वाराणसी: बनारस की सुबह यूं तो पूरी दुनिया में मशहूर है, लेकिन आज का दिन कुछ खास है. भारतीय संस्कृति और शास्त्रों द्वारा प्रतिपादित भारतीय नव संवत्सर के आध्यात्मिक और वैज्ञानिक स्वरूप से लोगों का परिचय कराने के लिए खुद स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद और बाकी के बटुक काशी वासियों के साथ गंगा घाटों पर एकत्रित होते हैं.
पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक आज के ही दिन ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना की थी और सूर्य उदय की सबसे पहली किरण काशी पर पड़ी थी. प्रसिद्ध शंकराचार्य घाट पर श्री विद्या मठ के बटुकों ने योग के आसनों का प्रदर्शन कर नए साल की शुरुआत की. इस कार्यक्रम के दौरान वैदिक मंत्रों के साथ सूर्य नमस्कार और दीपदान कर नव संवत्सर का अभिनंदन किया गया.
इस मौके पर शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद के प्रतिनिधि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने नूतन सनातनी पंचांग विमोचन किया और आए हुए लोगों को अंग-अंग वस्त्रम भेंटकर हिंदू नववर्ष की शुभकामना भी दी. गौरतलब है कि हिंदू पंचांग के मुताबिक चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन हिंदू नववर्ष की शुरुआत होती है. इस रोज हर साल वाराणसी में परंपरागत तरीके से विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं.