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वाराणसी: लॉकडाउन के बीच मोक्षधाम 'मणिकर्णिका' में नहीं है लकड़ियों की कमी - varanasi ganga ghat latest news

वाराणसी के मोक्षधाम महाश्मशान मणिकर्णिका में लाॅकडाउन में भी लकड़ियों की कमी नहीं है. इसका एक कारण ये भी है लाॅकडाउन के कारण यहां दूसरे जिले और प्रदेशों से लोग अंतिम संस्कार के लिए नहीं आ पा रहे है.

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लॉकडाउन में मणिकर्णिका में नहीं लकड़ियों की कमी
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Published : Apr 12, 2020, 12:20 PM IST

Updated : Apr 12, 2020, 4:58 PM IST

वाराणसी: लाॅकडाउन में मोक्षधाम महाश्मशान मणिकर्णिका मे लकड़ियों की कमी नहीं है. इसका कारण लाॅकडाउन में अंतिम संस्कार के लिए आने वाले शव की संख्या में कमी होना है. यहां बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल से लोग शव का अंतिम संस्कार करने के लिए आते हैं.

लॉकडाउन में मणिकर्णिका में नहीं लकड़ियों की कमी

कभी नहीं बुझती मणिकर्णिका की आग

मणिकर्णिका के बारे में शास्त्रों में कहा गया है कि यहां चिता की आग कभी नहीं बुझती है और यहां अंतिम संस्कार होने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. यही कारण है कि देश के कई राज्यों से लोग यहां पर अंतिम संस्कार के लिए आते हैं. यहां पर रोजाना 100 से अधिक शव का अंतिम संस्कार किया जाता है, लेकिन लाॅकडाउन के कारण मौजूदा सयम में 5 से 10 शव ही आते है और यही कारण है कि इस घाट पर लकड़ियों की कमी नहीं है.

इसीलिए इसे कहते है मणिकर्णिका

मणिकर्णिका घाट वाराणसी में गंगानदी के तट पर स्थित एक प्रसिद्ध घाट है. एक मान्यता के अनुसार माता पार्वती का कर्ण फूल यहां एक कुंड में गिर गया था, जिसे ढूंढ़ने का काम भगवान शंकर द्वारा किया गया, जिस कारण इस स्थान का नाम मणिकर्णिका पड़ गया. वहीं एक दूसरी मान्यता के अनुसार भगवान शंकर द्वारा माता पार्वती के पार्थिव शरीर का अग्नि संस्कार किया गया, जिस कारण इसे महाश्मशान भी कहते हैं.

हरिश्चंद्र घाट पर भी नहीं है लकड़ियों की कमी

वाराणसी के हरिश्चंद्र घाट पर भी लकड़ियों की कमी नहीं है. इस घाट पर भी लाॅकडाउन के कारण अंतिम संस्कार के लिए बहुत की कम शव आ रहे हैं. सामान्य दिनों में यहां पर 50 के करीब शव आते है लेकिन मौजूदा समय में लाॅकडाउन के कारण रोजाना 5 के करीब ही आ रहे हैं.

इन जिलों से आती है दोनों घाट पर लकड़ियां

डोम समाज के सदस्यों के अनुसार दोनों घाट पर सोनभद्र, मिर्जापुर, चंदौली सहित कई जिलों से लकड़ियां आती है. डोम समाज के हरि प्रसाद चौधरी ने बताया कि लाॅकडाउन के कारण लकड़ियां नहीं आ रही हैं और अंतिम संस्कार के लिए शव भी बहुत कम आ रहे हैं. इस कारण अभी लकड़ियों की कमी नहीं है और अभी जो स्टाॅक है उसी से काम चल रहा है.

वाराणसी: लाॅकडाउन में मोक्षधाम महाश्मशान मणिकर्णिका मे लकड़ियों की कमी नहीं है. इसका कारण लाॅकडाउन में अंतिम संस्कार के लिए आने वाले शव की संख्या में कमी होना है. यहां बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल से लोग शव का अंतिम संस्कार करने के लिए आते हैं.

लॉकडाउन में मणिकर्णिका में नहीं लकड़ियों की कमी

कभी नहीं बुझती मणिकर्णिका की आग

मणिकर्णिका के बारे में शास्त्रों में कहा गया है कि यहां चिता की आग कभी नहीं बुझती है और यहां अंतिम संस्कार होने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. यही कारण है कि देश के कई राज्यों से लोग यहां पर अंतिम संस्कार के लिए आते हैं. यहां पर रोजाना 100 से अधिक शव का अंतिम संस्कार किया जाता है, लेकिन लाॅकडाउन के कारण मौजूदा सयम में 5 से 10 शव ही आते है और यही कारण है कि इस घाट पर लकड़ियों की कमी नहीं है.

इसीलिए इसे कहते है मणिकर्णिका

मणिकर्णिका घाट वाराणसी में गंगानदी के तट पर स्थित एक प्रसिद्ध घाट है. एक मान्यता के अनुसार माता पार्वती का कर्ण फूल यहां एक कुंड में गिर गया था, जिसे ढूंढ़ने का काम भगवान शंकर द्वारा किया गया, जिस कारण इस स्थान का नाम मणिकर्णिका पड़ गया. वहीं एक दूसरी मान्यता के अनुसार भगवान शंकर द्वारा माता पार्वती के पार्थिव शरीर का अग्नि संस्कार किया गया, जिस कारण इसे महाश्मशान भी कहते हैं.

हरिश्चंद्र घाट पर भी नहीं है लकड़ियों की कमी

वाराणसी के हरिश्चंद्र घाट पर भी लकड़ियों की कमी नहीं है. इस घाट पर भी लाॅकडाउन के कारण अंतिम संस्कार के लिए बहुत की कम शव आ रहे हैं. सामान्य दिनों में यहां पर 50 के करीब शव आते है लेकिन मौजूदा समय में लाॅकडाउन के कारण रोजाना 5 के करीब ही आ रहे हैं.

इन जिलों से आती है दोनों घाट पर लकड़ियां

डोम समाज के सदस्यों के अनुसार दोनों घाट पर सोनभद्र, मिर्जापुर, चंदौली सहित कई जिलों से लकड़ियां आती है. डोम समाज के हरि प्रसाद चौधरी ने बताया कि लाॅकडाउन के कारण लकड़ियां नहीं आ रही हैं और अंतिम संस्कार के लिए शव भी बहुत कम आ रहे हैं. इस कारण अभी लकड़ियों की कमी नहीं है और अभी जो स्टाॅक है उसी से काम चल रहा है.

Last Updated : Apr 12, 2020, 4:58 PM IST
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