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काशी का तुलसी घाट बना गोकुल, 478 वर्ष पुरानी कृष्ण लीला का मंचन - वाराणसी खबर

उत्तर प्रदेश के वाराणसी में 21 दिनों की प्रसिद्ध कृष्ण लीला की शुरुआत हो गई है. प्रसिद्ध श्री कृष्ण लीला तुलसी घाट पर आयोजित होती है. मान्यता है कि गोस्वामी तुलसीदास जी ने राम चरित मानस की रचना तुलसी घाट पर ही की थी.

प्रसिद्ध श्री कृष्ण लीला की शुरुआत हो गई है.
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Published : Oct 31, 2019, 3:07 PM IST

वाराणसी: दुनिया का प्राचीनतम जीवंत यह शहर जितना पुराना है, उतनी ही पुरानी यहां की परंपरा और रीति-रिवाज भी है. धर्म और अध्यात्म की नगरी के साथ काशी को परंपराओं का भी शहर कहा जा सकता है. ऐसा इसलिए क्योंकि इन दिनों वाराणसी के प्रसिद्ध तुलसी घाट पर लगभग 478 वर्ष पुरानी कृष्ण लीला का मंचन किया जा रहा है.

प्रसिद्ध श्री कृष्ण लीला की शुरुआत.

इसे भी पढ़ें-छठ पूजा 2019: बिहार-झारखंड तक छाया है काशी का यह खास 'सूप'

21 दिनों तक चलती है श्री कृष्ण लीला
बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी में इन दिनों गोकुल का नजारा दिखाई दे रहा है. हर-हर महादेव के साथ ही लोगों में जय श्री कृष्ण के नारों की गूंज भी सुनाई दे रही है. प्रसिद्ध तुलसी घाट पर गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा शुरू की गई कृष्ण लीला की शुरुआत हो गई है. गोस्वामी तुलसीदास जी ने राम चरित मानस की रचना तुलसी घाट पर ही की थी. धर्म प्रचार के लिए श्री कृष्ण लीला प्रारंभ की गई थी, जो अनवरत अपनी उसी परंपरा का निर्वहन करते हुए चली आ रही है.

कृष्ण लीला गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा शुरू की गई है. द्वादशी से शुरू होकर यह लीला जन्मोत्सव से लेकर कंस वध तक और राज्य अभिषेक तक चलती है. लक्खा मेला में एक नागनथैया इसी कृष्ण लीला का एक दृश्य है.
-प्रो. विशंभर नाथ मिश्र, महंत, गोस्वामी तुलसीदास अखाड़ा

वाराणसी: दुनिया का प्राचीनतम जीवंत यह शहर जितना पुराना है, उतनी ही पुरानी यहां की परंपरा और रीति-रिवाज भी है. धर्म और अध्यात्म की नगरी के साथ काशी को परंपराओं का भी शहर कहा जा सकता है. ऐसा इसलिए क्योंकि इन दिनों वाराणसी के प्रसिद्ध तुलसी घाट पर लगभग 478 वर्ष पुरानी कृष्ण लीला का मंचन किया जा रहा है.

प्रसिद्ध श्री कृष्ण लीला की शुरुआत.

इसे भी पढ़ें-छठ पूजा 2019: बिहार-झारखंड तक छाया है काशी का यह खास 'सूप'

21 दिनों तक चलती है श्री कृष्ण लीला
बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी में इन दिनों गोकुल का नजारा दिखाई दे रहा है. हर-हर महादेव के साथ ही लोगों में जय श्री कृष्ण के नारों की गूंज भी सुनाई दे रही है. प्रसिद्ध तुलसी घाट पर गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा शुरू की गई कृष्ण लीला की शुरुआत हो गई है. गोस्वामी तुलसीदास जी ने राम चरित मानस की रचना तुलसी घाट पर ही की थी. धर्म प्रचार के लिए श्री कृष्ण लीला प्रारंभ की गई थी, जो अनवरत अपनी उसी परंपरा का निर्वहन करते हुए चली आ रही है.

कृष्ण लीला गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा शुरू की गई है. द्वादशी से शुरू होकर यह लीला जन्मोत्सव से लेकर कंस वध तक और राज्य अभिषेक तक चलती है. लक्खा मेला में एक नागनथैया इसी कृष्ण लीला का एक दृश्य है.
-प्रो. विशंभर नाथ मिश्र, महंत, गोस्वामी तुलसीदास अखाड़ा

Intro:विशेष स्टोरी

दुनिया की प्राचीनतम जीवंत शहर बनारस यह शहर जितना पुराना है। उतना ही पुराना यहां की परंपरा और रीति-रिवाज है। धर्म और अध्यात्म के नगरी के साथ काशी को परंपराओं का भी शहर कहा जा सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इन दिनों वाराणसी के प्रसिद्ध तुलसी घाट पर लगभग 478 वर्ष पुरानी कृष्ण लीला का मंचन किया जा रहा है। यह श्री कृष्ण लीला गोस्वामी तुलसीदास जी ने प्रारंभ किया था जो अब तक अनवरत अपने निश्चित समय पर हो रहा है।


Body:बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी इन दिनों गोकुल का नजारा दिख रहा है हर हर महादेव के बजाय लोग जय श्री कृष्ण के नारों की गूंज सुनाई दे रही है।बनारस के प्रसिद्ध तुलसी घाट पर गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा शुरू किया गया कृष्ण लीला शुरू हो गई है या लीला पूर्वांचल की एकमात्र किस लीला है।जो धर्म नगरी काशी में होती है। गोस्वामी तुलसीदास जी ने राम चरित्र मानस की रचना इसी घाट पर किया था। धर्म के प्रचार के लिए श्री कृष्ण लीला प्रारंभ किया था जो अनवरत अपनी उसी परंपरा का निर्वहन करते हुए चली आ रही है।यह लीला 21 दिनों की होती है जो कृष्ण जन्म से लेकर कंस वध और राज्याभिषेक तक चलता है। लीला को देखने के लिए दूर-दूर से दिला प्रेमी तुलसी घाट पर पहुंचते हैं और शाम होते ही तुलसी घाट गोकुल बन जाता है। यह लीला गोस्वामी तुलसीदास अखाड़ा द्वारा आयोजित किया जाता है।


Conclusion:महंत प्रोफेसर विशंभर नाथ मिश्र ने बताया श्री कृष्ण लीला गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा शुरू किया गया है। यह लीला द्वादशी से शुरू होता है। जन्म उत्सव से लेकर कंस वध तक और राज्य अभिषेक तक चलता है। श्रीमद्भागवत के आधार पर होता था। अब ब्रजबिलास के आधार पर होता है। बनारस के लक्खा मेला में एक नागनथैया इसी कृष्ण लीला का एक दृश्य है। इसमें पूरा काशी संबंधित होता है। गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा शुरू किया गया लीला है।

बाईट :-- प्रो विशंभर नाथ मिश्र, महंत, गोस्वामी तुलसीदास अखाड़ा

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अशुतोष उपाध्याय
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