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बनारस के इस घाट पर जल, थल और नभ तीनों रास्तों से पहुंचना होगा आसान

पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस में विकास कार्य तेजी से आगे बढ़ाने के लिए कई नए और बड़े प्रोजेक्ट जल्द शुरू होने वाले हैं. काम पूरा हो चुका है बस इनकी शुरुआत होनी बाकी है.

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खिरकिया घाट बनारस
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Published : Jun 11, 2022, 6:13 PM IST

वाराणसी: नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस में विकास कार्य तेजी से आगे बढ़ाने के लिए कई नए और बड़े प्रोजेक्ट जल्द शुरू होने वाले हैं. काम पूरा हो चुका है बस इनकी शुरुआत होनी बाकी है. इन प्रोजेक्ट में से सबसे महत्वपूर्ण है प्रधानमंत्री का वोट ड्रीम प्रोजेक्ट, जो बीते डेढ़ सालों से तैयार किया जा रहा था.

बनारस के खिरकिया घाट रिनोवेशन प्रोजेक्ट के तहत बनारस के इस घाट का नाम जल्द ही नमो घाट किए जाने का प्रस्ताव भी तैयार कर लिया गया है. वैसे तो इस घाट की अपनी बहुत सी खासियत हैं, लेकिन इस घाट की ठाठ इसलिए ज्यादा महत्वपूर्ण मानी जा रही है, क्योंकि पूरे उत्तर प्रदेश में बनारस का यह इकलौता ऐसा घाट होगा जो सिर्फ पानी के रास्ते नहीं बल्कि जल, थल और नभ तीनों से जोड़ा जा रहा है, यानी यहां पर पहुंचने के लिए आप आसमान से पानी से और सड़क से तीनों रास्तों से आ सकते हैं.

खिरकिया घाट बनारस
दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से पौराणिक प्राचीनता को आधुनिकता से जोड़कर एक बेहतर विकल्प की तैयारी की जा रही है. बनारस के 84 घाटों के अंतिम घाट कहे जाने वाले खिरकिया घाट को एक नए रूप में लोगों के सामने लाने की प्लानिंग की गई थी. 34 करोड़ की लागत से घाट को तैयार करने के लिए प्रोजेक्ट बनाया गया था और अब यह काम पूरा हो चुका है. माना जा रहा है कि जुलाई के महीने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे पर या घाट लोगों को सौंप दिया जाएगा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बनारस आगमन पर इस घाट पर एक भव्य आयोजन भी करने की तैयारी की जा रही है.
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खिरकिया घाट बनारस

पढ़ेंः बनारसी दीदी: भौजाई क छलकत दर्द, कहलीन- मुसीबत बन गईल बा ऑनलाइन गेम अउर मोबाइल

यह घाट अपने आप में देखने में जितना खूबसूरत और अलौकिक है उतनी ही इसकी खासियत भी बनारस के और घाटों से बिल्कुल अलग मानी जा रही है. सबसे महत्वपूर्ण है इस घाट की कनेक्टिविटी, एक तरफ जहां गंगा उस पार बनाए जा रहे हेलीपैड के जरिए यहां पर आसमान के रास्ते से पहुंचना आसान होगा, तो गंगा किनारे बनाई जा रही जेट्टी पर बड़े-बड़े क्रूज और नौकाओं के जरिए पहुंचा जा सकेगा. इसके अलावा घाट के मुहाने पर फोर व्हीलर, बड़ी बसें, टूटिस्ट व्हेकिल आसानी से पहुंच जाएंगी. जिससे पर्यटकों को किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं उठानी पड़ेगी.

इसके अलावा भी इस घाट पर आने वाले पर्यटकों को बहुत कुछ ऐसा मिलेगा जो और किसी घाट पर नहीं मौजूद है. सबसे बड़ी बात है यहां पर मौजूद 25 फीट, 15 फीट के 3 बड़े बड़े नमस्कार करते हुए हाथ इस घाट को बिल्कुल अलग बनाते हैं. इन हाथों के आगे संगमरमर पर बड़ा बड़ा नमो नमः लिखा गया है. सूर्य नमस्कार की मुद्रा वाले या हाथ मा गंगा को प्रणाम करते हुए 3 साइज में यहां पर लगवाए जा चुके हैं.

इस बारे में वाराणसी स्मार्ट सिटी के मुख्य महाप्रबंधक डॉ. वासुदेव ने बातचीत के दौरान बताया कि 21,000 स्क्वायर मीटर में इस घाट को तैयार किया गया है. इस घाट की खूबसूरती अपने आप में अद्भुत है, क्योंकि पूरे घाट को जालीदार लाल पत्थरों की नक्काशी से तैयार कराया जा रहा है. गंगा घाट पर पहुंचने के लिए जल का रास्ता आसमान का रास्ता या फिर सड़क मार्ग तीनों से कनेक्टिविटी की सुविधा दी जा रही है.

पढ़ेंः बनारसी दीदी: भौजाई क छलकत दर्द, कहलीन- मुसीबत बन गईल बा ऑनलाइन गेम अउर मोबाइल

इसका फर्स्ट फेज बनकर तैयार हो चुका है और पर्यटक यहां पर सुबह बनारस और शाम को गंगा की शीतलता का भी आनंद ले सकेंगे. सबसे बड़ी बात यह है कि गंगा आरती में शामिल होने के लिए पर्यटक यहां से जा सकते हैं और यहां भी गंगा आरती की विशेष व्यवस्था कराने की तैयारी की जा रही है. इसके अतिरिक्त गंगा में वाटर एडवेंचर के लिए भी इस घाट को तैयार किया जा रहा है, जिससे वाटर स्पोर्ट्स का मजा भी यहां पर आने वाले पर्यटकों को मिलेगा. मॉर्निंग वॉक के लिए एक अलग ट्रैक और एक्सरसाइज के लिए यहां पर मशीनों को लगाने की कार्रवाई भी जल्द पूरी कर ली जाएगी. इसके अलावा यहां पर फूड कोर्ट का मजा देने के लिए स्ट्रीट वेंडर्स की व्यवस्था की जाएगी, ताकि बनारसी पन का पूरा स्वाद यहीं पर मिल सके.

इसके अतिरिक्त विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ ही श्री काशी विश्वनाथ मंदिर आने वाले लोगों को यहां पर एक काउंटर के जरिए सुगम दर्शन का टिकट भी मिल जाएगा और वहां पर मौजूद मोटर बोट के जरिए सीधे से काशी विश्वनाथ धाम तक जा सकेंगे. गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के लिए यहां पर सीएनजी नावों का संचालन किया जा रहा है और यहां पर ही नावों के लिए फ्लोटिंग सीएनजी स्टेशन भी बनाने की प्लानिंग है. जिसका काम भी शुरू हो चुका है. यहां से क्रूज का संचालन भी किया जाएगा ताकि लोग बनारस के गंगा घाटों का लुफ्त उठाते हुए इस घाट की अलौकिकता को भी लोगों तक पहुंचा सकें. सबसे बड़ी बात यह है कि इस घाट को इस तरह से डिजाइन किया गया है, ताकि बाढ़ के दौरान यह घाट सुरक्षित रहे.

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वाराणसी: नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस में विकास कार्य तेजी से आगे बढ़ाने के लिए कई नए और बड़े प्रोजेक्ट जल्द शुरू होने वाले हैं. काम पूरा हो चुका है बस इनकी शुरुआत होनी बाकी है. इन प्रोजेक्ट में से सबसे महत्वपूर्ण है प्रधानमंत्री का वोट ड्रीम प्रोजेक्ट, जो बीते डेढ़ सालों से तैयार किया जा रहा था.

बनारस के खिरकिया घाट रिनोवेशन प्रोजेक्ट के तहत बनारस के इस घाट का नाम जल्द ही नमो घाट किए जाने का प्रस्ताव भी तैयार कर लिया गया है. वैसे तो इस घाट की अपनी बहुत सी खासियत हैं, लेकिन इस घाट की ठाठ इसलिए ज्यादा महत्वपूर्ण मानी जा रही है, क्योंकि पूरे उत्तर प्रदेश में बनारस का यह इकलौता ऐसा घाट होगा जो सिर्फ पानी के रास्ते नहीं बल्कि जल, थल और नभ तीनों से जोड़ा जा रहा है, यानी यहां पर पहुंचने के लिए आप आसमान से पानी से और सड़क से तीनों रास्तों से आ सकते हैं.

खिरकिया घाट बनारस
दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से पौराणिक प्राचीनता को आधुनिकता से जोड़कर एक बेहतर विकल्प की तैयारी की जा रही है. बनारस के 84 घाटों के अंतिम घाट कहे जाने वाले खिरकिया घाट को एक नए रूप में लोगों के सामने लाने की प्लानिंग की गई थी. 34 करोड़ की लागत से घाट को तैयार करने के लिए प्रोजेक्ट बनाया गया था और अब यह काम पूरा हो चुका है. माना जा रहा है कि जुलाई के महीने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे पर या घाट लोगों को सौंप दिया जाएगा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बनारस आगमन पर इस घाट पर एक भव्य आयोजन भी करने की तैयारी की जा रही है.
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खिरकिया घाट बनारस

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यह घाट अपने आप में देखने में जितना खूबसूरत और अलौकिक है उतनी ही इसकी खासियत भी बनारस के और घाटों से बिल्कुल अलग मानी जा रही है. सबसे महत्वपूर्ण है इस घाट की कनेक्टिविटी, एक तरफ जहां गंगा उस पार बनाए जा रहे हेलीपैड के जरिए यहां पर आसमान के रास्ते से पहुंचना आसान होगा, तो गंगा किनारे बनाई जा रही जेट्टी पर बड़े-बड़े क्रूज और नौकाओं के जरिए पहुंचा जा सकेगा. इसके अलावा घाट के मुहाने पर फोर व्हीलर, बड़ी बसें, टूटिस्ट व्हेकिल आसानी से पहुंच जाएंगी. जिससे पर्यटकों को किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं उठानी पड़ेगी.

इसके अलावा भी इस घाट पर आने वाले पर्यटकों को बहुत कुछ ऐसा मिलेगा जो और किसी घाट पर नहीं मौजूद है. सबसे बड़ी बात है यहां पर मौजूद 25 फीट, 15 फीट के 3 बड़े बड़े नमस्कार करते हुए हाथ इस घाट को बिल्कुल अलग बनाते हैं. इन हाथों के आगे संगमरमर पर बड़ा बड़ा नमो नमः लिखा गया है. सूर्य नमस्कार की मुद्रा वाले या हाथ मा गंगा को प्रणाम करते हुए 3 साइज में यहां पर लगवाए जा चुके हैं.

इस बारे में वाराणसी स्मार्ट सिटी के मुख्य महाप्रबंधक डॉ. वासुदेव ने बातचीत के दौरान बताया कि 21,000 स्क्वायर मीटर में इस घाट को तैयार किया गया है. इस घाट की खूबसूरती अपने आप में अद्भुत है, क्योंकि पूरे घाट को जालीदार लाल पत्थरों की नक्काशी से तैयार कराया जा रहा है. गंगा घाट पर पहुंचने के लिए जल का रास्ता आसमान का रास्ता या फिर सड़क मार्ग तीनों से कनेक्टिविटी की सुविधा दी जा रही है.

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इसका फर्स्ट फेज बनकर तैयार हो चुका है और पर्यटक यहां पर सुबह बनारस और शाम को गंगा की शीतलता का भी आनंद ले सकेंगे. सबसे बड़ी बात यह है कि गंगा आरती में शामिल होने के लिए पर्यटक यहां से जा सकते हैं और यहां भी गंगा आरती की विशेष व्यवस्था कराने की तैयारी की जा रही है. इसके अतिरिक्त गंगा में वाटर एडवेंचर के लिए भी इस घाट को तैयार किया जा रहा है, जिससे वाटर स्पोर्ट्स का मजा भी यहां पर आने वाले पर्यटकों को मिलेगा. मॉर्निंग वॉक के लिए एक अलग ट्रैक और एक्सरसाइज के लिए यहां पर मशीनों को लगाने की कार्रवाई भी जल्द पूरी कर ली जाएगी. इसके अलावा यहां पर फूड कोर्ट का मजा देने के लिए स्ट्रीट वेंडर्स की व्यवस्था की जाएगी, ताकि बनारसी पन का पूरा स्वाद यहीं पर मिल सके.

इसके अतिरिक्त विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ ही श्री काशी विश्वनाथ मंदिर आने वाले लोगों को यहां पर एक काउंटर के जरिए सुगम दर्शन का टिकट भी मिल जाएगा और वहां पर मौजूद मोटर बोट के जरिए सीधे से काशी विश्वनाथ धाम तक जा सकेंगे. गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के लिए यहां पर सीएनजी नावों का संचालन किया जा रहा है और यहां पर ही नावों के लिए फ्लोटिंग सीएनजी स्टेशन भी बनाने की प्लानिंग है. जिसका काम भी शुरू हो चुका है. यहां से क्रूज का संचालन भी किया जाएगा ताकि लोग बनारस के गंगा घाटों का लुफ्त उठाते हुए इस घाट की अलौकिकता को भी लोगों तक पहुंचा सकें. सबसे बड़ी बात यह है कि इस घाट को इस तरह से डिजाइन किया गया है, ताकि बाढ़ के दौरान यह घाट सुरक्षित रहे.

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