लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा के बजट सत्र में भाषा को लेकर सियासी घमासान छिड़ गया है. नेता प्रतिपक्ष ने सदन में अंग्रेजी भाषा के उपयोग पर आपत्ति जताई और उर्दू को भी कार्रवाई में शामिल करने की मांग की.
इस पर मुख्यमंत्री ने समाजवादी पार्टी (सपा) पर निशाना साधते हुए कहा कि ये लोग जनता को उर्दू भाषा सिखाकर मौलवी और कठमुल्ला बनाना चाहते हैं.
समाजवादियों का चरित्र दोहरा हो चुका है,
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) February 18, 2025
ये अपने बच्चों को पढ़ाएंगे इंग्लिश स्कूल में और दूसरों के बच्चों के लिए कहेंगे उर्दू पढ़ाओ...
उसको मौलवी बनाना चाहते हैं, ‘कठमुल्लापन’ की ओर देश को ले जाना चाहते हैं,
ये नहीं चल सकता है… pic.twitter.com/8RGaWJdY1h
सदन कार्यवाही के बाद ईटीवी भारत से बातचीत में सपा नेता माता प्रसाद पांडे ने मुख्यमंत्री के बयान को विभाजनकारी बताते हुए कहा 'मुख्यमंत्री हर मुद्दे पर बंटवारे की राजनीति करते हैं. मेरा विरोध सिर्फ अंग्रेजी के खिलाफ था, लेकिन इसे गलत तरीके से पेश किया गया.' सपा विधायक हसन रूमी ने कहा, 'मुंशी प्रेमचंद, मुंशी नवल किशोर ने उर्दू में लिखा, तो क्या वे कठमुल्ला थे? उर्दू किसी धर्म विशेष की नहीं, बल्कि एक समृद्ध भाषा है. इसे संप्रदायिक रंग देना गलत है.' सपा विधायक रागिनी सोनकर ने कहा कि ग्रामीण जनता अंग्रेजी भाषा नहीं समझती, जिससे वे विधानसभा की कार्यवाही को नहीं समझ पाएंगे. हमारा विरोध अंग्रेजी भाषा को लेकर था, लेकिन इसे गलत रूप में पेश किया गया. उर्दू राज्य की दूसरी आधिकारिक भाषा है, इसे भी सदन की कार्यवाही में शामिल किया जाना चाहिए.'
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