बॉलीवुड एक्टर सोनू सूद ने हमेशा से बताया है कि एक्शन उनकी खूबी है, दो दशक पहले जब वह शूटआउट एट वडाला और मैक्सिमम जैसी फिल्मों का हिस्सा थे, तो उन्होंने कहा था कि यह एक्शन फिल्मों का समय है और वह बॉलीवुड के अगले एक्शन हीरो बनना चाहते हैं. उन्होंने उस स्टाइल में काफी फिल्में कीं और अब अपनी नई रिलीज फतेह के साथ सिनेमाघरों में आ गए हैं. फतेह एक्शन से भरपूर फिल्म है. फिल्म में सोनू ने एक्टिंग के अलावा इसका निर्देशन भी किया है.
साइबर क्राइम पर आधारित फतेह एक ऑपरेशन अधिकारी के बारे में है, जो एक लड़की के ऑनलाइन घोटाले के बाद साइबर माफिया से लड़ने के लिए रिटायरमेंट से बाहर आता है. जैसे वह खिलाफ लड़ता है और ज्यादा चुनौतियां उसके सामने आती हैं. जिसके चलते फिल्म में धमाकेदार एक्शन सीक्वेंस देखने को मिलते हैं. फिल्म में सोनू सूद के साथ जैकलीन फर्नांडीज, विजय राज और नसीरुद्दीन शाह जैसे कलाकार हैं.
फतेह के बारे में क्या बोले सूद
फतेह के बारे में बात करते हुए सोनू सूद ने कहा, 'वास्तव में, फतेह करते हुए मैंने जो सीखा है, वह मैंने एक एक्टर के रूप में 20 से 22 वर्षों के पूरे सफर में नहीं सीखा. फतेह मेरे दिल के बहुत करीब है क्योंकि यह मेरी पिछली फिल्मों में जो कुछ भी मिस कर गया, उसका जवाब है. कुछ खास तरह के एक्शन, शॉट-टेकिंग, तौर-तरीके और एडिटिंग पैटर्न- कैमरे के सामने रहते हुए मैंने जो कुछ भी सोचा था, उसे मैंने पर इस्तेमाल किया है. जब लोग इसे देखेंगे, तो वे कहेंगे, 'ऐक्शन फिल्में ऐसे ही बनाई जानी चाहिए'. क्या एक्टर को पहले कभी इस अवतार में नहीं देखा गया था तो वे कहते हैं, 'नहीं, ऐसा कुछ नहीं है, इंडस्ट्री में कोई गॉडफादर न होने के बावजूद मुझे बहुत सारे मौके मिले. मैंने हर उस व्यक्ति से सीखा है जिसने मुझे काम दिया और इसी तरह मैं यहां तक पहुंचा हूं लेकिन जैसा कि वे कहते हैं कि आपको अपनी किस्मत अपने हाथों से लिखनी होगी'.
कब आया फतेह का आइडिया
फतेह का आइडिया लगभग साढ़े तीन से चार साल पहले कोविड-19 महामारी के दौरान आया था. जब सूद देश भर में जरूरतमंद लोगों की मदद करके जनता के मसीहा बन गए थे. सोनू सूद ने कहा, 'जब मैं कोविड के दौरान लोगों से मिल रहा था तो मुझे यह भी एहसास हुआ कि बहुत सारे साइबर क्राइम हो रहे थे और वहीं से फतेह की कहानी शुरू हुई. यह एक आम आदमी के बारे में एक बहुत ही भरोसेमंद कहानी है जो साइबर अपराध से गुजरता है. उस समय मुझे लगा कि ऐसी कहानी बताना महत्वपूर्ण है जो लोगों से जुड़ती है. मैंने कभी नहीं सोचा था कि हमारे पास ली व्हिटेकर जैसे टॉप हॉलीवुड तकनीशियन होंगे जिन्होंने जुरासिक पार्क, फास्ट एंड फ्यूरियस, कैप्टन मार्वल पर काम किया है.
एक्शन सीक्वेंस हैं फिल्म की जान
एक्शन सीक्वेंस फतेह की जान हैं और एक्शन स्टार ने उन्हें यादगार बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी. सोनू ने कहा, 'मैं चाहता था कि फतेह में एक्शन कविता जैसा लगे. यह खून-खराबा है, लेकिन स्टाइल के साथ'. फतेह में उनके हर स्टंट को एक्टर ने खुद ही किया. इस बारे में उन्होंने कहा, 'मैंने कभी बॉडी डबल का इस्तेमाल नहीं किया. मैंने हर एक स्टंट खुद किया है, एड्रेनालाईन रश मुझे 18-19 घंटे की शूटिंग के दौरान भी उत्साहित रखता है'.
तीन मिनट के सिंगल शॉट की तैयारी मे लगे ढाई महीने
उन्होंने बताया कि फतेह में सबसे चुनौतीपूर्ण दृश्य साढ़े तीन मिनट का सिंगल-शॉट एक्शन सीक्वेंस है जिसमें कोई कट नहीं है. सूद ने बताया, 'इसकी तैयारी में ढाई महीने लगे और इसमें कैप्टन मार्वल, फास्ट एंड फ्यूरियस और जुरासिक पार्क पर काम कर चुकी टीम शामिल थी. इस विजन को अंजाम देने के लिए मेक्सिको से फाइटर्स और एक बेहतरीन तकनीकी दल को बुलाया गया था'. उन्होंने कहा, 'मैंने अक्सर अपने परिवार और दोस्तों से सुना है कि हमारी एक्शन फिल्में विदेशी फिल्मों जैसी क्यों नहीं हो सकतीं, हमारे पास उस तरह का एक्शन क्यों नहीं है और फतेह देखने के बाद मुझे उम्मीद है कि मैंने उस सवाल का जवाब दे दिया है'.
अफ्रीका-मैक्सिको के फाइटर्स हैं फिल्म में
सोनू सूद ने युवाओं से भी फतेह देखने के बारे में इनपुट लिए. उन्होंने बताया, 'जब मैंने अपने बेटे से पूछा कि वह फिल्म क्यों देखेगा, तो उसने कहा कि वह बिना किसी कट के एक्शन देखना चाहेगा और मुझे यह बहुत रोमांचक लगा. फिर हमने कहानी लिखनी शुरू की, दक्षिण अफ्रीका, मैक्सिको से लड़ाके बुलाए, उन्होंने दो महीने से अधिक समय तक तैयारी की और तब जाकर हम बिना किसी कट के एक शॉट में साढ़े तीन मिनट का एक्शन सीक्वेंस शूट करने में सक्षम हुए'.
एनिमल से तुलना करने पर क्या बोले सोनू सूद
फतेह में एक्शन और हिंसा के स्तर की तुलना रणबीर कपूर की एनिमल और शाहिद कपूर की कबीर सिंह से की गई. इस पर सूद ने कहा, 'हमारे दर्शक ऐसा एक्शन देखने के लिए तैयार हैं जो इतना पावरफुल हो. मुझे लगता है कि जो कैरेक्टर कुछ गलत करते हैं उन्हें सजा मिलनी जरुरी है.
एक बेहतरीन उदाहरण देते हुए, सूद कहते हैं कि कैसे उन्होंने फिल्म पूरी होने के बाद भी दिग्गज एक्टर नसीरुद्दीन शाह को कलाकारों में शामिल करने का फैसला किया. उन्होंने कहा, 'मैं फिल्म के निर्माण के दौरान सो नहीं पाया था, क्योंकि मुझे लगता था कि मुझे अगले दिन भी परफेक्ट दिखना है, क्योंकि मुझे फिर कभी मौका नहीं मिलेगा. जब हमने फिल्म पूरी होने के बाद पहली बार फतेह देखी, तो सभी ने कहा कि यह बहुत अच्छी लग रही है, लेकिन फिर मैंने नसीरुद्दीन शाह को एक महत्वपूर्ण भूमिका में लेने का फैसला किया. उन्हें स्क्रिप्ट पसंद आई, मैंने उनसे कहा कि मैं उन्हें सिर्फ एक दिन के लिए चाहता हूं, लेकिन उनकी मौजूदगी पूरी फिल्म में महसूस की जाएगी. उनके हिस्से की शूटिंग के बाद जब हमने फिर से फिल्म देखी, तो यह पूरी तरह से अलग फिल्म थी. ऐसा लगा जैसे हमने उनके साथ 15 से 20 दिन शूटिंग की हो. सूद ने बताया कि फिल्म का एक सटीक डायलॉग उनके जीवन को दर्शाता है, 'हर व्यक्ति के जीवन में एक समय ऐसा आता है जब उन्हें यह निर्णय लेना होता है कि उन्हें पन्ने पलटने हैं या किताब बंद करनी है. 'तो शायद मैं जीवन के उस समय पर पहुंच गया था जहां मुझे पन्ने पलटने थे'.