वाराणसी: भारत रत्न पंडित मदन मोहन मालवीय का हिंदी तिथि के अनुसार बुधवार को जन्मदिन है. इस मौके पर महामना मालवीय मिशन के काशी हिंदू विश्वविद्यालय इकाई द्वारा वैदिक विज्ञान केंद्र के सभागार में स्वदेशी चिंतक एवं समाजसेवी केएन गोविंदाचार्य को "भारत रत्न पंडित मदन मोहन मालवीय स्मृति सम्मान 2020" पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
कार्यक्रम की अध्यक्षता पंडित मदन मोहन मालवीय के प्रपौत्र काशी हिंदू विश्वविद्यालय के कुलाधिपति न्यायमूर्ति गिरधर मालवीय ने की. गिरधर मालवीय ऑनलाइन माध्यम से कार्यक्रम में जुड़े. इस अवसर पर उन्होंने कहा कि प्रख्यात चिंतक केएन गोविंदाचार्य को इस पुरस्कार से सम्मानित किया जा रहा है जो समाज को एक रचनात्मक संदेश देने जैसा है. हम आशा करते हैं भविष्य में भी इस तरह के समर्पित लोगों को इस सम्मान से सम्मानित किया जाएगा.
भारतीय पुनर्जागरण के प्रतीक थे महामना
केएन गोविंदाचार्य ने मंच से महामना से जुड़े अनेक घटनाओं का उल्लेख किया और कहा कि मालवीय जी उस काल के ऐसे व्यक्ति थे जो मन कर्म और वचन के समन्वयक की मूर्ति थे. वे अपने व्यवहार से लोगों को प्रभावित कर लेते थे. विश्वविद्यालय के निहितार्थ उनसे सहयोग प्राप्त कर लेते थे. महामना को इस विश्वविद्यालय के संस्थापक से आगे बढ़कर उन्हें भारतीय पुनर्जागरण के प्रतीक के रूप में देखना जाना चाहिए. उन्होंने शिक्षा के माध्यम से देश की जागृति करने का कार्य किया.
गोविंदाचार्य ने कहा कि अधिकांश लोग महामना को बीएचयू के संस्थापक के रूप में जानते हैं. जबकि वे एक प्रखर राजनेता, सनातन ज्ञान एवं परंपरा के प्रवक्ता, समाजसेवी, अधिवक्ता और पत्रकार भी थे. महामना ने गीता के माध्यम से भारतीय समाज में संस्कृति, संस्कृत और संस्कार पैदा करने का काम किया. महामना से प्रेरणा प्राप्त कर वर्तमान चुनौतियां जल, जंगल, जमीन एवं आजीविका का समाधान किया जा सकता है.
प्रो. उपेंद्र त्रिपाठी ने बताया मालवीय जयंती हिंदी तिथि के अनुसार पौष कृष्ण अष्टमी को मनाई जाती है. महामना मालवीय मिशन काशी हिंदू विश्वविद्यालय इकाई द्वारा महामना स्मृति सम्मान भी दिया जा रहा है. यह सम्मान काशी हिंदू विश्वविद्यालय के पुरातन छात्रों, अध्यापकों या कर्मचारियों दिया जाता है. महामना स्मृति सम्मान में अंगवस्त्रम के साथ प्रशस्ति पत्र और 51000 हजार रुपये का चेक दिया जाता है. इस बार यह सम्मान केएन गोविंदाचार्य को दिया गया.