वाराणसीः सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय के तत्वावधान में "ऑनलाइन शिक्षण प्लेटफार्म और उपकरण का उपयोग" विषय पर गुरुवार को एक वेबिनार का आयोजन किया गया. आयोजित वेबिनार में राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय लखनऊ के साहित्य एवं पाली के प्रोफेसर प्रफुल्ल गडपाल ने बतौर मुख्य वक्ता अपने विचार व्यक्त किये.
गुरुकुल शिक्षा पद्धति के साथ ई शिक्षा भी है आवश्यक
प्रफुल्ल गडपाल ने कहा कि भारतीय शिक्षा पद्धति में गुरुकुल शिक्षा पद्धति महत्वपूर्ण मानी जाती है, लेकिन आज की परिस्थिति के अनुसार ई शिक्षा पद्धति की तरफ हम सभी बढ रहे हैं. इस तरह से ई शिक्षा पद्धति को एक उपयोगी उपकरण के माध्यम से लगातार उपयोग किया जा रहा है. कोरोना काल में शिक्षा व्यवस्था परिस्थति के मुताबिक चलती रहनी चाहिए.
नई शिक्षा नीति पर हो रहा काम
उन्होंने कहा कि विद्यालय शिक्षा व्यवस्था, उच्च शिक्षा व्यवस्था, दूरस्थ शिक्षा व्यवस्था, पत्राचार शिक्षा व्यवस्था, ओपेन शिक्षा व्यवस्था एवं ऑनलाइन शिक्षा व्यवस्था की तरफ आज हम चल रहे हैं. नई शिक्षा नीति के अन्तर्गत आज शिक्षण संस्थानों मे वृहद् रूप से कार्य किये जा रहे हैं.
डिजिटल शिक्षा बन रही जन उपयोगी
डॉ. गडपाल ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से दी जाने वाली आभासी रूप शिक्षा पद्धति है. कोरोना काल में सोशल मिडिया के माध्यम से समाजिक और शारीरिक दूरी के पालन के साथ शिक्षा व्यवस्था चलती रही. गूगल एप, गूगल मीट, गूगल शीट, गूगल ड्राइव, गूगलफॉर्म, गूगल मेल, गूगल डॉक्स, यूट्यूब चैनल, फेसबुक एवं अन्य उपकरणों को जनउपयोगी बनाया जा रहा है. आज इसी पर शिक्षा व्यवस्था आधारित है.
नई शिक्षा नीति भारत एवं भारतीयता की है शिक्षा पद्धति
अध्यक्षता कुलपति प्रो. राजाराम शुक्ल ने करते हुये कहा कि नई शिक्षा नीति, 2020 वास्तव में भारतीय शिक्षा नीति या भारत-भारतीय एवं भारतीयता की शिक्षा पद्धति है. वर्तमान मे संक्रमण के कारण ऑनलाइन शिक्षा नीति पर आधारित शिक्षा पर बल दिया जा रहा है. कुलपति आचार्य शुक्ल ने कहा कि आज रिस्किलिंग की व्यवस्था बनाने एवं प्रशिक्षित करने पर बल देने की आवश्यकता है. शिक्षक मेधा में अन्य से अधिक मेधावान माने जाते हैं. इसलिये उन्हें इस शिक्षा प्रणाली के अनुसार परम्परागत शिक्षा को और कारगर बनाने पर कार्य करने की आवश्यकता है.
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के प्रारम्भ में वैदिक, पौराणिक एवं पाली मंगलाचरण किया गया. कार्यक्रम का संयोजन एवं संचालन प्रो. रमेश प्रसाद ने किया.