वाराणसी: आगामी यूपी विधानसभा चुनाव को लेकर घमासान जारी है. ऐसे में चुनावी सरगर्मी दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. हर नेता अपने क्षेत्र में जाकर अपनी राजनीतिक जमीन को मजबूत करने की कवायद में जुटा हुआ है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी आ रहे हैं. जहां वह अपने जनपद वासियों से बातचीत करेंगे और दीपावली से ठीक पहले उन्हें तोहफा देंगे. खास बात यह है कि यह तोहफा इस बार काशी मॉडल की तस्वीर को साकार करता हुआ नजर आ सकता है. क्योंकि जिस तरीके से 2014 के चुनाव में गुजरात मॉडल की चर्चा की जा रही थी, ठीक उसी प्रकार से 2022 के चुनाव में काशी मॉडल को एक तस्वीर के रूप में सबके सामने रखा जा सकता है. सम्भवतः कहीं न कहीं प्रधानमंत्री अपने संभावित दौरे पर जनसभा में इस तस्वीर पर बात भी करेंगे और इसे लेकर तैयारियां जोरो-शोरों पर है. ऐसा कहा जा रहा है कि इस बार काशी मॉडल में मुख्य तौर विश्वनाथ धाम एक बड़ा मुद्दा होगा. जिस पर इस बार भारतीय जनता पार्टी राजनीतिक जमीन को और मजबूत करेगी.
बहरहाल ये आने वाला वक्त बताएगा कि 2022 के चुनाव में काशी मॉडल और विश्वनाथ कॉरिडोर भारतीय जनता पार्टी के लिए कितना वरदान साबित होता है और इससे वह सत्ता की गद्दी के नजदीक कितना पहुंचते हैं, लेकिन वर्तमान राजनीतिक तस्वीर को देखकर यह कहा जा सकता है कि इस बार 2022 के चुनाव में गुजरात मॉडल या अयोध्या नहीं बल्कि काशी मॉडल और विश्वनाथ धाम एक बड़ा मुद्दा बनेगा.
चुनाव से पहले काशी को 8 हजार करोड़ की सौगात
केंद्र व राज्य सरकार के द्वारा वाराणसी में कुल 117 परियोजनाएं संचालित की जा रही हैं. जो लगभग 8 हजार 8 सौ करोड़ की है. इन योजनाओं में अन्य संरचनात्मक विकास के साथ-साथ विश्वनाथ धाम भी मौजूद है. जिस पर सत्ता से लेकर विपक्ष तक की नजर टिकी हुई है. विश्वनाथ धाम की बात कर ले यह वो धाम है जिसे इस बार सरकार के द्वारा सजाया, संवारा व एक नया स्वरूप दिया जा रहा है. जिससे वाराणसी के पर्यटन के साथ-साथ यहां की संस्कृति, धर्म व हिंदुत्व को बढ़ावा मिल सके.
नवंबर में मिल सकती है विश्वनाथ धाम की सौगात
विश्वनाथ धाम के बाबत कमिश्नर दीपक अग्रवाल ने बताया कि करीब 52 हजार वर्ग मीटर में कॉरिडोर परिक्षेत्र का निर्माण किया जा रहा है. वर्तमान में काम लगभग पूरा हो चुका है और नवंबर तक इस धाम को पूरी तरीके से तैयार कर लिया जाएगा. उन्होंने बताया कि सड़क से लेकर मणिकर्णिका और ललिता घाट तक फैले इस कॉरिडोर में भक्त अब मां गंगा की गोद से बाबा विश्वनाथ का दर्शन कर सकेंगे. सनातन धर्म में भी ऐसी मान्यता है कि गंगा स्नान या आसमान के उपरांत ही बाबा का जलाभिषेक करना चाहिए. कॉरिडोर की भव्यता व श्रद्धालुओं की सहूलियत को देखते हुए कॉरिडोर के गेट को चुनार के पत्थरों से आकार दिया जा रहा है, जिसकी लंबाई 32 फीट चौड़ाई 90 फीट हैं.
विश्वनाथ धाम को विपक्ष भी बना रहे मुद्दा
सरकार द्वारा चलाई जा रही विकास योजनाओं और खास तौर पर वर्तमान सियासी मुद्दा काशी विश्वनाथ धाम को लेकर विपक्ष भी जमकर राजनीति कर रहा है. इस बाबत कांग्रेस नेता अजय राय का कहना है कि सरकार विकास नहीं बल्कि विनाश की राजनीति कर रही है. विश्वनाथ धाम को बनाने में काशी के सभ्यता संस्कृति को खंडित किया गया है. विश्वनाथ धाम में सैकड़ों मूर्तियां, शिवलिंग को तोड़ा गया है जो सनातन धर्म के संस्कृति के खिलाफ है. कांग्रेस नेता अजय राय ने बताया कि वर्तमान सरकार सिर्फ विकास के नाम पर विनाश को बढ़ावा दे रही है. यह शहर के वास्तविक खूबसूरती को छीन रही है. विकास के नाम पर तमाम नए-नए प्रोजेक्ट तो ला रही है, लेकिन उन प्रोजेक्ट का काशी के लिए कोई औचित्य नहीं है, यही वजह है कि उनकी कई योजनाएं धूल फांकती हुई नजर आ रही हैं.
चुनावी मुद्दा बनेगा काशी मॉडल
2022 के चुनाव में काशी मॉडल के चुनावी मुद्दे को लेकर के बीजेपी के वरिष्ठ नेता धर्मेंद्र सिंह का कहना है कि सरकार हमेशा से विकास की ओर चली है और निरंतर ऐसा करती रहेगी. निश्चित तौर पर काशी मॉडल लोगों के लिए एक नजीर बनेगा और उसको लेकर वर्तमान सरकार प्रयासरत भी है. क्योंकि काशी हमारे देश की सांस्कृतिक राजधानी है. देश-विदेश में काशी की एक अलग पहचान है और इसे पहचान को और निखारने का काम सरकार के द्वारा किया जा रहा है. काशी में अनेक योजनाओं का संचालन किया जा रहा है जिससे काशी को एक विकास के मॉडल के रूप में रखा जाए और निश्चित तौर पर यदि 2022 में लोगों के लिए विकास का मॉडल बनेगा तो यह गर्व की बात है. क्योंकि इससे हमारे देश का विकास होगा और विश्व पटल पर काशी को एक नई पहचान मिलेगी.
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