वाराणसी: योगी सरकार दूसरी बार सत्ता में आने के बाद लगातार भ्रष्टाचार को लेकर सख्त नजर आ रही है. इसी क्रम में पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के एमडी भी लगातार काफी कड़े रुख में दिखाई दे रहे हैं. मंगलवार को पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के एमडी द्वारा वाराणसी में अवर अभियंता से लेकर कार्यकारी सहायक लेखाकार और उपखंड अधिकारी के निलंबन की कार्रवाई की गई है. इससे विभाग में हड़कंप मचा है.
पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम की तरफ से जारी आदेश पत्र के मुताबिक वाराणसी में होटल सत्कार में 61 किलो वाट के विद्युत चोरी का मामला 17 जून को प्रकाश में आया था. काफी लंबे वक्त से यहां विद्युत चोरी की जानकारी भी थी. लाइन और स्वीकृत बाहर से अधिक क्षमता में बिजली के इस्तेमाल की जानकारी होने और राजस्व की हानि के साथ ही पूर्व में राजस्व निर्धारण के वसूली की कोई कार्रवाई भी ना किए जाने की जानकारी जांच में सामने आई थी.
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इस मामले में इतनी बड़े स्तर पर हो रही विद्युत चोरी की जानकारी के बाद भी कोई कार्रवाई ना होने और चोरी में सहयोग करने के लिए क्षमता से अधिक उपभोक्ता के स्वीकृत भार के अनुसार लगाई जाने वाली केबल क्षमता से ज्यादा पाई गई. जांच के दौरान यह पृष्ठ भी हुआ है कि उपखंड अधिकारी अजय यादव, अवर अभियंता विद्युत नगरीय वितरण खंड चतुर्थ पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम राजकुमार राम समेत कुछ अन्य कर्मचारी इस मामले में संलिप्त थे. इनकी तरफ से विद्युत चोरी में बढ़ावा दिया गया और उसमें इनकी सन्नता भी मिली है, जिसके बाद अपने काम में लापरवाही की वजह से पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के एमडी विद्याभूषण ने सभी को निलंबित करने का आदेश जारी किया है.
पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के एमडी की तरफ से उपखंड अधिकारी अजय प्रताप यादव के निलंबन की कार्रवाई भी की गई है. इन पर भी इसी प्रकरण में लापरवाही बरतने और विद्युत चोरी रोकने में नाकामयाब होते हुए इसे बढ़ावा देने के मामले में संलिप्तता पाई गई है. इसके अलावा सहायक लेखाकार मनीष सोनकर द्वारा राजस्व निर्धारण को गलत तरीके से अपने अधिशासी अभियंता के सामने प्रस्तुत करने और राजस्व निर्धारण में सहयोग ना करने का दोषी मानते हुए इनके भी निलंबन की कार्रवाई हुई है.
बता दें कि इसके अतिरिक्त लाल बहादुर वर्मा कार्यकारी सहायक को भी अपने काम में लापरवाही करने के लिए निलंबित किया गया है. जबकि चंदौली सकलडीहा के अधिशासी अभियंता जय कृष्ण पर भी 4 करोड़ 40 लाख 6753 के राजस्व के रकम की जगह इसे घटाकर 4,21,6789 रुपए करने के मामले में राजस्व चोरी और विद्युत चोरी के प्रकरण पर निलंबित किया गया है.
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