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भक्तों को भा रहा है लकड़ी का बना पालना, विराजेंगे लड्डू गोपाल

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Published : Aug 23, 2019, 10:04 AM IST

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के लिए वाराणसी के मंदिर सज गए हैं. इस बार बनारस के बाजारों में भगवान श्रीकृष्ण के लिए लकड़ी का बना पालना उपलब्ध है, जो लोगों को खास पसंद आ रहा है.

लड्डू गोपल के लिए बना लकड़ी का खास पालना.

वाराणसी: हर साल भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाता है. वहीं धर्म की नगरी काशी में जगत के पालन कर्ता भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव बड़े धूमधाम और अलग ढंग से मनाया जाता है. शिव की नगरी में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाने की पूरी तैयारियां हो चुकी हैं. इस बार भगवान श्रीकृष्ण के लिए के लिए बना लकड़ी का पालना लोगों के मन भा रहा है.

लड्डू गोपल के लिए बना लकड़ी का खास पालना.

लड्डू गोपल के लिए बना लकड़ी का खास पालना
जन्माष्टमी के महापर्व पर घरों से लेकर मंदिर, पुलिस स्टेशनों में विशेष प्रकार की झांकी सजाई जाती है. ज्यादातर घरों में लकड़ी के छोटे-छोटे खिलौने सजाकर भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाता है. इन दिनों काशी में लकड़ी का पालना बाजारों में आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. बनारस के बाजारों में जहां चाइनीज प्लास्टिक, शीशे के पालना मौजूद हैं. वहीं बनारस में बना हुआ लकड़ी का पालना भी लोगों को खास पसंद आ रहा है.

पढ़ें- वाराणसी: शहर के दौरे पर मुख्यमंत्री, नगर निगम के सफाई कार्यों की खुली पोल

हम पिछले 50 वर्ष से लकड़ी के खिलौनों सहित सिंधोरा और पालना बनाते हैं. पिछले कुछ दिनों में लकड़ी के पालने का क्रेज बढ़ा है मांग बढ़ी है. बनारस सहित दूर-दूर के शहरों में भी लकड़ी के पालना भेजा जाता है. 200 रुपये से लेकर लगभग 2,000 रुपये तक की कीमत का पालना हम ऑर्डर पर भी बनाते हैं. लकड़ी का पालना सबसे शुद्ध होता है.
-राजेंद्र प्रसाद वर्मा , कारीगर

वाराणसी: हर साल भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाता है. वहीं धर्म की नगरी काशी में जगत के पालन कर्ता भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव बड़े धूमधाम और अलग ढंग से मनाया जाता है. शिव की नगरी में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाने की पूरी तैयारियां हो चुकी हैं. इस बार भगवान श्रीकृष्ण के लिए के लिए बना लकड़ी का पालना लोगों के मन भा रहा है.

लड्डू गोपल के लिए बना लकड़ी का खास पालना.

लड्डू गोपल के लिए बना लकड़ी का खास पालना
जन्माष्टमी के महापर्व पर घरों से लेकर मंदिर, पुलिस स्टेशनों में विशेष प्रकार की झांकी सजाई जाती है. ज्यादातर घरों में लकड़ी के छोटे-छोटे खिलौने सजाकर भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाता है. इन दिनों काशी में लकड़ी का पालना बाजारों में आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. बनारस के बाजारों में जहां चाइनीज प्लास्टिक, शीशे के पालना मौजूद हैं. वहीं बनारस में बना हुआ लकड़ी का पालना भी लोगों को खास पसंद आ रहा है.

पढ़ें- वाराणसी: शहर के दौरे पर मुख्यमंत्री, नगर निगम के सफाई कार्यों की खुली पोल

हम पिछले 50 वर्ष से लकड़ी के खिलौनों सहित सिंधोरा और पालना बनाते हैं. पिछले कुछ दिनों में लकड़ी के पालने का क्रेज बढ़ा है मांग बढ़ी है. बनारस सहित दूर-दूर के शहरों में भी लकड़ी के पालना भेजा जाता है. 200 रुपये से लेकर लगभग 2,000 रुपये तक की कीमत का पालना हम ऑर्डर पर भी बनाते हैं. लकड़ी का पालना सबसे शुद्ध होता है.
-राजेंद्र प्रसाद वर्मा , कारीगर

Intro:जन्माष्टमी विशेष।

धर्म की नगरी काशी में हर पर्व अपने अलग अंदाज से मनाया जाता है ऐसे में हम बात करें तो जगत के पालन करता भगवान श्री कृष्ण का जन्म उत्सव बड़े धूमधाम से और हर मनाने की पूरी तैयारी हो चुकी है।


Body:जन्माष्टमी के महापर्व पर घरों से लेकर मंदिर पुलिस स्टेशन हो को विशेष प्रकार की झांकी सजाई जाती है ऐसे में हम बात करे तो जिसमें लकड़ी के छोटे छोटे खिलौनों सजाकर भगवान श्री कृष्ण का जन्म उत्सव मनाया जाता है। हम बात करें तो इन दिनों लकड़ी का पालना आकर्षण का केंद्र बना हुआ है मार्केट में जहां चाइनीस प्लास्टिक शीशे के पालना मौजूद है उसके साथ ही बनारस में बना हुआ लकड़ी का पालना भी लोगों को खास पसंद आ रहा है।


ईटीवी आज आपको बताएगा व्यापारियों से बनता है और इससे क्या खासियत होती है।


Conclusion:कारीगर राजेंद्र प्रसाद वर्मा ने बताया कि हम पिछले 50 वर्ष से लकड़ी के खिलौनों सहित सिंधोरा और पालना बनाते हैं। पिछले कुछ दिनों में लकड़ी के पालने का क्रेज बढ़ा है मांग बड़ा है। पहले लकड़ी की क्वालिटी ना होने की वजह से पालना सुंदर नहीं बन पाता था। या पालना लिप्टस की लकड़ी से बनाया जाता है इसे बनाने में लगभग 10 दिन का समय लगता है हम कच्ची लकड़ी को लाकर उसे मशीन से काट कर फिर उसमें पेंटिंग करते हैं और फिर वह मार्केट में लिखने के लिए तैयार होता है बनारस सहित दूर-दूर के शहरों में भी लकड़ी के पालना भेजा जाता है अगर हम कीमत की बात करें ₹200 से लेकर या लगभग 2,000 रुपए तक की कीमत का बनता है कुछ पालना हम ऑर्डर पर भी बनाते हैं। अगर हम बात करें तो आने वाली पीढ़ी बनारस केस पहचान में इंटरेस्ट नहीं दिखा रही है लेकिन हम तो यह काम करते आए हैं और कर रहे हैं पहले के ज्यादा व्यापार ठीक हुआ है क्योंकि यह लकड़ी का पालना होता है और लकड़ी सबसे शुद्ध होता है।

अशीतोष उपध्याय

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