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काशी में निर्जला एकादशी पर उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब, लगाई आस्था की डुबकी - devotees take bath in ganga

धर्म नगरी काशी में निर्जला एकादशी के अवसर पर श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा है. निर्जला एकादशी के अवसर पर श्रद्धालुओं ने मां गंगा में स्नान कर पुण्य प्राप्त किया. साथ ही सामर्थ्य के अनुसार ब्राह्मणों को दान भी दिया.

काशी में निर्जला एकादशी पर उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब.
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Published : Jun 13, 2019, 9:56 AM IST

वाराणसी: धर्म नगरी काशी में गुरुवार को निर्जला एकादशी के अवसर पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी है. दशाश्वमेध, राजेंद्र प्रसाद घाट समेत अन्य घाट श्रद्धालुओं से पटे रहे. वहीं श्रद्धालुओं ने मां गंगा के पावन जल में डुबकी लगाया और ब्राह्मणों को दान दिया.

काशी में निर्जला एकादशी पर उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब.
  • निर्जला एकादशी पर सुबह से ही श्रद्धालुओं का घाटों पर पहुंचना शुरू हो गया है.
  • निर्जला एकादशी पर जल ग्रहण नहीं किया जाता है.
  • जल ग्रहण करने पर व्रत भंग हो जाता है.
  • नियमानुसार निर्जल रहकर द्वादशी को स्नान करें.
  • सामर्थ्य के अनुसार सुवर्ण और जलयुक्त कलश दान देना चाहिए.
  • दान करने से विष्णु लोक की प्राप्ति होती है.
  • दान देते समय भगवान श्री हरि को याद करना चाहिए.

पुरोहित पप्पू तिवारी ने बताया कि गुरुवार को निर्जला एकादशी का पर्व है. साल में 24 एकादशी पड़ते हैं, जिसमें यह सबसे कठिन एकादशी होता है. इसमें जल का ग्रहण नहीं किया जाता है. एकादशी में सुबह स्नान कर इच्छानुसार जल पात्र, पंखे और फल का दान करना चाहिए, जिससे बैकुंठ की प्राप्ति होती है.

वाराणसी: धर्म नगरी काशी में गुरुवार को निर्जला एकादशी के अवसर पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी है. दशाश्वमेध, राजेंद्र प्रसाद घाट समेत अन्य घाट श्रद्धालुओं से पटे रहे. वहीं श्रद्धालुओं ने मां गंगा के पावन जल में डुबकी लगाया और ब्राह्मणों को दान दिया.

काशी में निर्जला एकादशी पर उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब.
  • निर्जला एकादशी पर सुबह से ही श्रद्धालुओं का घाटों पर पहुंचना शुरू हो गया है.
  • निर्जला एकादशी पर जल ग्रहण नहीं किया जाता है.
  • जल ग्रहण करने पर व्रत भंग हो जाता है.
  • नियमानुसार निर्जल रहकर द्वादशी को स्नान करें.
  • सामर्थ्य के अनुसार सुवर्ण और जलयुक्त कलश दान देना चाहिए.
  • दान करने से विष्णु लोक की प्राप्ति होती है.
  • दान देते समय भगवान श्री हरि को याद करना चाहिए.

पुरोहित पप्पू तिवारी ने बताया कि गुरुवार को निर्जला एकादशी का पर्व है. साल में 24 एकादशी पड़ते हैं, जिसमें यह सबसे कठिन एकादशी होता है. इसमें जल का ग्रहण नहीं किया जाता है. एकादशी में सुबह स्नान कर इच्छानुसार जल पात्र, पंखे और फल का दान करना चाहिए, जिससे बैकुंठ की प्राप्ति होती है.

Intro:धर्म की नगरी काशी में आज निर्जला एकादशी के अवसर पर श्रद्धालुओं से घाट पटा रहा वही दशाश्वमेध राजेंद्र प्रसाद घाट पर हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने मां गंगा के पावन जल में दुख की लगाया और ब्राह्मणों को दान दिया।


Body:निर्जला एकादशी का पौराणिक मान्यता के अनुसार माने तो निर्जला व्रत वाला पुरुष अपवित्र अवस्था के आगमन के सिवा बिंदु मात्र जल भी ग्रहण न करें यदि किसी प्रकार उपयोग में ले भी लिया तो उस व्रत भंग हो जाता है जनता पूर्व नियम पालन के साथ निर्जला उपवास करके द्वादशी को स्नान करें और सामर्थ्य के अनुसार सुवर्ण व जलयुक्त कलश दान देना चाहिए कंप्यूटर में जाकर स्नान दान आदि करने के समान फल होता है इसके करने से विष्णु लोक की प्राप्ति होती है एकादशी व्रत करके द्वादश में जल कुंभ और शर्करा का दान करना चाहिए दान देते समय भगवान श्री हरि को याद करना चाहिए।


Conclusion:पुरोहित पप्पू तिवारी ने बताया आज निर्जला एकादशी का पर्व है साल में 24 एकादशी पढ़ते हैं जिसमें यह सबसे कठिन एकादशी होता है जो कि इसमें जल का ग्रहण नहीं किया जाता है एकादशी में सुबह से स्नान कर इच्छा अनुसार जल पात्र पंखे और फल का दान करना चाहिए जिससे बैकुंठ की प्राप्ति होती है
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