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अब कारतूस तस्करी के लिए हाईवे बन रहा मुफीद, जानिए कब-कब पकड़े गए मामले

बिहार में शराब बंदी के बाद जिले में पड़ने वाला हाईवे तस्करों के लिए मुफीद जगह बन चुका है. वहीं अब इस मार्ग से कारतूस तस्करी (smuggling cartridges) किए जाने का मामला सामने आया है. बृहस्पतिवार को जिले से सटे बिहार प्रांत के कैमूर जिला अंतर्गत डिडखिली टोल प्लाजा पर पुलिस ने एक कार से 2200 कारतूस बरामद किये थे, जोकि बनारस से आरा ले जाए जा रहे थे.

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Published : Nov 19, 2022, 12:30 PM IST

चन्दौली : बिहार में शराब बंदी के बाद जिले में पड़ने वाला हाईवे तस्करों के लिए मुफीद जगह बन चुका है. वहीं अब इस मार्ग से कारतूस तस्करी (smuggling cartridges) किए जाने का मामला सामने आया है. बृहस्पतिवार को जिले से सटे बिहार प्रांत के कैमूर जिला अंतर्गत डिडखिली टोल प्लाजा पर पुलिस ने एक कार से 2200 कारतूस बरामद किये थे, जोकि बनारस से आरा ले जाए जा रहे थे. इस खुलासे के बाद से अब चंदौली जिले का हाईवे का इस्तेमाल कारतूस तस्करी के लिए होने की चर्चा ने जोर पकड़ लिया है.

दरसअल, जिले में होकर बिहार जाने के लिए दो प्रमुख रास्ते हैं. पहला मार्ग वाराणसी-पड़ाव-पीडीडीयू नगर से होते हुए हाईवे पर मिल जाता है. इस मार्ग की अधिकतर सीमा मुगलसराय कोतवाली क्षेत्र में पड़ती है. वहीं दूसरी तरफ सबसे महत्वपूर्ण मार्ग राष्ट्रीयराज मार्ग दो है, जोकि वाराणसी से सीधे सैयदराजा नौबतपुर होते हुए बिहार की सीमा में प्रवेश करता है. जिले में पड़ने वाले लगभग चालीस किलोमीटर लंबे इस मार्ग पर अलीनगर, सदर व सैयदराजा थाने की सीमा पड़ती है, लेकिन हाईवे होने के कारण इस मार्ग पर चेकिंग भी काफी कम होती है.

बृहस्पतिवार को बिहार के कैमूर जिले के डिडखिली टोल प्लाजा पर कार से कारतूस मिलने के मामले में पकड़े गये आरोपियों ने बताया कि वह इसे बनारस से लेकर आरा सप्लाई के लिए जा रहे थे. काफी बड़ी मात्रा में‌ जिले की चार थानों की सीमा को पार करते हुए कारतूस का बिहार पहुंच जाना पुलिस के सूचना तंत्र पर सवाल खड़े कर रहा है. वहीं दूसरी तरफ चर्चा इस बात की है कि शराब तस्करी के मुफीद माने जाने वाले जिले के हाईवे का इस्तेमाल अन्य सामानों की तस्करी के लिए भी होने लगा है.

गौरतलब है कि लखनऊ में जुलाई 2021 में पकड़े गये अलकायदा समर्थित संगठन के आतंकियों ने एटीएस की पूछताछ में कानपुर, मुजफ्फरनगर, गाजियाबाद और चंदौली जिले से असलहे और कारतूस खरीदने की बात कबूल की थी. इस बात का जिक्र एटीएस ने कोर्ट में दाखिल प्रार्थना पत्र में किया है. उस समय भी जिले की पुलिस को भनक नहीं लग पाई थी. इसके अलावा जीआरपी, पीडीडीयू ने अगस्त 2016 रेलवे स्टेशन से एक युवक के पास से 550 कारतूस बरामद किए थे. पुलिस ने उसके पास से तमंचा और असलहा बनाने के उपकरण भी बरामद किये थे. जीआरपी ने खुलासा किया था कि तस्कर कारतूस को कानपुर से बिहार ले जा रहा था, इसमें इंसास राइफल और 315 बोर के कारतूस शामिल थे.

इस बाबत एसपी चन्दौली अंकुर अग्रवाल (SP Chandauli Ankur Aggarwal) ने बताया कि कैमूर पुलिस अधीक्षक के माध्यम से कारतूस पकड़े जाने की जानकारी प्राप्त हुई है. इस पर जिले में कार्य किया जा रहा है. पुलिस के सूचना तंत्र को मजबूत बनाने के साथ ही बिहार बार्डर पर निगरानी भी बढ़ाई जाएगी, ताकि गैरकानूनी एक्टिविटी पर लगाम लगाया जा सके.

यह भी पढ़ें : चंदौली में भीषण सड़क हादसा, दो लोगों की मौत

चन्दौली : बिहार में शराब बंदी के बाद जिले में पड़ने वाला हाईवे तस्करों के लिए मुफीद जगह बन चुका है. वहीं अब इस मार्ग से कारतूस तस्करी (smuggling cartridges) किए जाने का मामला सामने आया है. बृहस्पतिवार को जिले से सटे बिहार प्रांत के कैमूर जिला अंतर्गत डिडखिली टोल प्लाजा पर पुलिस ने एक कार से 2200 कारतूस बरामद किये थे, जोकि बनारस से आरा ले जाए जा रहे थे. इस खुलासे के बाद से अब चंदौली जिले का हाईवे का इस्तेमाल कारतूस तस्करी के लिए होने की चर्चा ने जोर पकड़ लिया है.

दरसअल, जिले में होकर बिहार जाने के लिए दो प्रमुख रास्ते हैं. पहला मार्ग वाराणसी-पड़ाव-पीडीडीयू नगर से होते हुए हाईवे पर मिल जाता है. इस मार्ग की अधिकतर सीमा मुगलसराय कोतवाली क्षेत्र में पड़ती है. वहीं दूसरी तरफ सबसे महत्वपूर्ण मार्ग राष्ट्रीयराज मार्ग दो है, जोकि वाराणसी से सीधे सैयदराजा नौबतपुर होते हुए बिहार की सीमा में प्रवेश करता है. जिले में पड़ने वाले लगभग चालीस किलोमीटर लंबे इस मार्ग पर अलीनगर, सदर व सैयदराजा थाने की सीमा पड़ती है, लेकिन हाईवे होने के कारण इस मार्ग पर चेकिंग भी काफी कम होती है.

बृहस्पतिवार को बिहार के कैमूर जिले के डिडखिली टोल प्लाजा पर कार से कारतूस मिलने के मामले में पकड़े गये आरोपियों ने बताया कि वह इसे बनारस से लेकर आरा सप्लाई के लिए जा रहे थे. काफी बड़ी मात्रा में‌ जिले की चार थानों की सीमा को पार करते हुए कारतूस का बिहार पहुंच जाना पुलिस के सूचना तंत्र पर सवाल खड़े कर रहा है. वहीं दूसरी तरफ चर्चा इस बात की है कि शराब तस्करी के मुफीद माने जाने वाले जिले के हाईवे का इस्तेमाल अन्य सामानों की तस्करी के लिए भी होने लगा है.

गौरतलब है कि लखनऊ में जुलाई 2021 में पकड़े गये अलकायदा समर्थित संगठन के आतंकियों ने एटीएस की पूछताछ में कानपुर, मुजफ्फरनगर, गाजियाबाद और चंदौली जिले से असलहे और कारतूस खरीदने की बात कबूल की थी. इस बात का जिक्र एटीएस ने कोर्ट में दाखिल प्रार्थना पत्र में किया है. उस समय भी जिले की पुलिस को भनक नहीं लग पाई थी. इसके अलावा जीआरपी, पीडीडीयू ने अगस्त 2016 रेलवे स्टेशन से एक युवक के पास से 550 कारतूस बरामद किए थे. पुलिस ने उसके पास से तमंचा और असलहा बनाने के उपकरण भी बरामद किये थे. जीआरपी ने खुलासा किया था कि तस्कर कारतूस को कानपुर से बिहार ले जा रहा था, इसमें इंसास राइफल और 315 बोर के कारतूस शामिल थे.

इस बाबत एसपी चन्दौली अंकुर अग्रवाल (SP Chandauli Ankur Aggarwal) ने बताया कि कैमूर पुलिस अधीक्षक के माध्यम से कारतूस पकड़े जाने की जानकारी प्राप्त हुई है. इस पर जिले में कार्य किया जा रहा है. पुलिस के सूचना तंत्र को मजबूत बनाने के साथ ही बिहार बार्डर पर निगरानी भी बढ़ाई जाएगी, ताकि गैरकानूनी एक्टिविटी पर लगाम लगाया जा सके.

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