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फिर उठी भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु समेत अन्य क्रांतिकारियों को शहीद का दर्जा देने की मांग

यूपी के वाराणसी आए कनाडा से एनआरआई ने शहीद भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, सुखदेव और राजगुरु समेत तमाम क्रांतिकारियों को शहीद का दर्जा देने की मांग कर रहे हैं. वह अपने गले में क्रांतिकारियों को शहीद का दर्जा दिलाए जाने की मांग का बैनर टांग कर प्रदर्शन कर रहे हैं.

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Published : Aug 26, 2019, 11:00 AM IST

क्रांतिकारियों को शहीद का दर्जा देने की मांग.

वाराणसी: हंसते-हंसते देश की खातिर शहीद भगत सिंह, अशफाक उल्ला खान, चंद्रशेखर आजाद, सुखदेव और राजगुरु समेत तमाम क्रांतिकारियों ने अपने प्राणों की आहुति दे दी. वहीं आज तक इन क्रांतिकारियों को शहीद का दर्जा नहीं मिला है. सरकारे आईं और गईं सिर्फ मिला तो इन्हें शहीद का दर्जा देने का आश्वासन. वाराणसी में कनाडा से आए एनआरआई ने इन क्रांतिकारियों को शहीद का दर्जा दिलाये जाने की मांग करते हुए एक अनोखे तरीके से प्रदर्शन शुरू किया है.

क्रांतिकारियों को शहीद का दर्जा देने की मांग.

क्रांतिकारियों को शहीद का दर्जा देने की मांग-
शहीद भगत सिंह के गांव के रहने वाले जसवंत सिंह बाल्टा आठ सालों तक कनाडा में थे. कनाडा से जब लौटकर अपने गांव आए तो भगत सिंह और अन्य क्रांतिकारियों को शहीद का दर्जा दिलाए जाने की मांग उठने लगी. लोगों ने अपने-अपने तरीके से आंदोलन की शुरुआत करने की प्लानिंग की. जसवंत सिंह ने देश के अलग-अलग हिस्सों में जाकर कुछ अलग अंदाज में सरकार को नींद से जगाने की कोशिश की. इसके तहत वह दिल्ली, कोलकाता और अन्य शहरों में गए और अपने गले में शहीद भगत सिंह और अन्य क्रांतिकारियों को शहीद का दर्जा दिलाए जाने की मांग का बैनर टांग कर घूमने लगे. कहीं कोई असर न होने पर अब वे पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी पहुंचे हैं.

पढ़ें:- गोरखपुर: अमर शहीद स्वतंत्रता सेनानी बंधु सिंह का मनाया गया 161वां शहादत दिवस

जुलाई में वाराणसी पहुंचे जसवंत सिंह ने यहां लगातार डीएम कार्यालय, कमिश्नर ऑफिस, विकास भवन, विश्वनाथ मंदिर समेत सभी इलाकों में विरोध दर्ज कराते हुए क्रांतिकारियों को शहीद का दर्जा देने की मांग शुरू की है. यहां आने वाले हर वीआईपी से वह मुलाकात करते हैं. बीते दिनों मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शहर में थे तो उन्होंने मुख्यमंत्री से भी मुलाकात की. मुख्यमंत्री ने भरोसा दिलाया कि इस मांग पर केंद्र सरकार जरूर विचार करेगी.

वाराणसी: हंसते-हंसते देश की खातिर शहीद भगत सिंह, अशफाक उल्ला खान, चंद्रशेखर आजाद, सुखदेव और राजगुरु समेत तमाम क्रांतिकारियों ने अपने प्राणों की आहुति दे दी. वहीं आज तक इन क्रांतिकारियों को शहीद का दर्जा नहीं मिला है. सरकारे आईं और गईं सिर्फ मिला तो इन्हें शहीद का दर्जा देने का आश्वासन. वाराणसी में कनाडा से आए एनआरआई ने इन क्रांतिकारियों को शहीद का दर्जा दिलाये जाने की मांग करते हुए एक अनोखे तरीके से प्रदर्शन शुरू किया है.

क्रांतिकारियों को शहीद का दर्जा देने की मांग.

क्रांतिकारियों को शहीद का दर्जा देने की मांग-
शहीद भगत सिंह के गांव के रहने वाले जसवंत सिंह बाल्टा आठ सालों तक कनाडा में थे. कनाडा से जब लौटकर अपने गांव आए तो भगत सिंह और अन्य क्रांतिकारियों को शहीद का दर्जा दिलाए जाने की मांग उठने लगी. लोगों ने अपने-अपने तरीके से आंदोलन की शुरुआत करने की प्लानिंग की. जसवंत सिंह ने देश के अलग-अलग हिस्सों में जाकर कुछ अलग अंदाज में सरकार को नींद से जगाने की कोशिश की. इसके तहत वह दिल्ली, कोलकाता और अन्य शहरों में गए और अपने गले में शहीद भगत सिंह और अन्य क्रांतिकारियों को शहीद का दर्जा दिलाए जाने की मांग का बैनर टांग कर घूमने लगे. कहीं कोई असर न होने पर अब वे पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी पहुंचे हैं.

पढ़ें:- गोरखपुर: अमर शहीद स्वतंत्रता सेनानी बंधु सिंह का मनाया गया 161वां शहादत दिवस

जुलाई में वाराणसी पहुंचे जसवंत सिंह ने यहां लगातार डीएम कार्यालय, कमिश्नर ऑफिस, विकास भवन, विश्वनाथ मंदिर समेत सभी इलाकों में विरोध दर्ज कराते हुए क्रांतिकारियों को शहीद का दर्जा देने की मांग शुरू की है. यहां आने वाले हर वीआईपी से वह मुलाकात करते हैं. बीते दिनों मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शहर में थे तो उन्होंने मुख्यमंत्री से भी मुलाकात की. मुख्यमंत्री ने भरोसा दिलाया कि इस मांग पर केंद्र सरकार जरूर विचार करेगी.

Intro:वाराणसी: हंसते-हंसते देश की खातिर अपने प्राणों की आहुति देने वाले शहीद भगत सिंह अशफाक उल्ला खान चंद्रशेखर आजाद सुखदेव राजगुरु समेत तमाम व क्रांतिकारी जिनके संघर्षों के बल पर आजादी की कहानी लिखी गई कम उम्र में देश के लिए इन्होंने बिना कुछ सोचे समझे अपने प्राणों की आहुति दे दी लेकिन आज तक इन्हें शहीद का दर्जा नहीं मिला सरकारें आई और सिर्फ मिले तो आश्वासन लेकिन अब इन को शहीद का दर्जा दिलाए जाने की मांग तेजी पकड़ती दिख रही है यही वजह है कि वाराणसी में कनाडा से आए एक एनआरआई ने इन क्रांतिकारियों को शहीद का दर्जा दिलाए जाने की मांग करते हुए एक अनोखे तरीके से प्रदर्शन शुरू किया है.


Body:वीओ-01 दरअसल पंजाब में शहीद भगत सिंह के गांव के रहने वाले जसवंत सिंह बाल्टा 8 सालों तक कनाडा में थे कनाडा सेवर जब लौटकर अपने गांव आए तो भगत सिंह और अन्य क्रांतिकारियों को शहीद का दर्जा दिलाए जाने की मांग उठने लगी लोगों ने इसे लेकर अपने अपने तरीके से आंदोलन की शुरुआत करने की प्लानिंग की और जसवंत सिंह ने देश के अलग-अलग हिस्सों में जाकर कुछ अलग अंदाज में सरकार को नींद से जगाने की कोशिश की. प्लानिंग की इसके तहत वह दिल्ली कोलकाता अन्य शहरों में गए और अपने गले में शहीद भगत सिंह व अन्य क्रांतिकारियों को शहीद का दर्जा दिलाए जाने की मांग का बैनर टांग कर घूमने लगे कोई असर नहीं हुआ तो पहुंच गए पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी.


Conclusion:वीओ-01 जुलाई के महीने में वाराणसी पहुंचे जसवंत सिंह ने यहां लगातार डीएम कार्यालय कमिश्नर ऑफिस विकास भवन सर्किट हाउस विश्वनाथ मंदिर समेत उन इलाकों में सुबह से शाम तक खड़े होकर अपना विरोध दर्ज कराते हुए क्रांतिकारियों को शहीद का दर्जा दिलाए जाने की मांग रखनी शुरू की है. यहां आने वाले हर वीआईपी से वह मुलाकात करते हैं बीते दिनों मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शहर में थे तो मुख्यमंत्री ने भी इन से मुलाकात की और भरोसा दिया कि इनकी मांग पर केंद्र सरकार जरूर विचार करेगी फिलहाल देखने वाली बात है कि इनकी डिमांड पूरी कब होती है लेकिन जसवंत सिंह का यह प्रयास निश्चित तौर पर देश के सच्चे भक्तों को आज भी लोगों के जेहन में बसाने का काम कर रहा है.

बाईट- जसवंत सिंह बाल्टा, प्रदर्शन करने वाला एनआरआई

गोपाल मिश्र

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