वाराणसी: स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही के चलते महिलाओं को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है. एंड्रोमेट्रियोसिस एक ऐसी ही बीमारी है जो महिलाओं में पीरियड के दौरान बरती जाने वाली लापरवाही से होती है. आमतौर पर ऐसा देखा जाता है कि पीरियड के दौरान महिलाएं पेट दर्द व अधिक रक्तश्राव को नजरअंदाज कर देती हैं. उन्हें लगता है कि यह उनके सामान्य जीवन का एक हिस्सा है. लेकिन यह लापरवाही उनके अंदर कई गंभीर बीमारियों को जन्म देती है. एंड्रोमेट्रियोसिस बीमारी भी इन्हीं बीमारियों में से एक है.
हर दिन बढ़ रही मरीजों की समस्या -
पंडित दीनदयाल राजकीय चिकित्सालय के स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. रश्मि सिंह ने एंडोमेट्रियोसिस बीमारी के संबंध में अहम जानकारी दी. उन्होंने बताया कि इस बीमारी से अधिकांश महिलाएं जूझती हैं. जानकारी के अभाव में बीमारी गंभीर होती जाती है. जिससे इसके उपचार में भी कठिनाई होती है.
उन्होंने बताया कि ओपीडी में आने वाली 10 फीसदी महिलाएं इस रोग से पीड़ित हैं. खासतौर पर किशोरियां और युवतियां इस रोग से ज्यादा प्रभावित हैं. भाग दौड़ व व्यस्त जीवन शैली के कारण उनमें यह रोग ज्यादा पाया जाता है. उन्होंने बताया कि जिन महिलाओं का मासिक धर्म बंद हो जाता है. उनमें एंडोमेट्रियोसिस होने की संभावनाएं कम रहती हैं.
क्या है एंडोमेट्रियोसिस -
डॉ. रश्मि सिंह बताती हैं कि एंडोमेट्रियोसिस गर्भाशय से संबंधित समस्या है. इसमें गर्भाशय के अंदर की टिशू बढ़कर गर्भाशय के बाहर निकलने और फैलने लगते हैं. ऐसी महिलाओं को जब पीरियड्स होते हैं तो खून गर्भाशय के बाहर गिरकर इकट्ठा होने लगता है. खून की वजह से शिष्ट और गांठे बनने लगती हैं.
इससे महिलाओं को काफी तेज दर्द होता है. खास तौर पर उनका मासिक चक्र जब आता है तब दर्द और बढ़ जाता है. इस समस्या के कारण महिलाओं में प्रजनन क्षमता भी कम हो जाती है. डॉ. रश्मि सिंह ने बताया कि इस रोग के लक्षण नजर आते ही तत्काल चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए, जिससे समय रहते इसका उपचार हो सके.
एंडोमेट्रियोसिस के लक्षण -
- पीरियड के दौरान असामान्य रूप से रक्त स्त्राव और तेज दर्द
- समय गुजर जाने के साथ-साथ दर्द का बढ़ते जाना
- अनियमित पीरियड व यूरिन इन्फेक्शन
- थकान चिड़चिड़ापन और कमजोरी
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ऐसे कर सकते हैं बचाव -
डॉ. रश्मि सिंह ने बताया कि एस्ट्रोजन हार्मोन्स के स्तर बढ़ने से एंडोट्रियोसिस होने की संभावना ज्यादा होती है. इसलिए शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन को कम करके इस बीमारी से बचा जा सकता है. उन्होंने बताया कि नियमित रूप से व्यायाम करने से भी एस्ट्रोजन हार्मोन का लेवल कम किया जा सकता है. कैफीन युक्त पदार्थों का सेवन कम करना चाहिए. चाय, कॉफी या अन्य कोई कैफीन युक्त पदार्थ लेने की आदत है तो उसे तुरंत छोड़ देना चाहिए. ऐसी महिलाओं को अपनी डाइट पर विशेष ध्यान रखना चाहिए और फाइबर व प्रोटीन युक्त आहार जरूर लेना चाहिए.
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