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2022 चुनाव के पहले काशी विश्वनाथ धाम का लोकार्पण, किसके लिए बनेगा सियासी हथियार

2022 के चुनाव (UP Assembly Election 2022) में काशी विश्वनाथ धाम निश्चित तौर पर भाजपा की एक बड़ी उपलब्धि के रूप में जनता के बीच पेश की जाएगी. लेकिन भाजपा की यह उपलब्धि विपक्ष के लिए अब बड़ी चुनौती बन गई है. यही वजह है इन दिनों इसको लेकर सियासी गलियारों में भी खासा हलचल है. विपक्षी पार्टियों की ओर से इसे धार्मिक भावनाओं के साथ खिलवाड़ करार दिया जा रहा है.

काशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण पर सियासत
काशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण पर सियासत
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Published : Nov 28, 2021, 10:54 AM IST

वाराणासी: 13 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी आ रहे हैं, जहां वे तीन दिन यानी 13 से 15 दिसंबर तक प्रवास करेंगे. इस दौरान पहले दिन यानी 13 दिसंबर को वे काशी विश्वनाथ धाम का लोकार्पण करेंगे. वहीं, काशी विश्वनाथ धाम के साथ कई गौरव गाथाएं जुड़ी हैं. ऐसे में उस दिन काशीवासियों के साथ ही पूरे हिन्दुस्तान की नजर काशी की ओर होगी. हालांकि, 2022 के चुनाव (UP Assembly Election 2022) में काशी विश्वनाथ धाम निश्चित तौर पर भाजपा की एक बड़ी उपलब्धि के रूप में जनता के बीच पेश की जाएगी. लेकिन भाजपा की यह उपलब्धि विपक्ष के लिए अब बड़ी चुनौती बन गई है. यही वजह है इन दिनों इसको लेकर सियासी गलियारों में भी खासा हलचल है. विपक्षी पार्टियों की ओर से इसे धार्मिक भावनाओं के साथ खिलवाड़ करार दिया जा रहा है.

अब विपक्ष के लिए चुनौती बना काशी विश्वनाथ धाम

बता दें कि 8 मार्च, 2019 यानी लोकसभा चुनाव के ठीक पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने काशी विश्वनाथ धाम का शिलान्यास किया था. तब से लगातार यह राजनीतिक गलियारों में एक ज्वलंत मुद्दा बना हुआ है. ऐसे में 2022 विधानसभा चुनाव के पहले 13 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी काशी विश्वनाथ धाम का लोकार्पण करने जा रहे हैं. वहीं, भाजपा इसे पार्टी की बड़ी उपलब्धि के रूप में जनता के बीच पेश कर रही है.

काशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण पर सियासत

यही वजह है कि 13 दिसंबर से लेकर 14 जनवरी तक एक बड़ा मेगा शो आयोजित होगा, जिसमें काशी चलो से लेकर अन्य तमाम कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा. जिससे लोगों के घर तक काशी बाबा विश्वनाथ धाम से जुड़ी सभी मान्यताओं को पहुंचाया जा सके.

इसे भी पढ़ें -वाराणसी: जब मंदिर के बाहर बच्ची को देखकर रुक गए CM योगी और पूछा ये सवाल

बैकफुट से कहीं न कहीं इन आयोजनों से भाजपा जहां एक ओर आमजन के बीच में विश्वनाथ धाम की खासियत संग भाजपा की उपलब्धि गिनायी जाएंगी तो वहीं, अभी से इसकी स्पष्ट प्रतिक्रिया विपक्षी दलों पर भी देखने को मिल रही है और कहीं ना कहीं इससे प्रभावित विपक्षी दल भाजपा के लोकार्पण व मेगा आयोजन को बाजारीकरण व एक इवेंट के रूप में देख रहे हैं.

विपक्ष बाजारीकरण का लगा रहा आरोप

वरिष्ठ कांग्रेस नेता व पूर्व विधायक अजय राय ने कहा कि भाजपा शुरू से ही धर्म के नाम पर बाजारीकरण को हवा देते आई है और यही विश्वनाथ धाम के लोकार्पण में भी हो रहा है. यह बाबा का दरबार है. यहां सभी लोग आ सकते हैं. लेकिन बाजारीकरण यहां पर लागू करना बेहद शर्मनाक है. धर्म के साथ सहजता ठीक है. लेकिन बाजारीकरण की व्यवस्था नहीं होनी चाहिए. काशी की जनता इसे कभी माफ नहीं करेगी.

भाजपा ने धर्म को बनाया इवेंट

सपा के पूर्व मंत्री मनोज राय धूपचंडी ने कहा कि भाजपा एक इवेंट कंपनी है और उसका काम ही है इवेंट को मैनेज करना. विश्वनाथ कॉरिडोर की शुरुआत समाजवादी पार्टी के सरकार में हुई थी और भाजपा ने इस कॉरिडोर के विस्तारीकरण के नाम पर उसको एक इवेंट में तब्दील कर दिया. एक महीने का होने वाला कार्यक्रम भी इसी इवेंट का एक हिस्सा है. खैर, ये लोग कभी धर्म को समझ नहीं सकते हैं. यह धर्म को सिर्फ इवेंट के नाम पर लोगों के बीच बेचने का काम करते हैं.

पूर्व विधायक अजय राय
पूर्व विधायक अजय राय

इस मुद्दे के बाबत राजनीतिक विश्लेषक सत्य प्रकाश पांडेय ने बताया कि भारतीय संस्कृति हमेशा से सनातन संस्कृति के रूप में परिलक्षित रही है और बात उठी है तो निश्चित तौर पर दूर तलक जाएगी. यदि भाजपा विश्वनाथ धाम व अन्य धार्मिक धाम का विस्तारीकरण कर सनातन संस्कृति को सहेजने का काम कर रही है तो इससे विपक्षी पार्टी परेशान होगी.

क्योंकि भारत का एक बड़ा तबका सनातन संस्कृति को मानने वाला है. निश्चित तौर पर विश्वनाथ धाम का लोकार्पण उनके मन में भाजपा के प्रति एक सकारात्मक भाव पैदा करेगा, जो आगे चलकर वोट के रूप में भी तब्दील हो सकता है.

बहरहाल बात चाहे जो भी हो लेकिन 2022 विधानसभा चुनाव के ठीक पहले विश्वनाथ धाम का लोकार्पण निश्चित तौर पर सत्ता के गलियारों में हलचल बढ़ा रहा है. बैकफुट से इसके जरिए भाजपा एक निश्चित वोट बैंक को खुद के साथ जोड़ने की कवायद में जुटी हुई है. वहीं दूसरी ओर विपक्ष भी इस मुद्दे को भुनाने की कोशिश कर रहा है. खैर, ये आने वाला वक्त बताएगा कि विश्वनाथ धाम किस के पाले में सियासी उपलब्धि जोड़ता है.

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वाराणासी: 13 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी आ रहे हैं, जहां वे तीन दिन यानी 13 से 15 दिसंबर तक प्रवास करेंगे. इस दौरान पहले दिन यानी 13 दिसंबर को वे काशी विश्वनाथ धाम का लोकार्पण करेंगे. वहीं, काशी विश्वनाथ धाम के साथ कई गौरव गाथाएं जुड़ी हैं. ऐसे में उस दिन काशीवासियों के साथ ही पूरे हिन्दुस्तान की नजर काशी की ओर होगी. हालांकि, 2022 के चुनाव (UP Assembly Election 2022) में काशी विश्वनाथ धाम निश्चित तौर पर भाजपा की एक बड़ी उपलब्धि के रूप में जनता के बीच पेश की जाएगी. लेकिन भाजपा की यह उपलब्धि विपक्ष के लिए अब बड़ी चुनौती बन गई है. यही वजह है इन दिनों इसको लेकर सियासी गलियारों में भी खासा हलचल है. विपक्षी पार्टियों की ओर से इसे धार्मिक भावनाओं के साथ खिलवाड़ करार दिया जा रहा है.

अब विपक्ष के लिए चुनौती बना काशी विश्वनाथ धाम

बता दें कि 8 मार्च, 2019 यानी लोकसभा चुनाव के ठीक पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने काशी विश्वनाथ धाम का शिलान्यास किया था. तब से लगातार यह राजनीतिक गलियारों में एक ज्वलंत मुद्दा बना हुआ है. ऐसे में 2022 विधानसभा चुनाव के पहले 13 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी काशी विश्वनाथ धाम का लोकार्पण करने जा रहे हैं. वहीं, भाजपा इसे पार्टी की बड़ी उपलब्धि के रूप में जनता के बीच पेश कर रही है.

काशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण पर सियासत

यही वजह है कि 13 दिसंबर से लेकर 14 जनवरी तक एक बड़ा मेगा शो आयोजित होगा, जिसमें काशी चलो से लेकर अन्य तमाम कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा. जिससे लोगों के घर तक काशी बाबा विश्वनाथ धाम से जुड़ी सभी मान्यताओं को पहुंचाया जा सके.

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बैकफुट से कहीं न कहीं इन आयोजनों से भाजपा जहां एक ओर आमजन के बीच में विश्वनाथ धाम की खासियत संग भाजपा की उपलब्धि गिनायी जाएंगी तो वहीं, अभी से इसकी स्पष्ट प्रतिक्रिया विपक्षी दलों पर भी देखने को मिल रही है और कहीं ना कहीं इससे प्रभावित विपक्षी दल भाजपा के लोकार्पण व मेगा आयोजन को बाजारीकरण व एक इवेंट के रूप में देख रहे हैं.

विपक्ष बाजारीकरण का लगा रहा आरोप

वरिष्ठ कांग्रेस नेता व पूर्व विधायक अजय राय ने कहा कि भाजपा शुरू से ही धर्म के नाम पर बाजारीकरण को हवा देते आई है और यही विश्वनाथ धाम के लोकार्पण में भी हो रहा है. यह बाबा का दरबार है. यहां सभी लोग आ सकते हैं. लेकिन बाजारीकरण यहां पर लागू करना बेहद शर्मनाक है. धर्म के साथ सहजता ठीक है. लेकिन बाजारीकरण की व्यवस्था नहीं होनी चाहिए. काशी की जनता इसे कभी माफ नहीं करेगी.

भाजपा ने धर्म को बनाया इवेंट

सपा के पूर्व मंत्री मनोज राय धूपचंडी ने कहा कि भाजपा एक इवेंट कंपनी है और उसका काम ही है इवेंट को मैनेज करना. विश्वनाथ कॉरिडोर की शुरुआत समाजवादी पार्टी के सरकार में हुई थी और भाजपा ने इस कॉरिडोर के विस्तारीकरण के नाम पर उसको एक इवेंट में तब्दील कर दिया. एक महीने का होने वाला कार्यक्रम भी इसी इवेंट का एक हिस्सा है. खैर, ये लोग कभी धर्म को समझ नहीं सकते हैं. यह धर्म को सिर्फ इवेंट के नाम पर लोगों के बीच बेचने का काम करते हैं.

पूर्व विधायक अजय राय
पूर्व विधायक अजय राय

इस मुद्दे के बाबत राजनीतिक विश्लेषक सत्य प्रकाश पांडेय ने बताया कि भारतीय संस्कृति हमेशा से सनातन संस्कृति के रूप में परिलक्षित रही है और बात उठी है तो निश्चित तौर पर दूर तलक जाएगी. यदि भाजपा विश्वनाथ धाम व अन्य धार्मिक धाम का विस्तारीकरण कर सनातन संस्कृति को सहेजने का काम कर रही है तो इससे विपक्षी पार्टी परेशान होगी.

क्योंकि भारत का एक बड़ा तबका सनातन संस्कृति को मानने वाला है. निश्चित तौर पर विश्वनाथ धाम का लोकार्पण उनके मन में भाजपा के प्रति एक सकारात्मक भाव पैदा करेगा, जो आगे चलकर वोट के रूप में भी तब्दील हो सकता है.

बहरहाल बात चाहे जो भी हो लेकिन 2022 विधानसभा चुनाव के ठीक पहले विश्वनाथ धाम का लोकार्पण निश्चित तौर पर सत्ता के गलियारों में हलचल बढ़ा रहा है. बैकफुट से इसके जरिए भाजपा एक निश्चित वोट बैंक को खुद के साथ जोड़ने की कवायद में जुटी हुई है. वहीं दूसरी ओर विपक्ष भी इस मुद्दे को भुनाने की कोशिश कर रहा है. खैर, ये आने वाला वक्त बताएगा कि विश्वनाथ धाम किस के पाले में सियासी उपलब्धि जोड़ता है.

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