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30वें शिवरात्रि संगीत महोत्सव में बही स्वर लहरियों की अनूठी धार - kathak started in varanasi festival

वाराणसी में पिछले 30 वर्षों से लगातार शिवरात्रि संगीत महोत्सव का आयोजन जिले के दुर्गाकुंड स्थित हनुमान प्रसाद पोद्दार अंध महाविद्यालय में किया जा रहा है. शिवरात्रि संगीत महोत्सव प्रत्येक वर्ष श्री किशोरी लाल सेवा ट्रस्ट वाराणसी के द्वारा किया जाता है. इस बार भी बुधवार से प्रारंभ होकर 12 मार्च तक यह कार्यक्रम चलेगा.

30वें शिवरात्रि संगीत महोत्सव में बही स्वर लहरियों की अनूठी धार
30वें शिवरात्रि संगीत महोत्सव में बही स्वर लहरियों की अनूठी धार
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Published : Mar 11, 2021, 8:21 AM IST

वाराणसी: महादेव की नगरी को संगीत तीर्थ कहा जाता है. यही वजह है कि भगवान नटराज को प्रसन्न करने के लिए संगीत के प्रेमी अलग तरीके से महाशिवरात्रि मना रहे हैं. पिछले 30 वर्षों से लगातार शिवरात्रि संगीत महोत्सव का आयोजन जिले के दुर्गाकुंड स्थित हनुमान प्रसाद पोद्दार अंध महाविद्यालय में किया जा रहा है. देशभर के नामचीन कलाकार संगीत महोत्सव में हिस्सा ले रहे हैं. बुधवार से प्रारंभ होकर 12 मार्च तक यह कार्यक्रम चलेगा. शाम 7:00 बजे से शुरू होकर देर रात 10:30 तक यह कार्यक्रम चलता रहा.

30वें शिवरात्रि संगीत महोत्सव में बही स्वर लहरियों की अनूठी धार
कत्थक से हुआ शुभारंभशिवरात्रि संगीत महोत्सव प्रत्येक वर्ष श्री किशोरी लाल सेवा ट्रस्ट वाराणसी के द्वारा किया जाता है. महाशिवरात्रि के अवसर पर पहली प्रस्तुति भावना ख्याल ने अपने कत्थक के माध्यम से किया कत्थक को देखकर सभी दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए. सभी ने हर हर महादेव के उद्घोष से कलाकार का हौसला बढ़ाया.होली और भजनदूसरी प्रस्तुति भागीरथ जलाने किया जिन्होंने विभिन्न प्रकार के लोकगीत और होली एवं बनारसी गीत को प्रस्तुत किया. कार्यक्रम के माध्यम से जहां भगवान नटराज को पसंद किया गया. वहीं इस कार्यक्रम से युवाओं को भारतीय संस्कृति सभ्यता और बनारस घराने से जोड़ने का प्रयास किया गया. पद्मश्री विजय घाटे ने तबला की शानदार प्रस्तुति दिया.हमारी संस्कृति को आगे बढ़ाएं युवा पीढ़ीकार्यक्रम में भावना ख्याल ने बताया कि यहां पर प्रस्तुति करना अद्भुत लगता है. इसी मंच पर डांस करके हम लोग बड़े हुए हैं. आज हमारे बच्चे भी इस मंच पर प्रस्तुति दे रहे हैं. हम यही चाहते हैं कि हमारी आने वाली पीढ़ी इस सांस्कृतिक विरासत को समझे और उसे संभाल कर रखें. ऐसी प्रस्तुति करें कि हमारे संस्कृति को आगे बढ़ाएं.वहीं, भागीरथ जलाने बताया कि यह मौका होता है जब वह अपने गुरु के सामने प्रस्तुति करते हैं. आज मैंने यमन राग से क्लासिकल गाया, उसके बाद होली और बनारस के लोकगीत. शंकर जी के गीत को मैंने प्रस्तुत किया.

वाराणसी: महादेव की नगरी को संगीत तीर्थ कहा जाता है. यही वजह है कि भगवान नटराज को प्रसन्न करने के लिए संगीत के प्रेमी अलग तरीके से महाशिवरात्रि मना रहे हैं. पिछले 30 वर्षों से लगातार शिवरात्रि संगीत महोत्सव का आयोजन जिले के दुर्गाकुंड स्थित हनुमान प्रसाद पोद्दार अंध महाविद्यालय में किया जा रहा है. देशभर के नामचीन कलाकार संगीत महोत्सव में हिस्सा ले रहे हैं. बुधवार से प्रारंभ होकर 12 मार्च तक यह कार्यक्रम चलेगा. शाम 7:00 बजे से शुरू होकर देर रात 10:30 तक यह कार्यक्रम चलता रहा.

30वें शिवरात्रि संगीत महोत्सव में बही स्वर लहरियों की अनूठी धार
कत्थक से हुआ शुभारंभशिवरात्रि संगीत महोत्सव प्रत्येक वर्ष श्री किशोरी लाल सेवा ट्रस्ट वाराणसी के द्वारा किया जाता है. महाशिवरात्रि के अवसर पर पहली प्रस्तुति भावना ख्याल ने अपने कत्थक के माध्यम से किया कत्थक को देखकर सभी दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए. सभी ने हर हर महादेव के उद्घोष से कलाकार का हौसला बढ़ाया.होली और भजनदूसरी प्रस्तुति भागीरथ जलाने किया जिन्होंने विभिन्न प्रकार के लोकगीत और होली एवं बनारसी गीत को प्रस्तुत किया. कार्यक्रम के माध्यम से जहां भगवान नटराज को पसंद किया गया. वहीं इस कार्यक्रम से युवाओं को भारतीय संस्कृति सभ्यता और बनारस घराने से जोड़ने का प्रयास किया गया. पद्मश्री विजय घाटे ने तबला की शानदार प्रस्तुति दिया.हमारी संस्कृति को आगे बढ़ाएं युवा पीढ़ीकार्यक्रम में भावना ख्याल ने बताया कि यहां पर प्रस्तुति करना अद्भुत लगता है. इसी मंच पर डांस करके हम लोग बड़े हुए हैं. आज हमारे बच्चे भी इस मंच पर प्रस्तुति दे रहे हैं. हम यही चाहते हैं कि हमारी आने वाली पीढ़ी इस सांस्कृतिक विरासत को समझे और उसे संभाल कर रखें. ऐसी प्रस्तुति करें कि हमारे संस्कृति को आगे बढ़ाएं.वहीं, भागीरथ जलाने बताया कि यह मौका होता है जब वह अपने गुरु के सामने प्रस्तुति करते हैं. आज मैंने यमन राग से क्लासिकल गाया, उसके बाद होली और बनारस के लोकगीत. शंकर जी के गीत को मैंने प्रस्तुत किया.
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