वाराणसी: जिले के काशी हिंदू विश्वविद्यालय की नियुक्तियों पर एक बार फिर आरोप लगे हैं. विश्वविद्यालय नियुक्तियों को लेकर सुर्खियों में रहा संस्कृत विधा धर्म विज्ञान संकाय में फिरोज खान की नियुक्ति का मामला हो या फिर हिंदी डिपार्टमेंट में नियुक्ति का मामला, हिंदी भाषी छात्रों ने पूरे शहर में बड़े-बड़े होडिंग लगा दिए हैं और कुलपति को हिंदी विरोधी बताया है. वहीं अब कांग्रेस ने भी विश्वविद्यालय की नियुक्तियों पर आरोप लगाते हुए राष्ट्रपति और एचआरडी मिनिस्टर से शिकायत की है. जिले के विधान परिषद प्रत्याशी संजीव सिंह ने यह शिकायत की है और बीएचयू पर गंभीर आरोप लगाए हैं.
कुलपति महोदय ने रद्द की नियुक्तियां
संजीव सिंह ने आरोप लगाते हुए कहा कि लॉकडाउन को देखते हुए वित्तमंत्री ने स्वयं अगले 6 महीने तक नई योजनाओं को रोक दिया. तभी लॉकडाउन के दौरान नियुक्तियां की गईं. उन्होंने कहा कि नियुक्तियां करना कोई गलत नहीं था, नियुक्तियां स्पेशली दो डिपार्टमेंट में की जाती है. चिकित्सा विज्ञान संकाय और विज्ञान संकाय, वहीं कला संकाय और सामाजिक विज्ञान संकाय की नियुक्तियां रोक दी गईं. चिकित्सा विज्ञान संकाय और विज्ञान संकाय की नियुक्तियों में कई शिक्षकों की नियुक्तियां हुई हैं. उन्होंने बताया कि कुलपति महोदय ने कार्यकारिणी की बैठक की पावर ऑफ अटॉर्नी अपने पास रखी है और सारी नियुक्तियां कर दीं.
राष्ट्रपति और एचआरडी मिनिस्टर से की शिकायत
संजीव सिंह ने बताया कि जैसे ही उन्हें इसका पता चला उन्होंने इसकी शिकायत एचआरडी मिनिस्टर, प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया और कांग्रेस पार्टी के बड़े नेताओं से की है. उन्होंने बताया कि यह शिकायत उन्होंने ट्विटर के माध्यम से की है. उन्होंने यह मांग की है कि इसकी जांच की जाए.
नियुक्ति में हो रहा क्षेत्रवाद
संजीव सिंह ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए कहा कि वहां पर जो नियुक्तियां हो रही हैं, उसमें हैदराबाद और कोलकाता के एक्सपर्ट भी इन्हीं जगहों के हैं. उन्होंने कहा कि कहीं न कहीं यह नियुक्तियां पक्षपात और क्षेत्रवाद को दिखा रही हैं. उन्होंने कहा कि जहां के एक्सपोर्ट थे, उन्हीं राज्यों के कैंडिडेट का सेलेक्शन भी हुआ है.
नई भर्तियों के लिए निकाला विज्ञापन
विधान परिषद प्रत्याशी संजीव सिंह ने कहा कि देश जहां वैश्विक महामारी का दंश झेल रहा है, वहीं पर नई नियुक्तियों का विज्ञापन निकाला गया यह भी सही नहीं है, इसकी भी जांच होनी चाहिए.
इस पूरे मामले पर काशी हिंदू विश्वविद्यालय के जनसंपर्क अधिकारी डॉ. राजेश सिंह ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि आरोप निराधार हैं. यहां सभी नियुक्तियां भारत सरकार के नियमानुसार होती हैं.