वाराणसी: द्वादश ज्योतिर्लिंग में शामिल श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में अन्य कई ज्योतिर्लिंगों की तरह अब गर्भ गृह में प्रवेश करने से भक्तों को रोका जाएगा. मंदिर में बढ़ रही भीड़ और बाबा विश्वनाथ के शिवलिंग को सुरक्षित रखने के उद्देश्य से यह फैसला लिया गया है. मंदिर प्रशासन का कहना है कि सावन के महीने में गर्भ गृह के अंदर प्रवेश पर रोक लगाई गई, जिसके सफल होने और आसानी से दर्शन होने के बाद यह फैसला लिया जा रहा है.
दरअसल सावन के महीने में आने वाली लाखों भक्तों की भीड़ को देखते हुए मंदिर प्रशासन ने काशी विश्वनाथ मंदिर के गर्भगृह में जाने से श्रद्धालुओं को रोका था और बाहर से ही भक्त दूध व जल अर्पित करते थे, जो सीधे बाबा विश्वनाथ के ऊपर चढ़ता था. इसी व्यवस्था को अब स्थाई रूप से लागू करने की बात मंदिर प्रशासन का रहा है.
मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विशाल सिंह का कहना है कि सावन की भीड़ को देखते हुए यह फैसला लिया गया था और जब यह देखा गया कि मंदिर के चार दरवाजों से भक्त आसानी से झांकी दर्शन कर जल्दी निकल रहे हैं. इसके साथ ही भीड़ अव्यवस्थित भी नहीं हो रही है तो इस व्यवस्था को स्थाई रूप से लागू करने का फैसला लिया गया है.
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उन्होंने बताया कि मंदिर में भीड़ बढ़ती ही जा रही है. बैजनाथ धाम और महाकाल के अलावा नाशिक त्रंबकेश्वर मंदिर में पहले से ही गर्मी में प्रवेश करने से रोक है. ऐसी व्यवस्था विश्वनाथ मंदिर में भी लागू की जाएगी. हालांकि इस व्यवस्था के लागू होने के बाद भक्त भी इसकी तारीफ कर रहे हैं. भक्तों का कहना है कि बाबा का दर्शन बिना धक्का-मुक्की के आसानी से हो रहा है. हमारा जल और दूध बाबा को सीधे अर्पित हो रहा है. इससे अच्छी बात नहीं हो सकती.
मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी का कहना है कि मंदिर के गर्भ गृह में सीढ़ी का एक हिस्सा भी है, जिसमें ऊपर नीचे होने की स्थिति में भक्त अक्सर गिरते भी थे. उनकी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए भी यह फैसला लिया जा रहा है. बाहर से ही भक्त बाबा विश्वनाथ को जल अर्पित कर सकेंगे और दूध भी चढ़ा सकेंगे. ऐसी स्थिति में भीड़ कम समय में अच्छे से दर्शन कर सकेगी.