वाराणसी: हंसते-हंसते देश की खातिर शहीद भगत सिंह, अशफाक उल्ला खान, चंद्रशेखर आजाद, सुखदेव और राजगुरु समेत तमाम क्रांतिकारियों ने अपने प्राणों की आहुति दे दी. वहीं आज तक इन क्रांतिकारियों को शहीद का दर्जा नहीं मिला है. सरकारे आईं और गईं सिर्फ मिला तो इन्हें शहीद का दर्जा देने का आश्वासन. वाराणसी में कनाडा से आए एनआरआई ने इन क्रांतिकारियों को शहीद का दर्जा दिलाये जाने की मांग करते हुए एक अनोखे तरीके से प्रदर्शन शुरू किया है.
क्रांतिकारियों को शहीद का दर्जा देने की मांग-
शहीद भगत सिंह के गांव के रहने वाले जसवंत सिंह बाल्टा आठ सालों तक कनाडा में थे. कनाडा से जब लौटकर अपने गांव आए तो भगत सिंह और अन्य क्रांतिकारियों को शहीद का दर्जा दिलाए जाने की मांग उठने लगी. लोगों ने अपने-अपने तरीके से आंदोलन की शुरुआत करने की प्लानिंग की. जसवंत सिंह ने देश के अलग-अलग हिस्सों में जाकर कुछ अलग अंदाज में सरकार को नींद से जगाने की कोशिश की. इसके तहत वह दिल्ली, कोलकाता और अन्य शहरों में गए और अपने गले में शहीद भगत सिंह और अन्य क्रांतिकारियों को शहीद का दर्जा दिलाए जाने की मांग का बैनर टांग कर घूमने लगे. कहीं कोई असर न होने पर अब वे पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी पहुंचे हैं.
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जुलाई में वाराणसी पहुंचे जसवंत सिंह ने यहां लगातार डीएम कार्यालय, कमिश्नर ऑफिस, विकास भवन, विश्वनाथ मंदिर समेत सभी इलाकों में विरोध दर्ज कराते हुए क्रांतिकारियों को शहीद का दर्जा देने की मांग शुरू की है. यहां आने वाले हर वीआईपी से वह मुलाकात करते हैं. बीते दिनों मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शहर में थे तो उन्होंने मुख्यमंत्री से भी मुलाकात की. मुख्यमंत्री ने भरोसा दिलाया कि इस मांग पर केंद्र सरकार जरूर विचार करेगी.