वाराणसी: गंगा तेरा पानी अमृत कल-कल बहता जाए... मां गंगा का निर्मल और अविरल प्रवाह नेचुरल बना रहे यह बेहद जरूरी है, लेकिन जब गंगा के प्रवाह में दिक्कतें आती हैं तो संकट उन शहरों के लिए हो जाता है जो इसके किनारे बसे हैं. ऐसा ही संकट बनारस के घाटों पर मंडराने लगा है. अर्धचंद्राकार मां गंगा के स्वरूप में शहर की तरफ बढ़ रहा गंगा के पानी का दबाव गंगा घाटों के लिए नुकसानदायक हो रहा है.
इसकी बड़ी वजह यह है कि गंगा उस पार रेत और मिट्टी इकट्ठा होने की वजह से गंगा का दबाव शहर की तरफ तेजी से बढ़ रहा है. जिसकी वजह से घाटों को खतरा होने लगा है. यही वजह है कि शासन के निर्देश पर अब गंगा में ड्रेजिंग कराए जाने की तैयारी चल रही है. यह वह प्रक्रिया है जिसमें बालू और मिट्टी के बीच से नहर बनाकर गंगा के प्रवाह को डाइवर्ट करने की कोशिश की जाती है. घाघरा समेत कई नदियों में यह प्रक्रिया अपनाई गई है. इसकी सफलता के बाद अब इसका वाराणसी में जल्द किया जाएगा.
बड़े जहाजों के चलने में आ रही दिक्कत
एक तरफ जहां गंगा का दबाव घाटों पर बढ़ने से घाटों को खतरा मंडरा रहा है, तो वही ड्रेजिंग ना हो पाने की वजह से गंगा में गहराई भी कम हो रही है. हाल ही में बनारस से कोलकाता के लिए रवाना होने वाले मालवाहक रविंद्र नाथ टैगोर जहाज को भी 15 किलोमीटर जाने के बाद ही दिक्कतें पैदा होने लगी थी. जिसके बाद जगहों को चिन्हित कर ड्रेजिंग का प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है. इसके अलावा राजघाट से अस्सी के बीच प्रस्तावित रो-रो सर्विस में कई जगहों पर कम पानी की समस्या बड़ी बाधक बन रही है. इसी को देखते हुए जिला प्रशासन ने गंगा में ड्रेजिंग का प्रस्ताव शासन को दिया था. इसी पर सिंचाई विभाग की एक टीम लखनऊ से आई थी और पूरे इलाके का सर्वे किया है. इसमें फिजिबिलिटी रिपोर्ट तैयार की जा रही है और जल्द ही ड्रेजिंग की उम्मीद है.
अप्रैल मई से शुरू हो सकता है काम
डीएम का कहना है कि गंगा में एक तरफ दबाव बढ़ने से पानी का प्रवाह घाटों की ओर बढ़ा है. ऐसे में कछुआ सैंक्चुरी की तरफ नहर बनाकर गंगा के प्रवाह को ठीक किया जाएगा. इसके लिए सर्वे के आधार पर फिजिबिलिटी रिपोर्ट तैयार की जा रही है. उम्मीद है कि इस वर्ष अप्रैल-मई में ड्रेजिंग का काम शुरू किया जाएगा. इसके लिए कैनाल बनाकर प्रवाह को दोनों तरफ समान किया जाएगा.