वाराणसी: गंगा नदी का पानी हरा रंग का होने लगा है. इसकी जांच के लिए डीएम ने पांच सदस्यीय टीम का गठन किया है. 15-20 दिन पहले गंगा नदी में हरा शैवाल पाए जाने की बात सामने आई थी. इसकी जांच क्षेत्रीय अधिकारी, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा की गई थी. इसके उपरान्त पुनः यह हरे शैवाल गंगा नदी में 03-04 दिनों पहले दिखाई दिए हैं. अब इसकी जांच के लिए जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने पांच सदस्यीय टीम बनाई है. इस टीम में अपर नगर मजिस्ट्रेट (द्वितीय), क्षेत्रीय अधिकारी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, सहायक पुलिस आयुक्त (दशाश्वमेघ), अधिशासी अभियंता संबंधी प्रखण्ड एवं महाप्रबन्धक गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई हैं.
पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने की थी जांच
दरअसल, गंगा के पानी का रंग अचानक से हरा हो जाने की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद कई तरह के सवाल उठने लगे थे. आंशिक लॉकडाउन के दौरान गंगा में प्रदूषण की मात्रा बढ़ने की आशंका को देखते हुए इस पूरे प्रकरण की जांच पिछले दिनों उत्तर प्रदेश प्रदूषण पर नियंत्रण बोर्ड के द्वारा की गई थी. इसमें मिर्जापुर के रास्ते शैवाल गंगा में आने की बात कही गई थी. बीच में शैवाल कम हुए तो गंगा का पानी भी धीरे-धीरे अपने वास्तविक रंग की तरफ आ रहा था लेकिन तीन-चार दिन पहले अचानक से फिर से गंगा के पानी के हरा होने के बाद जिलाधिकारी ने इस पूरे प्रकरण को संज्ञान में लेते हुए मामले में 5 सदस्य जांच टीम गठित की है.
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तीन दिन तक होगी गंगा में पड़ताल
जिलाधिकारी ने समिति के अधिकारियों को निर्देशित किया है कि 08 जून को जल पुलिस की नाव के माध्यम से गंगा नदी की धारा में जाकर गंगा नदी में हरे शैवाल पाए जाने के संबंध में इसके उद्गम, स्रोत तथा गंगा घाटों तक इनके पहुंचने के कारणों की जांच करें व 03 दिनों के भीतर गंगा नदी में समस्त आवश्यक भ्रमण करते हुए मय फोटोग्राफ्स तथा वीडियोग्राफ्स अपनी संयुक्त तथ्यात्मक जांच आख्या तथा इसके निवारण के विकल्प 10 जून की सायंकाल तक उन्हें हर हालत में उपलब्ध कराया जाए.