लखनऊ: रहमानखेड़ा में पिछले 39 दिनों से बाघ की मौजूदगी से लोगों में दहशत का माहौल है. इसके बाद भी वन विभाग टीम को बाघ को पकड़ने में कामयाबी नहीं मिल रही है. जंगल में चार जगहों पर पिंजरे भी लगाए गए हैं. बाघ अब रहमान खेड़ा से निकलकर हलुवापुर और मंडौली गांव के जंगलों को अपना नया ठिकाना बना चुका है. बाघ बेहता नाला में स्थित असाड़ा कुंड से पानी पीता है और शिकार के बाद इसी इलाके में रुकता है.
डीएफओ डॉ. सितांशु पांडेय के अनुसार, बाघ को रहमान खेड़ा में ही लोकलाइज करने की नई रणनीति भी विफल साबित हो रही है. विभाग की सभी रणनीतियां विफल होने से क्षेत्र में दहशत का माहौल बना हुआ है. साथ ही डीसीपी पश्चिम विश्वजीत श्रीवास्तव और एसीपी काकोरी शकील अहमद शनिवार को दुगौली गांव पहुंचे, यहां प्रधान और ग्रामीणों के साथ बैठक की.
मंडौली व उलरापुर के ग्रामीण कामिल, सुजीत व किशन के मुताबिक, बाघ अब रहमान खेड़ा से निकलकर हलुवा पुर और मंडौली गांव के जंगलों को अपना नया ठिकाना बना चुका है. शुक्रवार व शनिवार को इन क्षेत्रों में बाघ के पग चिह्न मिले हैं.
ग्रामीणों ने बताया कि बाघ बेहता नाला में स्थित असाड़ा कुंड से पानी पीता है और शिकार के बाद इसी इलाके में रुकता है. चिंताजनक बात यह है कि वन विभाग की टीमें बाघ के शिकार की जानकारी भी एक दिन बाद ग्रामीणों की सूचना पर ही प्राप्त कर पा रही हैं.
ग्रामीणों की बाघ से रक्षा करेगा पीएसी: बाघ की दहशत के बीच डीसीपी पश्चिम विश्वजीत श्रीवास्तव और एसीपी काकोरी शकील अहमद शनिवार को दुगौली गांव पहुंचे. यहां प्रधान और ग्रामीणों के साथ बैठक कर डीसीपी ने ग्रामीणों को बाघ की दहशत को कम करने और बचाव के उपाय भी साझा किए.
उन्होंने बताया कि तेज आवाज, चिल्ला कर, खेतों बैठ कर काम करने से बचें, झुंड में खेतों और बाग में जाएं. बाघ के दहशत वाले उलरा पुर,मीठे नगर, मंडौली रसूल पुर, बुधड़िया,दुगौली कटौली, हाफिज खेड़ा, कुसमौरा खालिस पुर, हलवापुर और सहिलामऊ में पीएसी के जवान वन विभाग की टीम के साथ कॉम्बिंग करेंगे.
डीसीपी ने कहा कि बाघ प्रभावित 11 गांवों के लिए एक प्लाटून पीएसी तैनात की जाएगी. रहमान खेड़ा के जंगलों में रह रहे बाघ ने हलुवा पुर और मंडौली गांव के जंगल को अपना नया ठिकाना बना लिया है. बाघ के पगचिन्ह वही मिल रहे है.
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