ETV Bharat / state

गुरुपूर्णिमा: कोरोना ने गुरु के आशीर्वाद से शिष्य को किया वंचित

author img

By

Published : Jul 5, 2020, 4:02 PM IST

गुरुपूर्णिमा के मौके पर शिष्य अपने गुरू का आशीर्वाद लेने उनके पास जरूर जाते थे, लेकिन इस बार कोरोना वैश्विक महामारी की वजह से उनको गुरु का आशीर्वाद नहीं मिल पाया. वहीं यूपी के काशी में भी आश्रमों में सन्नाटा दिखा. शिष्य गेट से ही गुरु को प्रणाम करते हुए नजर आए. इस बार 5 जुलाई को गुरु पूर्णिमा मनाई जा रही है.

baba keenaram ashram varanasi
काशी में गुरु पूर्णिमा पर आश्रमों में सन्नाटा दिखा.

वाराणसी: विश्व के सबसे प्राचीनतम शहर काशी में गुरु-शिष्य परंपरा का एक अनोखा नाता देखा जाता है. वेद-पुराण, कर्मकांड के साथ यहां पर संगीत की भी शिक्षा दी जाती है. गुरु पूर्णिमा के शुभ अवसर पर हर शिष्य अपने गुरु का चरण वंदन करने के लिए देश ही नहीं, बल्कि विदेश से भी काशी आते हैं.

जानकारी देते संवाददाता.

कोरोना वैश्विक महामारी के दौर में जहां भगवान के दर्शन नहीं हो पा रहे हैं, वहीं शिष्य गुरु का दर्शन भी नहीं कर पा रहे हैं. इसके बावजूद कुछ शिष्य गुरु आश्रम के बाहर ही शीश नवाकर जा रहे हैं. शिष्य घर में ही गुरु का स्मरण कर उनकी फोटो पर फूल-माला चढ़ाकर आशीर्वाद ले रहे हैं.

इन मठ-मंदिरों में लगता था मेला
धर्म और अध्यात्म के शहर काशी में सैकड़ों मठ और मंदिर हैं, जहां पर गुरु पूर्णिमा के अवसर पर लाखों की संख्या में शिष्य अपने गुरु का चरण वंदन करने के लिए प्रत्येक गुरु पूर्णिमा को आते हैं. इस बार सभी मठ-मंदिर गुरु पूर्णिमा पर खाली दिखे. धर्म संघ, अष्टभुजा मंदिर, अन्नपूर्णा मठ, पातालपुरी मठ, श्री विद्या मठ, राम जानकी मंदिर, बाबा किनाराम पीठ, गढ़वा घाट आश्रम, सतुआ बाबा आश्रम सभी जगह सन्नाटा दिखा. इसके साथ ही 123 वर्षीय शिवानंद महाराज ने भी गुरु पूर्णिमा का आयोजन नहीं किया.

baba keenaram ashram varanasi
गेट से ही गुरु को प्रणाम करते श्रिष्य.

ये भी पढ़ें: इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज हुआ काशी के 'अर्जुन' का कीर्तिमान

वहीं गुरु दर्शन को आए सुमित चौरसिया ने बताया, 'हम लोग प्रत्येक गुरु पूर्णिमा को बाबा कीनाराम का दर्शन करने आते हैं. प्रत्येक वर्ष यहां पर लाखों की संख्या में लोग दर्शन करते हैं. मेला लगता है, लेकिन इस वैश्विक महामारी के दौर में गेट के पास से ही गुरुदेव को प्रणाम कर रहे हैं. यह प्रार्थना कर रहे हैं कि जल्द से जल्द वैश्विक महामारी से पूरे विश्व को छुटकारा मिले, ताकि हम लोग पहले की तरह दर्शन कर सकें. बाबा से यही कामना है कि अगले साल पूरे भव्य तरीके से गुरु पूर्णिमा हम लोग मनाएं.'

वाराणसी: विश्व के सबसे प्राचीनतम शहर काशी में गुरु-शिष्य परंपरा का एक अनोखा नाता देखा जाता है. वेद-पुराण, कर्मकांड के साथ यहां पर संगीत की भी शिक्षा दी जाती है. गुरु पूर्णिमा के शुभ अवसर पर हर शिष्य अपने गुरु का चरण वंदन करने के लिए देश ही नहीं, बल्कि विदेश से भी काशी आते हैं.

जानकारी देते संवाददाता.

कोरोना वैश्विक महामारी के दौर में जहां भगवान के दर्शन नहीं हो पा रहे हैं, वहीं शिष्य गुरु का दर्शन भी नहीं कर पा रहे हैं. इसके बावजूद कुछ शिष्य गुरु आश्रम के बाहर ही शीश नवाकर जा रहे हैं. शिष्य घर में ही गुरु का स्मरण कर उनकी फोटो पर फूल-माला चढ़ाकर आशीर्वाद ले रहे हैं.

इन मठ-मंदिरों में लगता था मेला
धर्म और अध्यात्म के शहर काशी में सैकड़ों मठ और मंदिर हैं, जहां पर गुरु पूर्णिमा के अवसर पर लाखों की संख्या में शिष्य अपने गुरु का चरण वंदन करने के लिए प्रत्येक गुरु पूर्णिमा को आते हैं. इस बार सभी मठ-मंदिर गुरु पूर्णिमा पर खाली दिखे. धर्म संघ, अष्टभुजा मंदिर, अन्नपूर्णा मठ, पातालपुरी मठ, श्री विद्या मठ, राम जानकी मंदिर, बाबा किनाराम पीठ, गढ़वा घाट आश्रम, सतुआ बाबा आश्रम सभी जगह सन्नाटा दिखा. इसके साथ ही 123 वर्षीय शिवानंद महाराज ने भी गुरु पूर्णिमा का आयोजन नहीं किया.

baba keenaram ashram varanasi
गेट से ही गुरु को प्रणाम करते श्रिष्य.

ये भी पढ़ें: इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज हुआ काशी के 'अर्जुन' का कीर्तिमान

वहीं गुरु दर्शन को आए सुमित चौरसिया ने बताया, 'हम लोग प्रत्येक गुरु पूर्णिमा को बाबा कीनाराम का दर्शन करने आते हैं. प्रत्येक वर्ष यहां पर लाखों की संख्या में लोग दर्शन करते हैं. मेला लगता है, लेकिन इस वैश्विक महामारी के दौर में गेट के पास से ही गुरुदेव को प्रणाम कर रहे हैं. यह प्रार्थना कर रहे हैं कि जल्द से जल्द वैश्विक महामारी से पूरे विश्व को छुटकारा मिले, ताकि हम लोग पहले की तरह दर्शन कर सकें. बाबा से यही कामना है कि अगले साल पूरे भव्य तरीके से गुरु पूर्णिमा हम लोग मनाएं.'

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.