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यूपी विधानसभा में उर्दू भाषा को लेकर सियासत गरमाई; विपक्ष ने CM योगी के बयान को बताया विभाजनकारी, जानिए क्या कहा था? - UP ASSEMBLY BUDGET SESSION

उत्तर प्रदेश विधानसभा में भाषा का मुद्दा एक बार फिर राजनीतिक तकरार का विषय बन गया है, सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच इस बहस

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यूपी विधानसभा में उर्दू भाषा को लेकर सियासत. (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 18, 2025, 5:49 PM IST

Updated : Feb 18, 2025, 6:21 PM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा के बजट सत्र में भाषा को लेकर सियासी घमासान छिड़ गया है. नेता प्रतिपक्ष ने सदन में अंग्रेजी भाषा के उपयोग पर आपत्ति जताई और उर्दू को भी कार्रवाई में शामिल करने की मांग की.

इस पर मुख्यमंत्री ने समाजवादी पार्टी (सपा) पर निशाना साधते हुए कहा कि ये लोग जनता को उर्दू भाषा सिखाकर मौलवी और कठमुल्ला बनाना चाहते हैं.

विपक्ष के नेताओं से बातचीत. (Video Credit; ETV Bharat)
दरअसल, विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने सदन की कार्रवाई में शामिल भाषाओं और उनके उपयोग के तरीकों की जानकारी दी. इस पर नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडे ने अंग्रेजी भाषा पर आपत्ति जताते हुए कहा 'हमने हिंदी के लिए आंदोलन किया, जेल गए. मैं अंग्रेजी के खिलाफ हूं, अगर अंग्रेजी को सदन में स्थान दिया गया है तो उर्दू को भी शामिल किया जाना चाहिए.' मुख्यमंत्री ने इस पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि 'समाजवादी पार्टी के नेता अपने बच्चों को इंग्लिश मीडियम स्कूल में पढ़ाते हैं और जनता को उर्दू सिखाकर मौलवी बनाने की बात करते हैं.'

सदन कार्यवाही के बाद ईटीवी भारत से बातचीत में सपा नेता माता प्रसाद पांडे ने मुख्यमंत्री के बयान को विभाजनकारी बताते हुए कहा 'मुख्यमंत्री हर मुद्दे पर बंटवारे की राजनीति करते हैं. मेरा विरोध सिर्फ अंग्रेजी के खिलाफ था, लेकिन इसे गलत तरीके से पेश किया गया.' सपा विधायक हसन रूमी ने कहा, 'मुंशी प्रेमचंद, मुंशी नवल किशोर ने उर्दू में लिखा, तो क्या वे कठमुल्ला थे? उर्दू किसी धर्म विशेष की नहीं, बल्कि एक समृद्ध भाषा है. इसे संप्रदायिक रंग देना गलत है.' सपा विधायक रागिनी सोनकर ने कहा कि ग्रामीण जनता अंग्रेजी भाषा नहीं समझती, जिससे वे विधानसभा की कार्यवाही को नहीं समझ पाएंगे. हमारा विरोध अंग्रेजी भाषा को लेकर था, लेकिन इसे गलत रूप में पेश किया गया. उर्दू राज्य की दूसरी आधिकारिक भाषा है, इसे भी सदन की कार्यवाही में शामिल किया जाना चाहिए.'
इसे भी पढ़ें-यूपी विधानसभा बजट सत्र; सीएम योगी का सपा पर हमला, बोले- बच्चों को मौलवी और देश को कठमुल्लापन की ओर ले जाना चाहती है समाजवादी पार्टी

लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा के बजट सत्र में भाषा को लेकर सियासी घमासान छिड़ गया है. नेता प्रतिपक्ष ने सदन में अंग्रेजी भाषा के उपयोग पर आपत्ति जताई और उर्दू को भी कार्रवाई में शामिल करने की मांग की.

इस पर मुख्यमंत्री ने समाजवादी पार्टी (सपा) पर निशाना साधते हुए कहा कि ये लोग जनता को उर्दू भाषा सिखाकर मौलवी और कठमुल्ला बनाना चाहते हैं.

विपक्ष के नेताओं से बातचीत. (Video Credit; ETV Bharat)
दरअसल, विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने सदन की कार्रवाई में शामिल भाषाओं और उनके उपयोग के तरीकों की जानकारी दी. इस पर नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडे ने अंग्रेजी भाषा पर आपत्ति जताते हुए कहा 'हमने हिंदी के लिए आंदोलन किया, जेल गए. मैं अंग्रेजी के खिलाफ हूं, अगर अंग्रेजी को सदन में स्थान दिया गया है तो उर्दू को भी शामिल किया जाना चाहिए.' मुख्यमंत्री ने इस पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि 'समाजवादी पार्टी के नेता अपने बच्चों को इंग्लिश मीडियम स्कूल में पढ़ाते हैं और जनता को उर्दू सिखाकर मौलवी बनाने की बात करते हैं.'

सदन कार्यवाही के बाद ईटीवी भारत से बातचीत में सपा नेता माता प्रसाद पांडे ने मुख्यमंत्री के बयान को विभाजनकारी बताते हुए कहा 'मुख्यमंत्री हर मुद्दे पर बंटवारे की राजनीति करते हैं. मेरा विरोध सिर्फ अंग्रेजी के खिलाफ था, लेकिन इसे गलत तरीके से पेश किया गया.' सपा विधायक हसन रूमी ने कहा, 'मुंशी प्रेमचंद, मुंशी नवल किशोर ने उर्दू में लिखा, तो क्या वे कठमुल्ला थे? उर्दू किसी धर्म विशेष की नहीं, बल्कि एक समृद्ध भाषा है. इसे संप्रदायिक रंग देना गलत है.' सपा विधायक रागिनी सोनकर ने कहा कि ग्रामीण जनता अंग्रेजी भाषा नहीं समझती, जिससे वे विधानसभा की कार्यवाही को नहीं समझ पाएंगे. हमारा विरोध अंग्रेजी भाषा को लेकर था, लेकिन इसे गलत रूप में पेश किया गया. उर्दू राज्य की दूसरी आधिकारिक भाषा है, इसे भी सदन की कार्यवाही में शामिल किया जाना चाहिए.'
इसे भी पढ़ें-यूपी विधानसभा बजट सत्र; सीएम योगी का सपा पर हमला, बोले- बच्चों को मौलवी और देश को कठमुल्लापन की ओर ले जाना चाहती है समाजवादी पार्टी

Last Updated : Feb 18, 2025, 6:21 PM IST
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