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वाराणसी: ISI एजेंट राशिद ने कबूला, बनारस ही नहीं यूपी के कई शहरों की रेकी कर भेजी जानकारियां

बनारस से पकड़े गए आईएसआई एजेंट राशिद ने पूछताछ में कबूला है कि सिर्फ बनारस ही नहीं यूपी के कई शहरों की रेकी उसने की और कई जिलों की महत्वपूर्ण जानकारियां पाकिस्तान भेजे हैं.

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Published : Jan 20, 2020, 6:59 PM IST

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ISI एजेंट राशिद वाराणसी में गिरफ्तार हुआ.

वाराणसी: चंदौली का रहने वाला मोहम्मद राशिद सोमवार को यूपी एटीएस और सेना की इंटेलिजेंस के हत्थे चढ़ा है. आईएसआई एजेंट्स के संपर्क में रहकर 2019 मार्च महीने से राशिद ने वाराणसी ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश के कई जिलों की महत्वपूर्ण जानकारियां पाकिस्तान भेजे हैं. ईटीवी भारत को एटीएस के खुफिया सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक राशिद ने उत्तर प्रदेश के बरेली, आगरा, लखनऊ, वाराणसी, सुलतानपुर और अमेठी जिलों के अलावा कानपुर के तमाम उन स्थानों की तस्वीरें और वीडियो पाकिस्तान में बैठे आईएसआई के आकाओं को मुहैया कराई है. जिसके बाद अब यूपी के अलग-अलग जिलों में राशिद के मददगारों की तलाश की जा सकती है.

जानकारी देते संवाददाता.


एटीएस के सूत्रों का कहना है कि राशिद को शक के आधार पर 16 जनवरी 2020 को पूछताछ के लिए बुलाया गया था. बाद में उसके मोबाइल डिवाइस पर प्रारंभिक पूछताछ और उसके बाद पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के साथ उसकी भागीदारी के बारे में स्पष्ट रूप से संकेत मिले. इसके बाद उसे 19 जनवरी को गिरफ्तार कर लिया गया. 23 साल का मोहम्मद राशिद अपने नाना और मामा के साथ के चंदौली में अपनी मां को लेकर रह रहा था.


दो बार जा चुका है पाकिस्तान
एटीएस के खुफिया सूत्रों के मुताबिक प्रारंभिक पूछताछ में पता चला है कि राशिद 2017 और 2018-19 में दो बार पाकिस्तान गया. वहां उसने अपने चाचा के दो बेटों से मुलाकात के बाद पाकिस्तान में कुछ आईएसआई अधिकारियों से मुलाकात की, जिसमें उसे आईएसआई के आकाओं ने आशिम और अमाद के रूप में नाम देकर काम शुरू करवाया. यहां तक कि पाकिस्तान से ही उसे भारत के दो नए सिम कार्ड भी प्रोवाइड कराए गए, जिसके जरिए वह व्हाट्सएप से तस्वीरें, वीडियो व अन्य जानकारी मुहैया कराता था.


नेताओं और रैलियों की भेज रहा था जानकारी
राशिद बनारस आने वाले बड़े नेताओं और उनकी रैलियों की जानकारी भी इसी नंबर के जरिए पाकिस्तान भेज रहा था. सूत्रों के मुताबिक राशिद ने यह भी बताया है कि आईएसआई के आकाओं ने उसे पैसे देने का वादा किया था. कराची में उसके चचेरे भाई की शादी करने में मदद करने का आश्वासन भी दिया था.


कई स्थानों की तस्वीरें और वीडियो साझा किए
पूछताछ में यह बात भी सामने आई है कि राशिद ने कई स्थानों की तस्वीरें और वीडियो भी साझा किए थे. इस सूची में काशी विश्वनाथ मंदिर, वायु सेना चयन बोर्ड, ज्ञानवापी मस्जिद, संकट मोचन मंदिर, कैंट रेलवे स्टेशन, दशाश्वमेध घाट, आगरा किला (यूपी), नबी पुल और अर्ध कुंभ मेला (प्रयागराज), सीआरपीएफ कैंप (चंदौली और अमेठी), गोरखपुर रेलवे स्टेशन, रेणुकूट थर्मल पावर प्लांट (सोनभद्र), दिल्ली में इंडिया गेट, अजमेर शरीफ (राजस्थान में), नागपुर रेलवे स्टेशन (महाराष्ट्र में) और अन्य शामिल है.


CAA/NRC विरोध प्रदर्शन की भी जानकारी दी
इसके अलावा उसने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) में हालिया विरोध प्रदर्शनों की वीडियो और तस्वीरें भी भेजी हैं. राशिद ने लखनऊ में CAA / NRC विरोध प्रदर्शन की भी जानकारी दी थी. अपने हैंडलर के साथ मोहम्मद राशिद का अंतिम संचार 13 जनवरी 2020 को हुआ था.


राशिद को पाकिस्तान से मिले उपहार
खुफिया सूत्रों के मुताबिक इन सबके बदले पाकिस्तान से राशिद को मई 2019 के महीने में पाकिस्तान के राष्ट्रीय ध्वज (ग्रीन एंड व्हाइट) में एक टी-शर्ट वाला उपहार पैकेट मिला है और जुलाई 2019 में 5 हजार रुपये का भुगतान किया गया है. फिलहाल यह जानकारी भी हाथ लगी है कि राशिद यहां से पाकिस्तान में बैठे किसी अशीम व अमद से संपर्क में था और उसने अक्टूबर/नवंबर 2019 के महीने में एक बार अपने बॉस (एक अधिकारी) से भी बात की थी. जिन्होंने बाद के आंदोलनों की निगरानी के लिए जोधपुर में सेना की स्थापना के पास एक दुकान का अधिग्रहण करने के लिए कहा था और इसके लिए एक लाख रुपये की राशि और 10 से 15 हजार रुपये के मासिक किराये का आश्वासन दिया था.

वाराणसी: चंदौली का रहने वाला मोहम्मद राशिद सोमवार को यूपी एटीएस और सेना की इंटेलिजेंस के हत्थे चढ़ा है. आईएसआई एजेंट्स के संपर्क में रहकर 2019 मार्च महीने से राशिद ने वाराणसी ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश के कई जिलों की महत्वपूर्ण जानकारियां पाकिस्तान भेजे हैं. ईटीवी भारत को एटीएस के खुफिया सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक राशिद ने उत्तर प्रदेश के बरेली, आगरा, लखनऊ, वाराणसी, सुलतानपुर और अमेठी जिलों के अलावा कानपुर के तमाम उन स्थानों की तस्वीरें और वीडियो पाकिस्तान में बैठे आईएसआई के आकाओं को मुहैया कराई है. जिसके बाद अब यूपी के अलग-अलग जिलों में राशिद के मददगारों की तलाश की जा सकती है.

जानकारी देते संवाददाता.


एटीएस के सूत्रों का कहना है कि राशिद को शक के आधार पर 16 जनवरी 2020 को पूछताछ के लिए बुलाया गया था. बाद में उसके मोबाइल डिवाइस पर प्रारंभिक पूछताछ और उसके बाद पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के साथ उसकी भागीदारी के बारे में स्पष्ट रूप से संकेत मिले. इसके बाद उसे 19 जनवरी को गिरफ्तार कर लिया गया. 23 साल का मोहम्मद राशिद अपने नाना और मामा के साथ के चंदौली में अपनी मां को लेकर रह रहा था.


दो बार जा चुका है पाकिस्तान
एटीएस के खुफिया सूत्रों के मुताबिक प्रारंभिक पूछताछ में पता चला है कि राशिद 2017 और 2018-19 में दो बार पाकिस्तान गया. वहां उसने अपने चाचा के दो बेटों से मुलाकात के बाद पाकिस्तान में कुछ आईएसआई अधिकारियों से मुलाकात की, जिसमें उसे आईएसआई के आकाओं ने आशिम और अमाद के रूप में नाम देकर काम शुरू करवाया. यहां तक कि पाकिस्तान से ही उसे भारत के दो नए सिम कार्ड भी प्रोवाइड कराए गए, जिसके जरिए वह व्हाट्सएप से तस्वीरें, वीडियो व अन्य जानकारी मुहैया कराता था.


नेताओं और रैलियों की भेज रहा था जानकारी
राशिद बनारस आने वाले बड़े नेताओं और उनकी रैलियों की जानकारी भी इसी नंबर के जरिए पाकिस्तान भेज रहा था. सूत्रों के मुताबिक राशिद ने यह भी बताया है कि आईएसआई के आकाओं ने उसे पैसे देने का वादा किया था. कराची में उसके चचेरे भाई की शादी करने में मदद करने का आश्वासन भी दिया था.


कई स्थानों की तस्वीरें और वीडियो साझा किए
पूछताछ में यह बात भी सामने आई है कि राशिद ने कई स्थानों की तस्वीरें और वीडियो भी साझा किए थे. इस सूची में काशी विश्वनाथ मंदिर, वायु सेना चयन बोर्ड, ज्ञानवापी मस्जिद, संकट मोचन मंदिर, कैंट रेलवे स्टेशन, दशाश्वमेध घाट, आगरा किला (यूपी), नबी पुल और अर्ध कुंभ मेला (प्रयागराज), सीआरपीएफ कैंप (चंदौली और अमेठी), गोरखपुर रेलवे स्टेशन, रेणुकूट थर्मल पावर प्लांट (सोनभद्र), दिल्ली में इंडिया गेट, अजमेर शरीफ (राजस्थान में), नागपुर रेलवे स्टेशन (महाराष्ट्र में) और अन्य शामिल है.


CAA/NRC विरोध प्रदर्शन की भी जानकारी दी
इसके अलावा उसने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) में हालिया विरोध प्रदर्शनों की वीडियो और तस्वीरें भी भेजी हैं. राशिद ने लखनऊ में CAA / NRC विरोध प्रदर्शन की भी जानकारी दी थी. अपने हैंडलर के साथ मोहम्मद राशिद का अंतिम संचार 13 जनवरी 2020 को हुआ था.


राशिद को पाकिस्तान से मिले उपहार
खुफिया सूत्रों के मुताबिक इन सबके बदले पाकिस्तान से राशिद को मई 2019 के महीने में पाकिस्तान के राष्ट्रीय ध्वज (ग्रीन एंड व्हाइट) में एक टी-शर्ट वाला उपहार पैकेट मिला है और जुलाई 2019 में 5 हजार रुपये का भुगतान किया गया है. फिलहाल यह जानकारी भी हाथ लगी है कि राशिद यहां से पाकिस्तान में बैठे किसी अशीम व अमद से संपर्क में था और उसने अक्टूबर/नवंबर 2019 के महीने में एक बार अपने बॉस (एक अधिकारी) से भी बात की थी. जिन्होंने बाद के आंदोलनों की निगरानी के लिए जोधपुर में सेना की स्थापना के पास एक दुकान का अधिग्रहण करने के लिए कहा था और इसके लिए एक लाख रुपये की राशि और 10 से 15 हजार रुपये के मासिक किराये का आश्वासन दिया था.

Intro:वाराणसी: चंदौली पड़ाव का रहने वाला मोहम्मद राशिद आज यूपी एटीएस और सेना की इंटेलिजेंस के हत्थे चढ़ा है. आईएसआई एजेंटस के संपर्क में रहकर 2019 मार्च महीने से राशिद ने वाराणसी ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश के कई जिलों की महत्वपूर्ण जानकारियां पाकिस्तान भेजे हैं. ईटीवी भारत को एटीएस के खुफिया सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक राशिद ने उत्तर प्रदेश के बरेली, आगरा, लखनऊ, वाराणसी, सुल्तानपुर और अमेठी जिलों के अलावा कानपुर के तमाम उन स्थानों की तस्वीरें और वीडियो पाकिस्तान में बैठे आईएसआई के आकाओं को मुहैया कराई हैं. जिसके बाद अब यूपी के अलग-अलग जिलों में राशिद के मददगार ओं की तलाश की जा सकती है. फिलहाल वाराणसी में राशिद दानिश नाम के जिस व्यक्ति के लिए ग्लो साइन बोर्ड बनाने का काम करता था उसकी भी तलाश कर उससे भी पूछताछ की जा सकती है, क्योंकि राशिद के परिवार वालों का कहना है कि उसे अलग-अलग शहरों में काम के सिलसिले में दानिश ने भेजा था इन सब के बीच कुछ ऐसी जानकारियां भी हाथ लगी है, जो निश्चित तौर पर चौंकाने वाली हैं इनमें नागरिकता संशोधन अधिनियम को लेकर देश के अलग-अलग हिस्सों में हो रहे प्रदर्शन से जुड़ी जानकारियां भी राशिद ने पाकिस्तान को भेजी हैं. जिनमें काशी हिंदू विश्वविद्यालय में छात्रों के प्रदर्शन से लेकर 19 दिसंबर को सीए के प्रदर्शन के दौरान भेलूपुर बजरिया इलाके में हुई पुलिसिया कार्रवाई से लेकर एक बच्चे की मौत तक की जानकारी और वहां मोहल्ले के संबंधित फोटो और वीडियो भी राशिद ने पाकिस्तान में बैठे अपने आकाओं तक पहुंचाएं हैं.Body:वीओ-01 एटीएस के सूत्रों का कहना है कि राशिद को शक के आधार पर 16 जनवरी 2020 को पूछताछ के लिए बुलाया गया था. बाद में उसके मोबाइल डिवाइस पर प्रारंभिक पूछताछ और परीक्षा के बाद पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के साथ उसकी भागीदारी के बारे में स्पष्ट रूप से संकेत मिले. इसके बाद उसे 19 जनवरी को गिरफ्तार कर लिया गया. 23 साल का मोहम्मद राशीद अपने नाना और मामा के साथ के चंदौली में अपनी मा को लेकर रह रहा था.Conclusion:वीओ-02 एटीएस के खुफिया सूत्रों के मुताबिक प्रारंभिक पूछताछ में पता चला है कि राष्ट्रीय 2017 और 2018 19 में दो बार पाकिस्तान गया वहां उसने अपने चाचा के दो बेटों से मुलाकात के बाद पाकिस्तान में कुछ आईएसआई अधिकारियों से मुलाकात की जिसमें उसे आईएसआई के आकाओं ने आशिम और अमाद के रूप में नाम देकर काम शुरू करवाया. यहां तक कि पाकिस्तान से ही उसे भारत के दो नए सिम कार्ड भी प्रोवाइड कराए गए जिसके जरिए वह व्हाट्सएप से तस्वीरें, वीडियो व अन्य जानकारी मुहैया कराता था यहां तक कि बनारस आने वाले बड़े नेताओं और उनकी रैलियों की जानकारी भी राशिद इसी नंबर के जरिए पाकिस्तान भेज रहा था. सूत्रों के मुताबिक राशिद ने यह भी बताया है कि पाकिस्तान उसे पैसे देने का वादा किया गया था और कराची में उसके चचेरे भाई की शादी करने में मदद करने का आश्वासन भी दिया था.

पूछताछ में यह बात भी सामने आई है कि राशिद ने कई स्थानों की तस्वीरें और वीडियो भी साझा किए थे. इस सूची में काशी विश्वनाथ मंदिर, वायु सेना चयन बोर्ड, ज्ञानवापी मस्जिद, संकट मोचन मंदिर, कैंट रेलवे स्टेशन, दशाश्वमेध घाट, आगरा किला (यूपी), नबी पुल और अर्ध कुंभ मेला (प्रयागराज), सीआरपीएफ कैंप (चंदौली और अमेठी), गोरखपुर रेलवे स्टेशन, रेणुकूट थर्मल पावर प्लांट (सोनभद्र), दिल्ली में इंडिया गेट, अजमेर शरीफ (राजस्थान में), नागपुर रेलवे स्टेशन (महाराष्ट्र में) और अन्य शामिल है. इसके अलावा, उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) में हालिया विरोध प्रदर्शनों की वीडियो और तस्वीरें भी भेजी हैं और उनके पाकिस्तानी हैंडलर्स द्वारा पूछे जाने पर लखनऊ में CAA / NRC विरोध प्रदर्शन की भी जानकारी दी थी. अपने हैंडलर के साथ मोहम्मद राशिद का अंतिम संचार 13 जनवरी 2020 को हुआ था.

खुफिया सूत्रों के मुताबिक इन सबके बदले पाकिस्तान से राशिद को मई 2019 के महीने में पाकिस्तान के राष्ट्र रंगों (ग्रीन एंड व्हाइट) में एक टी-शर्ट वाला उपहार पैकेट मिला है और जुलाई 2019 में 5,000 रुपये का भुगतान किया गया है. फिलहाल यह जानकारी भी हाथ लगी है कि राष्ट्रीय जी यहां से पाकिस्तान में बैठे किसी अशीम व अमद से संपर्क में था और उन्होंने अक्टूबर/ नवंबर 2019 के महीने में एक बार अपने बॉस (एक अधिकारी) से भी बात कराई थी. जिन्होंने उन्हें बाद के आंदोलनों की निगरानी के लिए जोधपुर में सेना की स्थापना के पास एक दुकान का अधिग्रहण करने के लिए कहा था. उन्हें इसके लिए एक लाख रुपये की राशि और 10 से 15 हजार रुपये के मासिक किराये का आश्वासन दिया गया था.

गोपाल मिश्र

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