मथुरा/नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में मस्जिद कमेटी के वकील ने तर्क दिया कि सभी मुकदमों की सुनवाई एक साथ होने से जटिलताएं पैदा होंगी. सभी प्रकृति में एक समान नहीं हैं. चीफ जस्टिस ने इस दलील से असहमति जताते हुए कहा कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता. इस मामले में हम हस्तक्षेप क्यों करें?
सुप्रीम कोर्ट ने मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद से संबंधित सभी प्रकरणों को एक साथ मिलाने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया. चीफ जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की बेंच ने शुक्रवार को कहा कि सभी मामलों को एक साथ जोड़ने से दोनों पक्षों को फायदा होगा. इसे लेकर बेंच ने कोई आदेश पारित नहीं किया. साथ ही मामले की सुनवाई टाल दी.
बेंच ने शाही ईदगाह मस्जिद समिति की ओर से दायर विशेष अनुमति याचिका (SLP) पर शुक्रवार को सुनवाई की. इसमें इलाहाबाद हाईकोर्ट के जनवरी 2024 के आदेश को चुनौती दी गई थी. इस आदेश में हिंदू पक्षों के मथुरा की मस्जिद पर दावे से संबंधित दायर 15 मुकदमों की एक साथ सुनवाई करने को कहा गया था. मई 2023 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सभी मुकदमों को ट्रायल कोर्ट से अपने पास स्थानांतरित कर लिये थे.
अगली सुनवाई 1 अप्रैल को होगी: सुप्रीम कोर्ट में मस्जिद कमेटी के वकील ने तर्क दिया था कि सभी मुकदमों को एक साथ सुनवाई करने से जटिलताएं पैदा होंगी, क्योंकि ये सभी प्रकृति में समान नहीं हैं. चीफ जस्टिस ने इस दलील को खारिज करते हुए कहा कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट क्यों हस्तक्षेप क्यों करें? एक साथ केस ट्रांसफर करने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा. सुप्रीम कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए 1 अप्रैल 2025 की तारीख नियत की.
मुकदमों को हाईकोर्ट में ट्रांसफर करने को चुनौती: सुप्रीम कोर्ट मस्जिद समिति की ओर से दायर अन्य याचिका पर भी विचार कर रहा है. इसमें मुकदमों को इलाहाबाद हाईकोर्ट में स्थानांतरित करने को चुनौती दी गई है. वहीं एक और याचिका, जिसमें पूजा स्थल अधिनियम के तहत वादों को अवैध घोषित करने से इनकार करने के हाईकोर्ट के निर्णय को चुनौती दी गई है. ये प्रकरण भी सुप्रीम कोर्ट में लंबित है. पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने शाही जामा मस्जिद की निरीक्षण प्रक्रिया के लिए वकील कमिश्नर नियुक्त करने के हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी.
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