वाराणसीः कोरोना काल में सरकारी अस्पतालों को तमाम स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराई गई थीं, जिससे मरीजों के इलाज में कोई समस्या न हो. इन्हीं सुविधाओं में से एक सुविधा थी 'धन्वंतरि चलंत अस्पताल' की. 4 बाइकों को धन्वंतरि चलंत अस्पताल में परिवर्तित करके इसे 14 अगस्त 2020 को बनारस को समर्पित किया गया था. परंतु इन दिनों धन्वंतरि चलंत अस्पताल धूल फांक रहे हैं.
केंद्रीय राज्यमंत्री ने जनता को किया था समर्पित
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री अश्वनी कुमार चौबे ने 4 बाइकों को धन्वंतरि चलंत अस्पताल में तब्दील कराके 14 अगस्त 2020 को बनारस की जनता को समर्पित किया था, जिससे कि शहर की तंग गलियों और गांव-गांव में जाकर जांच और इलाज की सुविधा उपलब्ध कराने में किसी भी प्रकार की कोई समस्या न हो. परंतु 6 माह के अंदर ही यह सभी धूल फांकते हुए नजर आ रहे हैं. विभाग इसकी उपयोगिता न होना इसे बंद करने का वजह बता रहा है.
एक बाइक का अन्य कामों में हो रहा प्रयोग
धन्वंतरि चलंत अस्पताल के माध्यम से 76 प्रकार की खून जांच और चिकित्सकीय परामर्श भी उपलब्ध कराया जा रहा था, लेकिन आज यह साजो-सामान शिवपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के बाहर पड़ा हुआ है. इनमें से एक बाइक के ऊपर रखे बक्से को हटाकर उसे अन्य कामों में उपयोग किया जा रहा है. वहीं तीन बाइकों पर लगे बक्से पूरी तरीके से कबाड़ हो गए हैं. किसी की सीट फट चुकी है, तो किसी की बैटरी खराब हो चुकी है, लेकिन किसी को इसकी परवाह नहीं है.
ऐसा है लबाइक लैब
धन्वंतरि चलंत अस्पताल लबाइक लैब पर तीन बक्से लगे हैं. एक में फ्रीजर यानी कि लैब है. इसे चलाने के लिए 4 बैटरी भी लगी हुई है, जो बॉक्स के ऊपरी हिस्से में लगे सोलर पैनल से चार्ज होती है. वहीं अन्य दो बॉक्स में सैंपल बकेट रखने की व्यवस्था बनाई गई है. इसके साथ ही पोर्टेबल छतरी, कुर्सी, बैनर भी टीम साथ लेकर चलती है. यह व्यवस्था दो लैब टेक्नीशियन लेकर चलते हैं. जहां भी कैंप लगता है, वहां पर स्वास्थ्य विभाग के लोग भी मौजूद रहते हैं. परंतु इन दिनों इन सुविधाओं का उपयोग कोई भी नहीं कर पा रहा है.
इन जांचों की है सुविधा
इस लबाइक धन्वंतरि चलंत अस्पताल में शुगर, एचआईवी, आरबीसी, टीएलसी, डीएलसी, यूरिक एसिड, कोलेस्ट्रॉल, क्रिएटिनिन, यूरिन केमिकल, माइक्रोस्कोपी,ईएएलबी, विड्रॉल, ग्लूकोस, लिवर फंक्शन, किडनी फंक्शन, एचवीसी आदि जांचें कराई जा रही थी.
सीएमओ ने कहा नहीं है जरूरत
इस बाबत चिकित्सा अधिकारी से बातचीत की गई तो उन्होंने अपना पल्ला झाड़ते हुए कहा कि वर्तमान में इसकी जरूरत नहीं है. जब आवश्यकता होगी तो इसे उपयोग में लाया जाएगा. लेकिन यहां पर गौर करने वाली बात यह है कि इन जांचों के लिए आज भी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, सरकारी अस्पतालों और अन्य जगहों पर लंबी लाइनें लगती हैं. लोग कतारों में खड़े होकर अपनी बारी का इंतजार करते हैं.
जनता को नहीं मिल रहा लाभ
प्रशासन चाहे तो इन धन्वंतरि चलंत अस्पताल का प्रयोग करके सुविधाओं को गांव-गांव तक पहुंचा सकता है. आज भी शहर की तंग गलियों और गांवों में एंबुलेंस का पहुंचना मुश्किल है. ऐसे में विभाग को पुनः बाइक लैब को काम में लाने के लिए सोचना चाहिए. विभागीय लापरवाही सरकार के सपने को पलीता लगा रही है. साथ ही आमजन को इसका लाभ भी नहीं मिल रहा है.