कानपुर: सोचकर देखिए, क्या शासन की कोई भी योजना हो सकती है जो 10 सालों में पूरी न हो सके? पर, कानपुर में ऐसा ही हुआ. कानपुर समेत यूपी की अपूर्ण परियोजनाओं में यह योजना टॉप पर शामिल है. हैरान कर देने वाली बात यह भी है, योगी सरकार में कुछ ऐसे अफसर हैं. जिन्हें अपनी मर्जी से ही काम करना है. भले ही काम में कितनी भी देरी हो जाए.
शुक्रवार को इसी की बानगी खुद कानपुर के डीएम जितेंद्र प्रताप सिंह ने तब देखी, जब वह चुन्नीगंज स्थित जीआईसी मैदान के अंदर बने रहे स्व.अटल बिहारी बाजपेई सभागार का निरीक्षण करने पहुंचे थे. डीएम को मौके पर मौजूद यूपी सिडको के एक्सईएन ने बताया, सितंबर 2015 में यह सभागार बनना शुरू हुआ था और 8.63 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाला यह सभागार अभी तक अधूरा है. मौके की स्थिति देखते ही डीएम नाराज हो गये. उन्होंने जिम्मेदारों को नोटिस जारी करने के आदेश दिए. वहीं, यूपी सिडको के एमडी से कहा, सभी जिम्मेदार अफसरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर शासन स्तर से इस परियोजना का निरीक्षण करा लें.
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पिछले 10 साल में चार करोड़ खर्च: डीएम जितेंद्र प्रताप सिंह ने मौके पर मौजूद अफसरों से कहा, 8.63 करोड़ रुपये में से चार करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं. बावजूद इसके अभी तक 10 सालों में आपने किया क्या? डीएम ने प्रोजेक्ट देखने के बाद पूरी स्थिति पर आश्चर्य जताया. कहा, जब यूपी सिडको विभागीय पद्धति से इसे न बना सका तो अफसरों ने इसे किसी कंपनी को सौंप दिया. कंपनी के जिम्मेदार भी कुछ बताने को तैयार नहीं हैं. डीएम ने कहा, इतनी बड़ी लापरवाही आजतक देखने को नहीं मिली, कि किसी परियोजना को 10 साल में पूरा नहीं कर पाए. वहीं, मौजूद अफसरों ने दावा किया सितंबर 2025 तक सभागार बनकर तैयार हो जाएगा.