अलीगढ़: बाल रोग विभाग अध्यक्ष डॉक्टर जेबा जका उर रब ने बताया, मां का दूध बच्चों के लिए बहुत जरूरी है. कम से कम 6 महीने तक तो मां को अपने बच्चों को दूध पिलाना ही चाहिए. इसके अलावा इसकी अपर लिमिट कोई नहीं है. जब तक मां चाहे अपने बच्चों को दूध पिला सकती है.
मां का दूध बच्चों के लिए क्यों है जरूरी: किसी भी शिशु के लिए जीवन के पहले 6 महीने बेहद महत्वपूर्ण होते हैं. इस दौरान शिशु को मिला पोषण उसके विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. इसलिए बच्चे के लिए मां का दूध "लिक्विड गोल्ड" माना जाता है. मां का दूध शिशु के विकास के लिए जरूरी डाइट में पर्याप्त कैलोरी, प्रोटीन और वसा की कमी को पूरा करता है. पहले 6 महीनों के दौरान जरूरी संपूर्ण पोषण की क्षमता मां के दूध में होती है. मां के दूध में कैल्शियम, फास्फोरस, आयरन, मैग्नीशियम, जिंक और अन्य पोषक तत्व भी उचित मात्रा में होते हैं.
3 स्तनपान केंद्र स्थापित: बाल रोग विभाग अध्यक्ष डॉक्टर जेबा जका उर रब ने बताया कि एएमयू के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज (जेएनएमसी) ने अपने मुख्य ओपीडी हॉल, बाल चिकित्सा ओपीडी और स्पेशल न्यूबॉर्न केयर यूनिट (एसएनसीयू) परिसर में 3 स्तनपान केंद्र स्थापित किए हैं. इन केंद्रों को विशेष रूप से उन माताओं की सुविधा के लिए बनाया गया है, जो अपने बच्चों को दूध पिलाने के लिए एक सुरक्षित और निजी स्थान की आवश्यकता महसूस करती हैं.
इन केंद्रों में माताओं की निजता और सुविधा का पूरा ध्यान रखा गया है. यहां पर्याप्त रोशनी, आरामदायक बैठने की व्यवस्था जैसे सोफे और शांत वातावरण प्रदान किया गया है. इस पहल का उद्देश्य माताओं को स्तनपान के दौरान होने वाली असुविधा से बचाना और उन्हें एक सुरक्षित स्थान देना है.
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जेबा ने कहा कि इन स्तनपान केंद्रों को स्थापित करने का मुख्य उद्देश्य स्तनपान को बढ़ावा देना है. उन्होंने कहा कि स्तनपान केवल बच्चे के पोषण के लिए ही नहीं, बल्कि उसके संपूर्ण स्वास्थ्य और प्रतिरक्षा तंत्र के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है. माताओं की गोपनीयता बनाए रखना और उन्हें एक सुरक्षित वातावरण प्रदान करना हमारी प्राथमिकता है. इस पहल से माताएं बिना किसी झिझक के अपने बच्चों को स्तनपान करा सकती हैं.
शुरुआती 6 महीने तक शिशु को स्तनपान कराने की सिफारिश की जाती है. इसे 2 साल तक जारी रखा जाना चाहिए. पहले 6 महीनों में पानी देने की भी जरूरत नहीं होती है. मां के दूध में पानी (87%) का योगदान होता है, इसके बाद लैक्टोज (7%), वसा (3.8%), और प्रोटीन (1%) का स्थान आता है.
महिलाओं के लिए विशेष सुविधा: यह पहल न केवल जेएनएमसी में आने वाली मरीजों और तीमारदारों के लिए सहायक है, बल्कि यह माताओं के अधिकारों और उनकी जरूरतों की भी पूर्ति करती है. अक्सर अस्पतालों में महिलाओं को अपने बच्चों को दूध पिलाने के लिए एकांत स्थान नहीं मिल पाता, जिससे उन्हें असुविधा होती है. स्तनपान केंद्र इन समस्याओं को हल करने में मदद करेगा. यहां माताएं बिना किसी झिझक के अपने बच्चों को स्तनपान करा सकती हैं. इसके साथ ही, अस्पताल प्रबंधन ने इन केंद्रों को सुविधाजनक और स्वच्छ बनाए रखने का विशेष ध्यान रखा है.
बाल रोग विभाग में आई एक महिला ने बताया कि मैं अपने बच्चों को यहां टीका लगवाने आई थी. लेकिन, मेरा बच्चा रो रहा था, तो मैंने अपने बच्चों को ब्रेस्टफीडिंग रूम में दूध पिलाया. इसके बाद मुझे बहुत अच्छा लगा. महिलाओं के लिए ऐसी जगह हर अस्पतालों में होनी चाहिए, ताकि मां अपने बच्चों को आसानी से दूध पिला सके. ब्रेस्टफीडिंग रूम बहुत अच्छे हैं, इसके अंदर तमाम सुविधाएं हैं. यह साफ भी हैं और उसके अंदर पुरुषों का जाना भी माना है.
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