वाराणसी: श्री काशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अगले दिन अलग-अलग राज्यों के मुख्यमंत्रियों समेत कई राज्यों से आए महापौरों को काशी विश्वनाथ धाम में पूजन करवाने वाले मंदिर के अध्यक्ष श्रीकांत मिश्र पर सूतक काल में पूजन करवाने के आरोपों को लेकर मामले की जांच शुरू हो गई है. धर्मार्थ कार्य मंत्री नीलकंठ तिवारी ने पूरे प्रकरण की रिपोर्ट जिला प्रशासन से तलब की है. वहीं, मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी ने इस पूरे प्रकरण की जांच अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी को सौंपी है.
दरअसल, विश्वनाथ धाम के पूजन के मौके पर 13 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बाबा विश्वनाथ का विशेष पूजन करवाने की जिम्मेदारी पंडित श्रीकांत मिश्र को सौंपी गई थी और उन्होंने ही पूरा अनुष्ठान संपन्न करवाया था. इस संदर्भ में मंदिर के पूर्व न्यासी प्रदीप बजाज की ओर से पीएम मोदी को समय मुख्यमंत्री और सचिव को पत्र लिखकर पूरे प्रकरण में यह आरोप लगाया गया कि जिस वक्त श्रीकांत मिश्र ने प्रधानमंत्री समेत अन्य वीआईपी की पूजा करवाई थी, उस वक्त वो सूतक में थे.
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5 दिसंबर को उनके भतीजे की सड़क हादसे में मौत हो गई थी और धर्म शास्त्र में सूतक काल में मंदिर में प्रवेश भी वर्जित होता है. ऐसे में वो भला कैसे पूजा करा सकते हैं. इसी आधार पर मामले को संज्ञान में लिया गया, जिसके बाद हड़कंप मच गया है. साथ ही इस पूरे प्रकरण की जांच के आदेश मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी सुनील वर्मा की तरफ से दिए गए हैं.
इसके अतिरिक्त धर्मार्थ कार्य मंत्री नीलकंठ तिवारी ने भी इस प्रकरण की पूरी रिपोर्ट तैयार करते हुए उनको जानकारी देने के लिए कहा है. फिलहाल इस पूरे मामले को विपक्ष भी अब अपने हिसाब से तूल दे रहा है. लगातार सोशल मीडिया पर विपक्षियों की तरफ से इस प्रकरण को उठाया जा रहा है.
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