है. रामपंथ ने सनातन धर्म को व्यवहारिक रूप से समावेशी बनाने के लिए सूत्र दिया ‘सबके राम, सबमें राम’. वहीं, काशी के पुरोहित पंडित श्रीराम तिवारी ने वैदिक मंत्रों के साथ सभी दीक्षा लेने वाले राम प्रेमियों से हवन कराया. तिलक लगाया और गंगा जल से आचमन कराने के बाद गुरूमंत्र लेने के लिए संकल्पित कराया.

वहीं, रामपंथ के संस्थापक इंद्रेश कुमार ने सभी पिछड़े समाज के लोगों के गले में तुलसी की कंठी डाली, रामनामी यंत्र दिया और कान में राम नाम का गुरूमंत्र दिया. गुरूमंत्र लेने के बाद सभी रामपंथियों के चेहरे खिल उठे.

यह भी पढ़ें : लकड़ी से बने विश्वनाथ धाम और राम मंदिर के खास मॉडल की चुनाव में बढ़ी मांग, जानें कारण

चेहरे पर गर्व और सम्मान के भाव थे. सभी रामपंथियों को राम काज के विस्तार की जिम्मेदारी दी गयी. गांव-गांव में राम परिवार का मंदिर बनाने की योजना बनी. सभी रामपंथियों ने काशी विश्वनाथ मंदिर और अयोध्या में श्रीराम मंदिर का दर्शन करने का शपथ लिया.

इस अवसर पर रामपंथ के पंथाचार्य डाॅ. राजीव श्रीगुरूजी ने नए रामपंथियों को शॉल ओढ़ाकर, तिलक व माला पहनाकर सम्मानित किया. इस अवसर पर इंद्रेश कुमार ने कहा कि अब भगवान श्रीराम के साथ धर्म की स्थापना करने वाले उनके साथियों के वंशजों को रामकाज करने की जिम्मेदारी देकर सर्वोच्च समान दिया गया.

अब ये न अछूत हैं और न ही उपेक्षित. इनके सम्मान से ही भारतीय संस्कृति का सम्मान बढ़ेगा. अब राम संस्कृति के विस्तार की जिम्मेदारी भगवान श्रीराम के साथियों के वंशजों के कंधे पर है जिन्हें हम आज आदिवासी कहते हैं.

रामपंथ के पंथाचार्य डाॅ. राजीव श्रीगुरूजी ने कहा कि दुनियां में शांति स्थापना हेतु रामपंथ का विस्तार जरूरी है. रामपंथी सभी धर्मों के बीच समन्वय और सेतु का काम करेगा. सभी धर्मों के बीच समन्वय हेतु रामपंथ ने ‘रामसेतु योजना’ का प्रारम्भ किया है.

वाराणसी : राम मंदिरों की गांव–गांव में स्थापना, अंतिम व्यक्ति तक राम नाम पहुंचाने व राम मंदिरों में पुजारी बनाने के लिए रामपंथ की ओर से दीक्षा संस्कार का आयोजन लमही स्थित श्रीराम आश्रम में किया गया. वहीं, पूर्वी उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों से आए पिछड़े और आदिवासी समाज के लोगों के चेहरों पर प्रसन्नता और संतोष के भाव दिखे.

गौरतलब है कि सनातन धर्म में सर्वोच्च सम्मान संतों, महात्माओं और पुजारियों को है. रामपंथ ने सनातन धर्म को व्यवहारिक रूप से समावेशी बनाने के लिए सूत्र दिया ‘सबके राम, सबमें राम’. वहीं, काशी के पुरोहित पंडित श्रीराम तिवारी ने वैदिक मंत्रों के साथ सभी दीक्षा लेने वाले राम प्रेमियों से हवन कराया. तिलक लगाया और गंगा जल से आचमन कराने के बाद गुरूमंत्र लेने के लिए संकल्पित कराया.

वहीं, रामपंथ के संस्थापक इंद्रेश कुमार ने सभी पिछड़े समाज के लोगों के गले में तुलसी की कंठी डाली, रामनामी यंत्र दिया और कान में राम नाम का गुरूमंत्र दिया. गुरूमंत्र लेने के बाद सभी रामपंथियों के चेहरे खिल उठे.

यह भी पढ़ें : लकड़ी से बने विश्वनाथ धाम और राम मंदिर के खास मॉडल की चुनाव में बढ़ी मांग, जानें कारण

चेहरे पर गर्व और सम्मान के भाव थे. सभी रामपंथियों को राम काज के विस्तार की जिम्मेदारी दी गयी. गांव-गांव में राम परिवार का मंदिर बनाने की योजना बनी. सभी रामपंथियों ने काशी विश्वनाथ मंदिर और अयोध्या में श्रीराम मंदिर का दर्शन करने का शपथ लिया.

इस अवसर पर रामपंथ के पंथाचार्य डाॅ. राजीव श्रीगुरूजी ने नए रामपंथियों को शॉल ओढ़ाकर, तिलक व माला पहनाकर सम्मानित किया. इस अवसर पर इंद्रेश कुमार ने कहा कि अब भगवान श्रीराम के साथ धर्म की स्थापना करने वाले उनके साथियों के वंशजों को रामकाज करने की जिम्मेदारी देकर सर्वोच्च समान दिया गया.

अब ये न अछूत हैं और न ही उपेक्षित. इनके सम्मान से ही भारतीय संस्कृति का सम्मान बढ़ेगा. अब राम संस्कृति के विस्तार की जिम्मेदारी भगवान श्रीराम के साथियों के वंशजों के कंधे पर है जिन्हें हम आज आदिवासी कहते हैं.

रामपंथ के पंथाचार्य डाॅ. राजीव श्रीगुरूजी ने कहा कि दुनियां में शांति स्थापना हेतु रामपंथ का विस्तार जरूरी है. रामपंथी सभी धर्मों के बीच समन्वय और सेतु का काम करेगा. सभी धर्मों के बीच समन्वय हेतु रामपंथ ने ‘रामसेतु योजना’ का प्रारम्भ किया है.

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