वाराणसी: रामलला टेंट में विराजे हैं. इस पर अब द्वारका शारदा पीठाधीश्वर स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने अपनी पीड़ा व्यक्त की है. उन्होंने कहा कि श्री राम का मंदिर बनने में काफी समय लगेगा. इस बीच टेंट में विराजे रामलला के लिए चंदन की लकड़ी के आसन में एक छोटा स्वर्ण मंदिर बनाकर उन्हें विराजमान किया जाए.
इसके लिए 'राम-राम, ग्राम-ग्राम' योजना के तहत भारत के सारे गांवों से सोना दान में लेने की योजना संतों ने बनाई थी. हर गांव से एक ग्राम सोना लेने का लक्ष्य रखा गया है. इसी क्रम में शुक्रवार को वाराणसी से 'राम-राम ग्राम-ग्राम' योजना के तहत स्वर्ण संग्रह का कार्य शुरू हो किया गया है.
रामालय ट्रस्ट के सचिव स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने शुक्रवार को मंदिर के मॉडल का विधिवत पूजन अर्चन कर इसकी शुरुआत की. उसके बाद लोगों ने इस स्वर्णमयी रामालय के लिए स्वर्ण दान शुरू किया. राम-राम ग्राम-ग्राम योजना के तहत देश भर के 7 लाख से अधिक गांवों से 1 ग्राम सोना लेने का लक्ष्य संतों ने रखा है. ये स्वर्णमयी रामालय 108 किलो सोना से जड़ित होगा जबकि मुख्य मंदिर में 900 किलो सोना लगाया जाएगा.
इस मौके पर श्रद्धालु कमला प्रसाद मिश्र ने बताया हम लोगों ने 1 ग्राम सोना दान दिया है. भगवान ने हमेशा दिया है. पहली बार भगवान के लिए कुछ देने का मौका मिला है. उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि भगवान जल्द से जल्द स्वर्ण मंदिर में विराजमान हों.
माननीय सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ जाने के बाद भी जिसके 100 करोड़ से ज्यादा भक्त हों वह भगवान राम अभी तक टेंट में विराजमान हैं. इसके लिए महाराज शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने यह सोचा है कि जब तक भव्य मंदिर का निर्माण होगा तब तक हम रामलला को स्वर्ण मंदिर में स्थापित करें. इसके लिए हम लोगों ने स्वर्ण संग्रह करने के लिए कार्य शुभ मुहूर्त में प्रारंभ कर दिया है. इसके लिए बकायदा लिखा-पढ़ी करके स्वर्ण दान में लिया जा रहा है.
-स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती, सचिव रामालय ट्रस्ट